Hanuman ji and son temple: भारत के इन मंदिरों में हनुमान जी की होती है अपने पुत्र के साथ पूजा

punjabkesari.in Thursday, Apr 24, 2025 - 07:28 AM (IST)

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Hanuman ji and his son Story: वैसे तो हनुमान जी ब्रह्मचारी हैं, आपको जानकर आश्चर्य होगा की उनका एक पुत्र भी है। जो वीर्य से नहीं बल्कि उनके पसीने की बूंद से हुआ था। रामायण में कथा आती है की जब हनुमान जी राम काज से मां सीता की खोज में पहली बार लंका गए तो उन्हें मेघनाथ बंधी बनाकर रावण के दरबार में ले गया। दंड स्वरूप रावण ने हनुमान जी की पूंछ में आग लगा दी। हनुमान जी ने जलती हुई पूंछ से सारी लंका में आग लगा दी केवल भक्त विभीषण और अशोक वाटिका में आग की लपटें नहीं पहुंची। सारी लंका जलने लगी।

Hanuman ji and his son Story
जलती हुई पूंछ से हनुमान जी को तीव्र वेदना हो रही थी। उसे शांत करने के लिए वे समुद्र के जल से अपनी पूंछ की अग्नि को शांत करने पहुंचे। उस समय उनके पसीने की एक बूंद पानी में टपकी जिसे एक मछली ने पी लिया था। उसी पसीने की बूंद से वह मछली गर्भवती हो गई और उससे उसे एक पुत्र उत्पन्न हुआ। जिसका नाम मकरध्वज था। जो हनुमान जी के समान ही महान पराक्रमी और तेजस्वी था।

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रावण के भाई अहिरावण ने मकरध्वज को पाताल लोक का द्वारपाल नियुक्त किया हुआ था। अहिरावण श्री राम और लक्ष्मण को देवी के समक्ष बलि चढ़ाने के लिए अपनी माया के बल पर पाताल ले आया था। तब श्री राम और लक्ष्मण जी को मुक्त कराने के लिए हनुमान पाताल लोक पहुंचे और वहां उनकी भेंट मकरध्वज से हुई। तत्पश्चात मकरध्वज ने अपनी उत्पत्ति की कथा हनुमान जी को सुनाईं। हनुमान जी ने अहिरावण का वध कर प्रभु श्री राम और लक्ष्मण को मुक्त कराया और मकरध्वज को पाताल लोक का आधिपति नियुक्त करते हुए उन्हें धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।

Hanuman ji and son temple
In these temples of India, Hanuman Ji is worshipped along with his son: भारत में हनुमान जी के बहुत से मंदिर हैं लेकिन दो ही ऐसे मंदिर हैं जहां हनुमान जी अपने पुत्र मकरध्वज संग विराजते हैं। वैसे तो इन मंदिरों में प्रतिदिन भक्त आते हैं लेकिन मंगलवार, शनिवार, चैत्र पूर्णिमा हनुमान जयंती, आषाढ़ पूर्णिमा, भाद्रपद पूर्णिमा व मकरध्वज जयंती के दिन यहां विशेष रूप से श्रद्धालु दर्शनों के लिए आते हैं।

Hanuman ji and son temple
Hanuman dandi bet dwarka: एक मंदिर गुजरात के बेट द्वारका में बना है। जो मुख्य द्वारिका से दो किलोमीटर अंदर की ओर बना हुआ है। इस मंदिर का नाम दांडी हनुमान मंदिर है। माना जाता है कि इसी जगह पर हनुमान जी की पहली भेंट अपने पुत्र से हुई थी।

Hanuman ji and son temple
मंदिर में प्रवेश करते ही मकरध्वज के दर्शन होते हैं, साथ ही हनुमान जी का स्वरूप भी स्थापित है। दोनों स्वरूप रमणीय, हर्ष जनक और आनंदमय प्रतीत होते हैं, उनके हाथों में कोई भी अस्त्र-शस्त्र नहीं है।

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Shree Makardhwaj Balaji Dham: दूसरा मंदिर राजस्थान के अजमेर शहर से 50 किलोमीटर की दूरी पर जोधपुर मार्ग पर ब्यावर में मकरध्वज का मंदिर है। इस मंदिर में भी पिता और पुत्र दोनों की एक साथ पूजा होती है। इस मंदिर में शारीरिक और मानसिक रोगों के अतिरिक्त ऊपरी बाधाओं से भी सदा के लिए मुक्ति प्राप्त होती है।

Hanuman ji and son temple

श्रीराम ने पहले मकरध्वज को पाताल का राजा बनाया उसके बाद तीर्थराज पुष्कर के समीप नरवर से दिवेर तक के क्षेत्र का राजा बनाया। श्री राम ने मकरध्वज को आशीर्वाद दिया था कि कलियुग में जगत कल्याण के लिए जाग्रत देव के रूप में भक्तों के दुख-दर्द दूर करेंगे और उनकी कामनाओं को पूर्ण करेंगे। इस स्थान पर बहुत से साक्षात चमत्कारों से भक्त रू-ब-रू होते हैं जिससे नास्तिक भी आस्तिक हो जाते हैं।

Hanuman ji and son temple
कलयुग में चौरासी लाख योनियों के बंधन से मुक्त होना चाहते हैं तो मकरध्वज बालाजी धाम सर्वोत्तम महातीर्थ कहा गया है।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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