Dipika Chikhlia Interview : राम मंदिर के उद्घाटन पर जाएंगी सीता माता ! कहा-बहुत इमोशनल पल होगा
punjabkesari.in Tuesday, Jan 09, 2024 - 07:44 AM (IST)
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Dipika Chikhlia Interview : अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है और 22 जनवरी के दिन इस भव्य मंदिर का उद्घाटन है। यह दिन हमारे लिए बहुत खास होने वाला है। राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा का निमंत्रण रामानंद सागर की रामायण में सीता का किरदार निभाने वाली दीपिका चिखलिया को भी मिला है। रामायण में सीता का किरदार निभाकर दीपिका चिखलिया इतनी फेमस हो गईं कि आज भी लोग उनके पैर छूते हैं और सीता माता का दर्जा देते हैं। इस निमंत्रण से दीपिका बेहद खुश हैं और उन्होंने कहा कि उनके लिए यह काफी इमोशनल होने वाला पल है। इसी बारे में एक्ट्रैस ने पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स/जग बाणी/हिंद समाचार के लिए संवाददाता ज्योत्सना रावत से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश...
Q. जब आपको 22 जनवरी का राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण मिला तो फर्स्ट रिएक्शन क्या था ?
-मुझे यह तो पता नहीं था कि निमंत्रण आएगा या नहीं, दरअसल इतने बड़े लैवल पर कुछ होने जा रहा है तो मैं सोचती थी पता नहीं बुलाएंगे या नहीं। हां, मेरे पति को पूरा भरोसा था कि मुझे जरूर बुलाया जाएगा। सुबह -सुबह मुझे निमंत्रण के लिए कॉल आई, अक्सर मैं फोन नहीं उठाती ट्रू कॉलर पर चैक करके कॉल बैक कर लेती हूं। मैंने जब चैक किया तो मैसेज आया हुआ था कि जब आप फ्री हों, तो कॉल करें। मैंने कॉल किया तो किसी सज्जन ने फोन उठाया और बहुत ही शुद्ध हिंदी में बात की। उन्होंने कहा कि आप सीता माता हैं, आपको तो 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में आना ही चाहिए। वह बहुत टचिंग था, इससे बड़ी बात मेरे लिए कोई हो नहीं सकती। मैंने कहा अच्छा आपको भी मैं सीता माता लगती हूं, वह बोले मेरे लिए ही नहीं आप पूरी दुनिया के लिए सीता माता हैं। आपके बिना तो यह सब हो ही नहीं सकता। यह सब सुनकर मुझे लगा कि मुझे तो पद्म विभूषण मिला गया है। उस वक्त मैं अलग ही दुनिया में थी। मैंने तुरंत अपने पति को फोन करके बताया और उनका जवाब था देखा मैंने
कहा था न।
Q.कोविड के समय में रामायण दिखाने का पी.एम. मोदी का फैसला आपको कैसा लगा?
-हम मोदी जी के फैन हैं, वह ह्यूमन वैल्यूज और इमोशन्स को बहुत अच्छे से समझते हैं। उन्हें सब कुछ पता है कि कैसे और क्या मैनेज करना है। चाहे वह अपने देश की बात हो या इंटरनैशनल लैवल की। कोविड के टाइम पर उनका रामायण शुरू करना अच्छा डिसीजन था, जिसे कोई और सोच भी नहीं सकता।
Q. जब आपने सीता माता का किरदार निभाया था, तब तो सब आपको पैर छूने लगते होंगे, कोई किस्सा शेयर करिए?
-हां, बिल्कुल यह बहुत कॉमन था। मैं कुछ दिन पहले की बात बताती हूं, हमें बैंगलोर एक फैमिली फंक्शन में जाना था, मैंने अपने पति से कहा कि इस बार मैं सूट, साड़ी और बिंदी लगाकर नहीं बल्कि स्नीकर्स पहनकर जाऊंगी, वह बोले ठीक है। मैंने कॉर्ड सेट और स्नीकर्स पहन लिए और मैं बिल्कुल नॉर्मल दिख रही थी। हम एयरपोर्ट पर लगेज लेने के लिए खड़े थे तभी कुछ लोग सैल्फी लेने आ गए। मैं हैरान रह गई ऐसा कैसे हो गया।
Q.आपकी खूबसूरती और मासूमियत अभी तक ऐसे ही बरकरार है, इसका राज क्या है?
-शायद मेरा दिल बिल्कुल साफ है इसलिए मैं ऐसी हूं। सच कहूं तो मुझे छोटी-छोटी चीजों में खुशी मिलती है, नेम, फेम और पैसा मैटर नहीं करता। जब जुलाई में मैं अयोध्या गई थी तब मैं राम जी के दर्शन करते हुए खुशी से कांप रहीं थी, मुझे लगा जैसे मैं साक्षात राम जी से मिली हूं। मैं ऐसी ही हूं मेरे लिए यह सब बहुत मायने रखता है। मैं बहुत पॉजीटिव हूं, स्प्रीचुअल हूं और पॉजीटिव लोगों से बातें करना ही पसंद करती हूं। मुझे बड़े ब्रांड के बैग्स और पैरिस के ट्रिप उतने अट्रैक्ट नहीं करते।
Q. क्या आपको लगता है राम जी हमेशा आपके साथ रहते हैं?
-हां, मुझे लगता है राम जी का आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ रहता है। आप देखिए न जिंदगी कितनी लंबी और मुश्किलों से भरी होती है और उसके बाद आपको सफलता मिलती है कोई परेशानी नहीं होती। मुझे लगता है मैंने कुछ कमाल नहीं किया, यह सब उनके आशीर्वाद से ही है। मेरे चारों तरफ हमेशा पॉजीटिविटी बनी रहती है।
Q. 22 जनवरी को सीता माता बनके जाएंगी या दीपिका?
-यह तो सरप्राइज है, यह मैं अभी किसी को नहीं बताऊंगी। इसके लिए आपको थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा।
Q. जब आप 17 साल की उम्र में विक्रम बेताल में काम कर रही थीं और फिर रामायण में तब आपने सोचा था कि इतनी सफलता मिलेगी?
-जब मैंने काम शुरू किया तो जैसे मैंने विक्रम बेताल में काम किया वैसे ही मैंने रामायण में किया था। ऐसा कुछ सोचा नहीं जाता, हो जाता है। बस सब कुछ दिल से किया था और भगवान के आशीर्वाद से यह कुछ और ही बन गया। आप पहले से नहीं सोच सकते कि क्या होगा, यह चीजें बस हो जाती हैं। कोई भी बड़ी फिल्म ले लीजिए, चाहे वह 'शोले' हो या 'मुगल-ए-आजम' पहले कुछ सोच के नहीं बनाई वह तो बन गई। अच्छा बनाने की कोशिश तो सभी करते हैं, लेकिन वह अच्छा बन जाए यह बहुत बड़ी बात होती है।