Ganga Dussehra: अश्वमेध यज्ञ के समान मिलेगा पुण्य, गंगा दशहरा पर करें ये उपाय
punjabkesari.in Wednesday, Jun 04, 2025 - 01:29 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Ganga Dussehra: गंगा सभी जीवों का उद्धार करती हैं इसलिए इन्हें मां अर्थात गंगा मैया के नाम से न केवल पूजा जाता है, बल्कि हर समय याद भी किया जाता है। गंगा मैय्या की जय जय कार बोलने से भी जीव के अनेक पाप नष्ट हो जाते हैं। श्री हरि के चरणकमलों से प्रकट हुई गंगा मनुष्य के सभी पापों का समूल नाश करती हैं। इस जल में स्नान करने से सहस्त्र गोदान, अश्वमेध यज्ञ तथा सहस्त्र वृषभ दान करने के समान अक्षय फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार सूर्य निकलने से जैसे अंधकार मिट जाता है वैसे ही गंगा के प्रभाव से सभी कष्ट एवं पाप मिट जाते हैं, स्वास्थ्य ठीक रहता है, यश और कीर्ती फैलती है।
जाने-अनजाने हुए सभी तरह के पापों को दूर करने का गंगा दशहरा स्नान में सामर्थ्य है। यदि गंगा जी में स्नान करने नहीं जा सकते, तो यदि व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा से गंगा जी के नाम का उच्चारण करके स्नान करे तो वह पापों से मुक्त होकर विष्णु लोक को प्राप्त हो सकता है।
गंगा दशहरा के दिन दशविध स्नान करने से अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। दशविध स्नान से आशय शास्त्रों में बताए गए 10 प्रकार के स्नान से है जैसे गोमूत्र से स्नान, गोमय से स्नान, गौदुग्ध से स्नान, गौदधि से स्नान, गौघृत से स्नान, कुशोदक से स्नान, भस्म से स्नान, मृत्तिका (मिट्टी) से स्नान, मधु (शहद) से स्नान और पवित्र जल से स्नान
ज्योतिष के जानकार कहते हैं की हर रोज गंगा जल पीने से व्यक्ति निरोग रहते हुए लंबी उम्र भोगता है।
शास्त्र कहते हैं, गंगा जल को हमेशा घर पर रखने से सुख और संपदा बनी रहती है।
पारिवारिक सदस्यों में क्लेश रहता है तो प्रतिदिन सुबह सारे घर में गंगा जल का छिड़काव करें।
डरावने सपने आते हैं तो रात को सोने से पूर्व बिस्तर पर गंगा जल का छिड़काव करें।
हर रोज सुबह और शाम मां गंगा की आरती और मंत्र बोलने से हर तरह के पापों से मुक्ति मिलती है। घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
Maa Ganga Mantra मां गंगा मंत्र
ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः
Maa Ganga Aarti मां गंगा आरती
ॐ जय गंगे माता, श्री गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता।
ॐ जय गंगे माता...
चन्द्र-सी ज्योत तुम्हारी जल निर्मल आता।
शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता।
ॐ जय गंगे माता...
पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता।
कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता।
ॐ जय गंगे माता...
एक ही बार भी जो नर तेरी शरणगति आता।
यम की त्रास मिटा कर, परम गति पाता।
ॐ जय गंगे माता...
आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता।
दास वही जो सहज में मुक्ति को पाता।
ॐ जय गंगे माता...
ॐ जय गंगे माता...।।