Longest day of the year: अध्यात्म और विज्ञान के अनुसार जानें 21 जून को क्यों कहा जाता है साल का सबसे लंबा दिन ?
punjabkesari.in Friday, Jun 20, 2025 - 01:30 PM (IST)

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Longest day of the year 2025: विज्ञान की दृष्टि से देखें तो पृथ्वी की झुकाव के कारण सूर्य की किरणें सीधे कर्क रेखा पर पड़ती हैं, जिससे दिन सबसे लंबा होता है। आध्यात्म की मानें तो सूर्य उत्तरायण में होने से ऊर्जा की प्रकृति उच्चतम होती है, साधना और आत्म-विकास के लिए श्रेष्ठ समय होता है।
देश में 21 जून को साल का सबसे बड़ा दिन होता है। 21 जून को साल के सबसे बड़े दिन के साथ ही साल की सबसे छोटी रात भी होती है। इस तारीख को सूर्य की किरणें सबसे ज्यादा देर तक पृथ्वी पर पड़ती हैं। सूरज की किरणें पृथ्वी पर लगभग 15 से 16 घंटे तक रहती हैं इसलिए इस दिन को साल का सबसे बड़ा दिन कहते हैं। इसे ‘सोल्सटाइस’ भी कहते हैं। इसका अर्थ है सूरज अभी भी खड़ा है लेकिन क्या आप जानते हैं ऐसा होता क्यों है ?
विज्ञान के अनुसार पृथ्वी की झुकाव स्थिति अपनी धुरी पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है। 21 जून को सूर्य की किरणें कर्क रेखा (Tropic of Cancer – 23.5°N) पर सीधी पड़ती हैं। इससे सूर्य पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध (Northern Hemisphere) में सबसे लंबा समय तक दिखाई देता है। सूर्य का उदय बहुत जल्दी होता है और अस्त देर से होता है। भारत जैसे देशों में इस दिन औसतन 14 से 15 घंटे तक सूरज दिखता है। दिन की अवधि बढ़ने के कारण रात छोटी हो जाती है, यह घटना ठंड के मौसम के ठीक विपरीत होती है (जहां 21 दिसंबर को रात सबसे लंबी होती है)।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखें तो सूर्य उत्तरायण में प्रवेश कर चुका होता है। भारतीय दर्शन में उत्तरायण को देवताओं का दिन कहा गया है। 21 जून के आसपास सूर्य पूरी तरह उत्तरायण हो जाता है। यह समय ऊर्जा के चरम विकास का काल होता है, जब प्रकृति जागृत अवस्था में होती है।
योग और साधना के लिए श्रेष्ठ काल है 21 जून: 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में भी चुना गया है क्योंकि यह दिन आध्यात्मिक रूप से उन्नति के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन की ऊर्जा शरीर और चेतना को ऊपर उठाने में सहायक होती है।
शिव तत्व का जागरण दिन भी कहलाता है 21 जून। योग शास्त्रों में कहा गया है कि आषाढ़ अमावस्या के बाद (जो इसी समय के आसपास आती है), भगवान शिव ने आदि योगी के रूप में सप्त ऋषियों को ज्ञान देना शुरू किया था। इसलिए यह समय ज्ञान और साधना के लिए एक विशेष संक्रमण बिंदु होता है।