शिव योग में रखा जाएगा हरियाली तीज का व्रत!

punjabkesari.in Tuesday, Aug 10, 2021 - 02:57 PM (IST)

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हरियाली तीज के दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के निर्जला व्रत रखती हैं और उसके सुखमय जीवन की कामना करती हैं। इस दिन माता पार्वती को हरे रंग की वस्तुएं अर्पित की जाती हैं, क्योंकि माता पार्वती को प्रकृति का स्वरुप माना जाता है। चूंकि सावन में बारिश के कारण प्रकृति हरीभरी होती है। इसलिए विशेषकर इस पूजा में माता पार्वती को श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करने का विधान है। व्रती महिलाएं पति की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए माता पार्वती को हरी चूड़ियां, हरी साड़ी, सिंदूर समेत सुहाग की सामग्री अर्पित करती हैं। पूजा के बाद महिलाएं अपनी सास या जेठानी को सुहाग का सामान भेंटकर आशीर्वाद लेती हैं।

पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का प्रारंभ 10 अगस्त दिन मंगलवार को शाम 06 बजकर 05 मिनट से हो रहा है जो 11 अगस्त दिन बुधवार को शाम 04 बजकर 53 मिनट तक रहेगी। 

उदया तिथि के अनुसार, जीवनसाथी के स्वस्थ जीवन और लंबी उम्र की कामना के साथ इस वर्ष हरियाली तीज का व्रत 11 अगस्त को रखा जाएगा।

11 अगस्त को शिव योग शाम 06 बजकर 28 मिनट तक है। 
रवि योग भी सुबह 09:32 बजे से पूरे दिन रहेगा। 
 विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 39 मिनट से दोपहर 03 बजकर 32 मिनट तक है।
राहुकाल दोपहर 12 बजकर 26 मिनट से दोपहर 02 बजकर 06 मिनट तक है।
बता दें शिव योग में हरियाली तीज का व्रत रखा जाएगा। 


हरियाली तीज  की पूजा विधि-
हरियाली तीज के व्रत में सुबह 3।30 बजे उठकर पानी और कुछ खा पी लें क्योंकि सुबह 4 बजे से निर्जल व्रत शुरू हो जाता है। 

आज के दिन सभी सुहागन स्त्रियां स्नान आदि से निवृत होकर मायके से आए हुए कपड़े पहनती हैं। आज के दिन सबसे पहले पूजा के शुभ मुहूर्त में एक चौकी पर माता पार्वती के साथ भगवान शिव और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। 

इसके बाद मां पार्वती को 16 श्रृंगार की सामग्री, साड़ी, अक्षत, धूप, दीप, गंधक आदि अर्पित करें। अब शिव जी को भांग, धतूरा, अक्षत्, बेल पत्र, श्वेत फूल, गंधक, धूप, वस्त्र आदि चढ़ाएं। इसके बाद अब  गणेश जी की पूजा करते हुए हरियाली तीज की कथा सुनें। फिर भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें। 

शाम को पूजा करते समय बिल्व-पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते एवं केवड़ा अर्पित करें। कथा का पाठ के बाद प्रसाद अर्पित किया जाता है।

इसके बाद रातभर भजन कीर्तन करते हुए जागरण किया जाता है। अगले दिन सुबह स्नान करने के बाद व्रत खोला चाहिए। 

गुरमीत बेदी 
gurmitbedi@gmail.com

 


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Content Writer

Jyoti

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