Deepawali: दिवाली पर क्यों किया जाता है गणेश जी के साथ लक्ष्मी पूजन ?
punjabkesari.in Monday, Oct 24, 2022 - 09:07 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Why Lakshmi and Ganesha are worshipped together on Diwali: यह सर्व ज्ञात है कि महालक्ष्मी, भगवान विष्णु की प्राण सखी हैं। यदि धन की देवी को प्रसन्न करना है तो उनके पति विष्णु जी का उनके साथ पूजन करना आवश्यक माना गया है। वेदों के अनुसार भगवान विष्णु के प्रत्येक अवतार में महालक्ष्मी को ही उनकी पत्नी का स्थान मिला है। जहां विष्णु हैं वहीं महालक्ष्मी भी हैं। परंतु फिर भी दिवाली के दिन भगवान विष्णु के साथ नहीं बल्कि गणेश जी के साथ लक्ष्मी का पूजन किया जाता है।
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What is the relationship between Lakshmi and Ganesh: सनातन धर्म में दीपावली के पर्व को अत्यंत महत्ता दी गई है। इस दिन सभी लोग अपने-अपने घरों को साफ-सुथरा करके, स्वयं भी शुद्ध पवित्र होकर रात्रि को विधि-विधान से गणेश लक्ष्मी का पूजन कर उनको प्रसन्न करने का प्रयत्न करते हैं। दीपावली के त्यौहार में लक्ष्मी पूजन एक ही भावना से किया जाता है कि मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर धन का प्रकाश लेकर आएं। इस पूजा में यदि हम चाहते हैं कि महालक्ष्मी का स्थाई निवास हमारे घर में हो और उनकी कृपा हम पर बनी रहे तो उनके पति विष्णु जी का आह्वान करना चाहिए लेकिन फिर भी विष्णु के स्थान पर गणेश को पूजा जाता है, ऐसा क्यों ?
Which god and goddess are worshipped on diwali: लक्ष्मी संग गणेश पूजन का शास्त्रीय आधार शास्त्रों के अनुसार गणपति को महालक्ष्मी का मानस-पुत्र माना गया है। दीपावली के शुभ अवसर पर ही इन दोनों का पूजन किया जाता है। तांत्रिक दृष्टि से दीपावली को तंत्र-मंत्र को सिद्ध करने तथा महाशक्तियों को जागृत करने की सर्वश्रेष्ठ रात्रि माना गया है। यह तो सभी जानते हैं कि किसी भी कार्य को करने से पहले गणपति का पूजन किया जाता है लेकिन इसके साथ ही गणपति के विविध नामों का स्मरण सभी सिद्धियों को प्राप्त करने का सर्वोत्तम साधन एवं नियामक भी है।
Lakshmi ganesh position: दीपावली पर महालक्ष्मी के साथ गणपति का पूजन करने में संभवतः एक भावना यह भी कही गई है कि मां लक्ष्मी अपने प्रिय पुत्र की भांति हमारी भी सदैव रक्षा करें। हमें भी उनका स्नेह व आशीर्वाद मिलता रहे। महालक्ष्मी के साथ गणेश पूजन में इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि गणपति को सदा महालक्ष्मी की बाईं ओर ही रखें। आदिकाल से पत्नी को ‘वामांगी’ कहा गया है। बायां स्थान पत्नी को ही दिया जाता है। अतः कभी भी पूजा करते समय लक्ष्मी-गणेश को इस प्रकार स्थापित करें कि महालक्ष्मी सदा गणपति के दाहिनी ओर ही रहें, तभी पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होगा।