24 जुलाई को है गुरु पूर्णिमा, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व

punjabkesari.in Saturday, Jul 17, 2021 - 04:05 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हमारी संस्कृति और शास्त्रों में गुरु पूर्णिमा का बहुत महत्व है।  गुरु पूर्णिमा का पर्व भारत में बड़ी ही श्रद्धा और भक्तिभाव के साथ मनाया जाता है। इस दिन गुरुओं का सम्मान किया जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। शास्त्रों में भी गुरु की विशेष महिमा बताई गई है। गुरु शब्द का अगर हम संधि विच्छेद करें तो इसमें - 'गु' शब्द का अर्थ है अंधकार यानि अज्ञान और 'रु' शब्द का अर्थ है प्रकाश यानी ज्ञान। अर्थात अज्ञान को नष्ट करने वाला जो ब्रह्म रूप प्रकाश है, वह ही गुरु है। इस संसार की संपूर्ण विद्याएं गुरु की कृपा से ही प्राप्त होती है और गुरु के आशीर्वाद से ही दी हुई विद्या सिद्ध और सफल होती है। हमारे शास्त्रों में कहा भी गया है- 

'गुरु ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरु देवो महेश्वर:।।
गुरु साक्षात परब्रह्म तस्मैश्री गुरुवे नम:।।'

 
गुरुजनों के प्रति आदर-सम्मान और अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए ही हर वर्ष  आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को  गुरु पूर्णिमा का विशेष पर्व मनाया जाता है। इस पूर्णिमा को आषाढ़ी पूर्णिमा और आषाढ़ गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.आषाढ़ पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान और गरीबों में दान-पुण्य करने का महत्व रहता है। इसी दिन से आषाढ़ माह समाप्त हो जाएगा। 23 जुलाई 2021 को प्रात: 10:45 से पूर्णिमा तिथि प्रारंभ और 24 जुलाई को प्रात: 08:08 पर पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी।

ज्योतिष गणना के अनुसार गुरु पूर्णिमा के पर्व से ही वर्षा ऋतु का आरंभ होता है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान का भी विशेष पुण्य बताया गया है. इस दिन महाभारत के रचयिता महर्षि व्यास का जन्मदिन भी मनाया जाता है. इसीलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है. हमें वेदों का ज्ञान देने वाले व्यासजी ही थे। इस तरह से जहां उन्हें आदिगुरु माना जाता है, वहीं इसी दिन इनका जन्मदिन भी माना जाता है। ऐसे में उनकी स्मृति को बनाए रखने के लिए हमें इस दिन अपने-अपने गुरुओं को व्यासजी का अंश मानकर उनकी पूजा करनी चाहिए।

गुरु पूर्णिमा के दिन सबसे पहले अपने घर की उत्तर दिशा में एक सफेद वस्त्र पर अपने गुरु का चित्र रख दें। और उसके उन्हें फूलों की माला पहनाएं। इसके पश्चात आप अपने गुरु को मिठाई का भोग लगाएं। और गुरु की आरती करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। गुरु पूर्णिमा के दिन सफेद और पीले वस्त्र पहनकर पुष्प, अक्षत और चंदन से उनकी पूजा करें। गुरु से मंत्र प्राप्त करने के लिए भी यह दिन श्रेष्ठ है। जनेऊ धारण करने या बदलने का भी यह श्रेष्ठ दिन माना जाता है। आषाढ़ पूर्णिमा से अगले चार माह अध्ययन यानी स्टडी के लिए भी उत्तम माने गए है।

गुरमीत बेदी 
gurmitbedi@gmail.com


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Content Writer

Jyoti

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