Govardhan Puja: किसी भी काम की नई शुरुआत करने के लिए आज का दिन है शुभ, पढ़ें गोवर्धन पूजा की पौराणिक कथा

punjabkesari.in Wednesday, Oct 22, 2025 - 08:19 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Govardhan Puja 2025: दीपावली के अगले दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को गोवर्धन पूजन और गौ-पूजन के साथ-साथ अन्नकूट पर्व भी मनाया जाता है। इस दिन प्रात: नहा-धोकर, स्वच्छ वस्त्र धारण कर अपने इष्टों का ध्यान करते हैं। इसके पश्चात अपने घर या फिर देव स्थान के मुख्य द्वार के सामने गोबर से गोवर्धन बनाना शुरू किया जाता है। इसे छोटे पेड़, वृक्ष की शाखाओं एवं पुष्पों से सजाया जाता है। पूजन करते समय यह श्लोक कहा जाता है : गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक। विष्णुबाहु कृतोच्छाय गवां कोटिप्रदो भव॥

PunjabKesari Govardhan Puja

यह गोवर्धन पूजा का दिन (प्रतिपदा) साल में साढ़े तीन शुभ मुहूर्तों में से एक माना जाता है। किसी भी काम की शुभ शुरुआत इस दिन की जा सकती है। आर्थिक दृष्टि से व्यापारी इस दिन से साल की नई शुरुआत मानते हैं। लक्ष्मी प्राप्ति की कामना करते हुए हिसाब-किताबों की हल्दी, कुमकुम, फूल अर्पण कर पूजा की जाती है। इस शुभ दिन से नई कापियों में हिसाब लिखना शुरू किया जाता है।

PunjabKesari Govardhan Puja

Legend of Govardhan Puja गोवर्धन पूजा की पौराणिक कथा
गोवर्धन पर्वत की पूजा के बारे में एक कहानी कही जाती है जो इस प्रकार है : भगवान श्री कृष्ण अपने सखा और गोप-ग्वालों के साथ गाएं चराते हुए गोवर्धन पर्वत पर पहुंचे तो देखा कि वहां गोपियां 56 प्रकार के भोजन रखकर बड़े उत्साह से नाच-गाकर उत्सव मना रही हैं। 

श्रीकृष्ण के पूछने पर उन्होंने बताया कि आज वृत्रासुर को मारने वाले तथा मेघों व देवों के स्वामी इंद्र का पूजन होता है। इसे इंद्रोज यज्ञ कहते हैं। इससे प्रसन्न होकर ब्रज में वर्षा होती है, अन्न पैदा होता है।

श्रीकृष्ण ने कहा कि इंद्र में क्या शक्ति है, उससे अधिक शक्तिशाली तो हमारा गोवर्धन पर्वत है। इसके कारण वर्षा होती है। अत: हमें इंद्र से भी बलवान गोवर्धन की पूजा करनी चाहिए। काफी विवाद के बाद श्रीकृष्ण की यह बात मानी गई तथा ब्रज में इंद्र के स्थान पर गोवर्धन की पूजा की तैयारियां शुरू हो गईं। 

सभी गोप-ग्वाल अपने-अपने घरों से पकवान लाकर गोवर्धन की तराई में श्रीकृष्ण द्वारा बताई विधि से पूजन करने लगे। श्रीकृष्ण द्वारा सभी पकवान चखने पर ब्रजवासी खुद को धन्य समझने लगे। नारद मुनि भी यहां इंद्रोज यज्ञ देखने पहुंच गए थे। 

PunjabKesari Govardhan Puja

ब्रजवासी इंद्रोज बंद कर के बलवान गोवर्धन की पूजा कर रहे हैं, यह बात इंद्र तक नारद मुनि के जरिए पहुंच गई और इंद्र को नारद मुनि ने यह कहकर और भी डरा दिया कि उनके राज्य पर आक्रमण करके इंद्रासन पर भी अधिकार शायद श्रीकृष्ण कर लें।

इंद्र गुस्से में लाल-पीले होने लगे।  उन्होंने मेघों को आदेश दिया कि वे गोकुल में जा कर प्रलय पैदा कर दें। ब्रजभूमि में मूसलाधार बरसात होने लगी। बाल-ग्वाल भयभीत हो उठे। श्रीकृष्ण की शरण में पहुंचते ही उन्होंने सभी को गोवर्धन पर्वत की शरण में चलने को कहा कि वही सब की रक्षा करेंगे। 

जब सब गोवर्धन पर्वत की तराई मे पहुंचे तो श्रीकृष्ण ने गोवर्धन को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठाकर छाता-सा तान दिया और सभी को मूसलाधार वृष्टि से बचाया। 

सुदर्शन चक्र के प्रभाव से ब्रजवासियों पर एक बूंद भी जल नहीं गिरा। यह चमत्कार देखकर इंद्रदेव को अपनी गलती पर पश्चाताप हुआ और वह श्रीकृष्ण से क्षमायाचना करने लगे। सात दिन बाद श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत नीचे रखा और ब्रजवासियों को प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा तथा अन्नकूट का पर्व मनाने को कहा। तभी से यह पर्व के रूप में प्रचलित है।

PunjabKesari Govardhan Puja


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Related News