Gopashtami 2024: गोपाष्टमी के दिन इस मंत्र का करें जाप, खास मनोकामना की होगी पूर्ति
punjabkesari.in Friday, Nov 08, 2024 - 12:33 PM (IST)
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Gopashtami 2024: 9 नवंबर कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी का ग्रन्थों में बहुत विशेष महात्म्य है। इसे श्री गोपाष्टमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन गौ माता और गौवंश (बछड़े, बैल) की पूजा, सेवा करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है।
श्री गोपाष्टमी के पीछे की कथा बहुत ही दिव्य हैं। हमारे ग्रन्थों में गौ को जानवर मानने वालों को परम पापी कहा गया है क्योंकि गौ में 33 कोटि देवता निवास करते हैं। गौ के गोबर में तो साक्षात श्री लक्ष्मी देवी का वास है। शुभ कार्यों, यज्ञ आदि से पहले गोबर से स्थान को लीपने के पीछे का यही रहस्य है कि स्वयं श्री लक्ष्मी देवी वहां विराजमान होकर सभी शुभ कार्यो को सम्पन्न करती हैं। श्री राधा कृष्ण की तो प्राण हैं गौमाता। कार्तिक शुक्ल पक्ष की इसी अष्टमी तिथि को पहली बार श्री नन्द नन्दन भगवान श्री कृष्ण ने गौचारण किया था अर्थात गाय को चराने ले गए थे, इसी से वह "गोप" कहलाये और यह सुंदर तिथि श्री गोपाष्टमी कहलायी।
पूजा और महात्म्य-
सर्व कामना अभिलाषा व्यक्ति, इस तिथि में गो-गण की पूजा, गोग्रास दान, गो प्रदक्षिणा एवं गवानुगमन इत्यादि कार्य सम्पादन करें और इस विशेष मंत्र का जप श्री गौ माता के सम्मुख सपरिवार प्रेमपूर्वक करें। ऐसा करने से खास कामना की पूर्ति होती है।
मंत्र-: लक्ष्मीर्या लोकपालानां धेनुरूपेण संस्थिता । घृतं वहति यज्ञार्थे यमपाश व्यपोहतु ॥
अर्थ-: जो लोकपाल वृन्द की लक्ष्मी स्वरूपिणी हैं, जो धेनु रूप में अवस्थिता हैं, जो यज्ञ के निमित्त घृत वहन करती हैं, वे यमपाश से मुक्त कर देवें।।
बड़े दुख की बात है कि जिस भूमि पर स्वयं भगवान गौपालन, गौरक्षण, गौचारण और गौपूजन करके श्री गौमाता की महिमा बता रहें। उसी देश मे गौहत्याएं हो रही हैं। रोज तमाम बैल, गाय काटी जा रहीं हैं। सरकार से निवेदन हैं कि इसको निषेध करें, गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित करें, इसी से भारत फिर से विश्वगुरु बन सकेगा।