10 दिन तक करें गणपति साधना, संतान संबंधित हर समस्या का होगा नाश

punjabkesari.in Wednesday, May 19, 2021 - 08:04 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Ganpati Sadhna: हमारे यहां शादी का उद्देश्य मात्र शारीरिक सुख नहीं, बल्कि गृहस्थ जीवन का सफल संचालन एवं वंशवृद्धि के लिए संतान की उत्पत्ति करना भी होता है। जीवन के सात सुखों में संतान सुख भी विशेष स्थान रखता है। जहां एक ओर शास्त्रों की मान्यता के अनुसार पितृ ऋण से उऋण होना जरूरी है, वहीं देखा जाए तो आंगन में बच्चे की किलकारियां परिवार को व्यस्त कर देती हैं ओर खार-द्वेष मिटाकर प्यार का संचार करती हैं। 

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हिंदू धर्म में मान्यता है कि व्यक्ति की मृत्योपरांत दाह संस्कार एवं पिंड दान का कार्य तथा उसके उपरांत प्रतिवर्ष श्राद्ध आदि कार्य पुत्र के द्वारा ही किए जाने चाहिए अन्यथा व्यक्ति (जीवात्मा) की मुक्ति नहीं मिलती। स्वस्थ, सुंदर, दीर्घायु, पराक्रमी, चरित्रवान, विद्यावान, गुणी, कर्मठ एवं आज्ञाकारी संतान मनुष्य के जीवन को खुशियों से भर देती है। 

कहीं तो संतान होती ही नहीं ओर कहीं संतान चरित्रहीन, दुष्ट, अवारा हो जाए तो भी माता-पिता के लिए अपमानजनक स्थिति हो जाती है। यदि आप भी ऐसी ही किसी परिस्थिति से गुजर रहे हैं तो आप यह साधना अवश्य करें। 

यदि शरीर स्वस्थ है, किसी प्रकार का कोई रोग नहीं है, घर में भी सभी निरोग और स्वस्थ हैं, जरूरत के अनुसार आय भी है, परन्तु यदि पुत्र सुख न हो तो उस व्यक्ति का पारिवारिक जीवन नरक बन जाता है। जिस घर में, परिवार में वंश को आगे बढ़ाने वाला पुत्र न हो, वहां सारे सुख व्यर्थ हो जाते हैं। बेटी होनहार हो सकती है, बहुत नाम कर सकती है लेकिन वह आपके वंश को आगे नहीं चला सकती है, बहुत नाम कर सकती है लेकिन वह आपके वंश को आगे नहीं चला सकती। 

इसी प्रकार पुत्र का सबसे बड़ा कर्तव्य ही पुन: पुत्र उत्पन्न कर पितृ ऋण से मुक्त होना है। दूसरी ओर यदि पुत्र संतान भी हो लेकिन कपूत हो, आज्ञा नहीं मानता हो, ऐसी संतान से निरंतर अपमान सहना पड़ता है, लोगों की शिकायतें सुननी पड़ती है, घर का वातावरण भी दूषित होता है। समाज मे जो सम्मान अर्जित किया है, वह भी बर्बाद हो जाता है। व्यास जी के अनुसार भी-
यावन्न विद्यते जाया तावदद्धों भवेत्पुमान। नाद्र्ध प्रजायते सर्व प्रजायेतेत्यपि श्रुति:।।

जब तक स्त्री की प्राप्ति नहीं होती तब तक पुरुष आधा होता है। अकेले संतान नहीं होती। सबको संतान पैदा करनी चाहिए ऐसा श्रुति कहती है।

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Ganesh sadhana experience संतान गणपति साधना प्रयोग
संतान गृहस्थ जीवन की शोभा है, यदि संतान न हो तो पूरा घर हमेशा अजीब सन्नाटे से भरा रहता है तथा घर में रहने वाले सभी प्राणी खोए-खोए से, तानवपूर्ण जीवन जीते हैं। घर का समस्त सुख और सम्पत्ति व्यर्थ हो जाती है। भगवान गणपति की कृपा से और उनकी इस साधना को सम्पन्न करने से संतान की इच्छा अवश्य ही पूर्ण हो सकती है।

Ganpati Sadhna साधना प्रयोग विधि
गणेश चतुर्थी अथवा बुधवार के दिन प्रात:काल जल्दी उठें और स्नान एवं दैनिक क्रियाओं से निवृत्त हो लें। स्वच्छ एवं शुद्ध पीले वस्त्र धारण करें।अब किसी शांत कमरे में, पूजा घर में या एकांत स्थान पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। बैठने के लिए कुश या ऊन के आसन का उपयोग करें। अपने सामने बाजोट (छोटी चौकी) पर गणेश जी का मोहन चित्र या प्रतिमा भी स्थापित करें।

अब अपने सामने लकड़ी के बजोट पर पीला वस्त्र बिछाएं और उसमें एक थाली रखें। इस थाली में कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं ओर शुभ लाभ लिखें। थाली के मध्य में हल्दी से रंगे पीले अक्षत की ढेरी लगाएं और उस पर ‘हरिद्रा महागणपति यंत्र’ स्थापित करें। यंत्र की पंचोपचार से पूजा करें ओर निम्र मंत्र को 108 बार पढ़ते हुए यंत्र पर दूब (दूर्वा) चढ़ाएं। इसके पश्चात मूंगा माला से मंत्र की ग्यारह माला जपें। मंत्र इस प्रकार है- ‘गं गणपतये पुत्र वरदाय नम:।’

यह साधना 10 दिन की है अत: नियमित रूप से नियमित समय पर निरंतर करें। जप समाप्ति पर पूजन सामग्री को कपड़े में समेट कर जल में विसर्जित कर दें।    

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Content Writer

Niyati Bhandari

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