श्री राम से पहले मोदी जी ने किए बजंरगबली के दर्शन, जानिए हनुमान गढ़ी से जुड़े रहस्य
punjabkesari.in Wednesday, Aug 05, 2020 - 02:07 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के सा़थ
लगभग 500 साल का ये वनवास आखिरकार आज खत्म हो गया है। जी हां, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा मर्यादा पुरुषोत्म श्री राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की नींव रख दी है। जिसके बाद अब श्री राम मंदिर का निर्माण शुरू होगा। बताया जा रहा है इस इस भव्य मंदिर को बनने में लगभग 3 साल का समय लगेगा। बता दें पूरे विधिवत तरीके से भूमि पूजन को संपन्न किया गया। भूमि पूजन में शामिल होने से पहले Pm Modi दिल्ली सा अयोध्या में स्थित हनुमान गढ़ी पहुंचे। जहां उन्होंने लगभग 10 मिनट में मंदिर परिसर में पूजा की। इसके बादे वे श्री राम लला विराजमान परिसर पर पहुंचे, यहां भी इन्हें राम लला की पूजा के बाद उनकी परिक्रमा भी की। बताया जा रहा रामलला के साथ प्रधानमोदी जी के ये अब तक की पहली तस्वीरें।
कहा जाता है श्री राम जी की दर्शन करने से पहले हनुमान जी की आज्ञा लेना ज़रूरी होती है। मगर ऐसा क्यों है? चलिए जानते हैं अयोध्या के रक्षक व श्री राम के परम भक्त पवनपुत्र हनुमान जी से जुड़े इस स्थल के बारे में-
ये तो सभी जानते हैं कि अयोध्या को भगवान राम की नगरी कहा जाता है। इसलिए उनके परम भक्त हनुमान जी भी वहां सदैव वास करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हनुमान गढ़ी में भगवान राम की से पहले हनुमान जी की पूजा करना अनिवार्य है और क्यों अनिवार्य है। अगर नहीं तो चलिए हम आपको बताते हैं।
हनुमान जी के मुख्य मंदिरों में से एक हनुमान गढ़ी उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 100 किमी दूर सीतापुर जिले में अयोध्या के पास स्थित है। यहां प्रतिष्ठित हनुमान जी की मूर्ती बलिष्ठ और लाल रंग में है, जिनकी श्री राम से पहले पूजदा होती है।
मगर क्यों? दरअसल मान्यता है कि भगवान राम जब लंका जीतकर अयोध्या लौटे, तो उन्होंने अपने प्रिय भक्त हनुमान को रहने के लिए यही स्थान दिया था। साथ ही ये अधिकार भी दिया कि जो भी भक्त यहां दर्शन के लिए अयोध्या आएगा, उसे पहले हनुमान का दर्शन-पूजन करना होगा।
इसके अलावा इस मंदिर की एक और ख़ास बात ये है कि यहां पर हनुमान जी के सबसे छोटे रूप के दर्शन करने के लिए 76ढ़ियों सीका सफर तय करना पड़ता है। ये हनुमान टीला ही हनुमानगढ़ी के नाम से प्रसिद्ध है। यहां पवनपुत्र हनुमान की 6 इंच की प्रतिमा है, जो हमेशा फूल-मालाओं से सुशोभित रहती है। हनुमान चालीसा की चौपाइयां मंदिर की दीवारों पर सुशोभित हैं। तो वहीं आपको बता दें कि यहां आज भी छोटी दीपावली के दिन आधी रात को संकटमोचन का जन्म दिवस मनाया जाता है। पवित्र नगरी अयोध्या में सरयू नदी में पाप धोने से पहले लोगों को भगवान हनुमान से आज्ञा लेनी होती है।
अब बात आती है कि इस मंदिर का निर्माण किसने कराया था। तो बता दें कि आलीशान हनुमानगढ़ी को अवध के नवाब शुजाउद्दौला ने बनवाया था। इसके पहले वहां हनुमानजी की एक छोटी सी मूर्ति को टीले पर पेड़ के नीचे लोग पूजते थे। हनुमानगढ़ी बनवाने के पीछे सद्भाव की एक रोचक कहानी है। 17वीं शताब्दी में बाबा अभयराम दास जी यहां रहते थे। उन्हीं दिनों नवाब शुजाउद्दौला का पुत्र बीमार हो गया। हकीम व वैद्य सब हार गये और रोग बढ़ता ही गया। नवाब परेशान हो गये तो हिंदू मंत्रियों ने बाबा अभयराम की महत्ता व उन पर हनुमत कृपा के बारे में बताया। नवाब मान गए और फिर इसी के चलते मंदिर का निर्माण कराया।
मुख्य मंदिर में माता अंजनी की गोद में पवनसुत विराजमान हैं।अयोध्या के मध्य में स्थित हनुमानगढ़ी तक पहुंचने के लिए 76 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। यही अयोध्या की सबसे ऊंची इमारत भी है जो चारों तरफ से नजर आती है। इस विशाल मंदिर व उसका आवासीय परिसर करीब 52 बीघे में फैला है।