Gupt Navratri 2020: श्री दुर्गा सप्तशती पाठ के दौरान इन नियमों का पालन है ज़रूरी

punjabkesari.in Thursday, Jan 30, 2020 - 12:39 PM (IST)

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माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से इस साल यानि 2020 के पहले गुप्त नवरात्रि आरंभ हो चुके हैं। जिनका समापन 3 फरवरी को होगा। जैसे कि हम आपको अपनी वेबसाइट के जरिए बता ही चुके हैं कि गुप्त नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की सात्विक तथा गुप्त दोनों रूप से प्रार्थना की जाती है। मगर विशेषतौर पर तंत्र साधकों द्वारा तांत्रिक क्रियाओं की विद्या प्राप्ति के लिए पूजन करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है। परंतु वहीं ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि जिस तरह शारदीय तथा चैत्र नवरात्रि में श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जााता है ठीक वैैसे ही गुप्त नवरात्रों में भी इसका पाठ किया जा सकता है। बल्कि कहा जाता है कि गुप्त नवरात्रि के दिनों में "श्री दुर्गा सप्तशती" का पाठ करने से पाठ कर्ता की एक ही बार में अनेकों मनोकामनाएं पूरी होने लगती हैं। इतना ही नहीं इसके पाठ से व्यक्ति को भीषण से भीषण संकटों से भी मुक्ति मिलने जाती है।
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बता दें श्री दुर्गा सप्तशती ग्रंथ में कुल सात सौ श्लोक हैं, तीन भाग में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती नाम से तीन चरित्रों का वर्णन हैं। प्रथम चरित्र में केवल पहला अध्याय, मध्यम चरित्र में दूसरा, तीसरा और चौथा अध्याय और बाकी सभी अध्यायों को उत्तम चरित्र में रखे गए हैं। 

श्री दुर्गा सप्तशती ग्रंथ का पाठ
पाठ आरंभ करनेे से पूर्व गणेश पूजन, कलश पूजन, नवग्रह पूजन और ज्योति पूजन करें। अब श्री दुर्गा सप्तशती ग्रंथ को शुद्ध आसन पर लाल कपड़ा बिछाकर रखें।

अब माथे पर भस्म, चंदन या रोली लगाकर पूर्वाभिमुख होकर तत्व शुद्धि के लिए 4 बार आचमन करें। ध्यान रहे श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ में कवच, अर्गला और कीलक के पाठ से पहले शापोद्धार करना ज़रूरी है। पौराणिक कथाओं के अनुसार दुर्गा सप्तशति का हर मंत्र, ब्रह्मा,वशिष्ठ,विश्वामित्र ने शापित किया है। यही कारण है शापोद्धार के बिना इस पाठ का फल नहीं मिलता।
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अगर आप एक ही बार में पूरा पाठ न कर सकें, तो एक दिन केवल मध्यम चरित्र का और दूसरे दिन शेष 2 चरित्र का पाठ कर सकते। दूसरा विकल्प यह है कि एक दिन में अगर पाठ न हो सके, तो एक, दो, एक चार, दो एक और दो अध्यायों को क्रम से सात दिन में पूरा कर सकते हैं। 
श्रीदुर्गा सप्तशती में श्रीदेव्यथर्वशीर्षम स्रोत का नित्य पाठ करने से वाक सिद्धि और मृत्यु पर विजय पर प्राप्त होती है। श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ से पहले और बाद में नवारण मंत्र ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे का पाठ करना अनिवार्य है।

अगर संस्कृत में पाठ करना कठिन लगे तो श्रीदुर्गा सप्तशती का हिंदी में पाठ कर सकते हैं। श्रीदुर्गा सप्तशती का पाठ स्पष्ट उच्चारण में करें लेकिन जो़र से और उतावले होकर न पढ़ें।

नित्य पाठ के बाद कन्या पूजन करना अति आवश्यक माना जाता है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ में कवच, अर्गला, कीलक और तीन रहस्यों को भी सम्मिलत करना चाहिए। 

बता दें श्री दुर्गा सप्तशती के प्रथम, मध्यम और उत्तर चरित्र का क्रम से पाठ करने से, सभी मनोकामना पूरी होती है। इसे महाविद्या क्रम कहते हैं।

इसके उत्तर, प्रथम और मध्य चरित्र के क्रमानुसार पाठ करने से, शत्रुनाश और लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। इसे महातंत्री क्रम कहते हैं।
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Jyoti

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