Welcome 2020: इस ध्वनि को सुनना होता है शुभ, यमदूत भी जाते हैं भाग
punjabkesari.in Thursday, Jan 02, 2020 - 09:14 AM (IST)
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प्रात: काल मंदिरों से उठने वाली दीर्घ प्रणवनाद सी सुमधुर घंटा ध्वनि भारतीय हिन्दुओं के लिए अनादिकाल से परिचित एवं प्रिय है। देवता के श्रीविग्रह के स्नान, धूपदान, दीपदान, आभूषण दान तथा आरती के समय भी घंटानाद करना चाहिए। भगवान के आगे पूजन के समय घंटा बजाने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है। जो देव मंदिर में घंटानाद सुनता है उसके समीप यमदूत नहीं आते। यह स्कंद पुराण का वचन है। पुराणों में घंटानाद का व्यापक महत्व वर्णित है। देव मंदिर को दुंदुभिनाद अथवा शंखनाद करके ही खोलना चाहिए। बिना इसके मंदिर द्वार खोलने से अपराध बताया गया है किन्तु यदि यह वाद्य न हो तो केवल घंटानाद करके या घंटी बजाकर द्वार खोलना चाहिए। घंटा सदैव वाद्यमय एवं समस्त देवताओं को प्रिय है।
कांस्य ताल (झांस), ताल (मंजीरा), घटिका (घडिय़ाल), जयघंटिका (विजयघंट), क्षुद्रघाट (पूजा की घंटी) और क्रम (लटकने वाला घंटा)- ये घंटा के भेद हैं और इनमें से प्राय: सभी का मंदिरों में उपयोग होता है। छोटे घंटे को पकड़कर बजाने के लिए ऊपर की ओर धातुमय दंड होता है। इसमें ऊपर की ओर गरुड़, हनुमान, चक्र, या पांच फनों के सर्प की आकृति होती है। लटकने वाले घंटे पर देवताओं के नाम मंत्रादि अंकित करने की विधि है। भगवान की मूर्ति के आगे शंख के साथ छोटी घंटी का रखना आवश्यक है। इस घंटी की पूजा का भी विधान है। गरुड़ की मूर्ति से युक्त घंटी का बड़ा महत्व बताया गया है। जहां यह घंटी रहती है, वहां सर्प,अग्नि और बिजली का भय नहीं होता।
भगवान विष्णु को तो घंटा प्रिय है ही भगवान शंकर तथा भगवती एवं दूसरे सभी देवताओं को भी यह अत्यंत प्रिय है। शिव मंदिर तथा दूसरे मंदिरों में भी बड़े-बड़े घंटे चढ़ाने, लटकाने तथा उन्हें बजाने का महात्म्य पुराणों में बहुत अधिक है। घंटे की ध्वनि देवताओं को प्रसन्न करने वाली, असुर राक्षस आदि दूसरों का बुरा करने वालों को भयभीत करके भगा देने वाली, पाप से मुक्ति दिलाने एवं पीड़ा नाशक बताई गई है। भगवती के दशभुजादि रूपों में घंटा उनके हाथों के आयुधों में है। अनेक कामनाओं की पूर्ति तथा अरिष्टों की निवृत्ति के लिए विविध मुहूर्तों में भी मंदिरों में घंटा चढ़ाने का विधान है। देव पूजा, देव यात्रा में तो घंटानाद का वर्णन है ही, पितृपूजन में घंटानाद की विधि है। कुछ ग्रंथों में अपने रहने के घर में भी घंटा बांधने और उसका नाद सुनने का आदेश है।
घंटानाद सब प्रकार से मंगलमय है। आयुर्वेद शास्त्र में अनेक रोगों के निवारण में घंटे की ध्वनि का प्रयोग करने को कहा जाता है। घंटा ध्वनि दैत्यों के तेज को नष्ट कर सब प्रकार के भय एवं पापों से उसी प्रकार रक्षा करती है जिस प्रकार माता अपने पुत्रों की बुरे कर्मों से रक्षा करती है। अत: सिद्धि चाहने वालों को बिना घंटी के पूजा नहीं करनी चाहिए। पूजा के समय घंटी को वामभाग में रखना चाहिए और बाएं हाथ से नेत्रों तक ऊंचा उठाकर बजाना चाहिए। देवताओं ने भद्रकाली की स्तुति में कहा है: हिनस्ति दैत्य तेजांसि, स्वनेनापूर्य या जगत्।। सा घंटा पातु नो देवि पापेभ्योऽन: सुतानिव।।