बुधवार का दिव्य दर्शन, देगा परेशानियों व कष्टों से मुक्ति
punjabkesari.in Tuesday, Jan 31, 2017 - 10:49 AM (IST)
गणेश्वर रूप में गणपती समस्त जीवों के दाता माने जाते हैं। सनातन धर्म में प्रचलित पूजन प्रणाली इशों उपनिषद के अनुसार पञ्चदेव पूजन में सर्वप्रथम पूज्य भगवान गणेश की आराधना बड़ी श्रद्धा एवं भक्ति भाव से की जाती है। मान्यता अनुसार किसी भी धार्मिक अथवा मांगलिक कार्य का शुभारंभ गणपति के स्मरण पूजन अर्चना से करना चाहिए। इससे समस्त कार्य निर्विघ्नता पूर्वक सफल होते हैं। शब्द गणेश्वर का संधिविछेद करने पर उसका तार्किक अर्थ निकलता है गण के ईश्वर अर्थात जीवों के दाता। शब्द गण का अर्थ गणना यां संख्या भी है तथा संस्कृत में गण का अर्थ धातु भी है परंतु गण का तार्किक अर्थ है जनता अर्थात जनसमूह। ईश्वर का तार्किक अर्थ है दाता या इसे मालिक भी कह सकते हैं। अतः गणेश्वर का अर्थ होता है जनता के मालिक अर्थात जन के ईश्वर।
स्वामी दयानन्द सरस्वती विरचित सत्यार्थ प्रकाश के प्रथम समुल्लास में कहा गया है, "ये प्रकृत्यादत्यो जड़ा जीवाश्च गण्यन्ते संख्यान्ते तेषामीश: स्वामीपति पालको"
अर्थात जो प्रकृत्यादि जड़ और सब जीव प्रख्यात पदार्थों का स्वामी व पालन करने वाला है इससे उस ईश्वर का नाम गणेश्वर है। इसी कारण बुद्धिदाता व विघ्नहर्ता भगवान गणेश की भक्ति का महत्व शास्त्रों में बताया गया है। इस लेख के माध्यम से हम आपको बताते हैं गणपती का वो मंत्र जिसके उच्चारण से परेशानियों व कष्टों से मुक्ति मिलती है।
पूजन विधि: श्री गणेश को सिंदूर, चंदन, फूल व मोदक का भोग लगाएं। धूप व घी का दीप जलाएं व भगवान गणेश के निम्नलिखित मंत्र का रुद्राक्ष माला से जाप करें।
मंत्र: ॐ गणेश्वराय नमः
मंत्र संसाधन: श्री गणपति सहस्र नामावली
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com