Dharmik katha: मन में न रखें लोभ व मोह

punjabkesari.in Thursday, Sep 01, 2022 - 10:59 AM (IST)

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एक वृद्ध संत ने अपनी अंतिम घड़ी नजदीक देख अपने शिष्यों को अपने पास बुलाया और कहा, मैं आप लोगों को चार कीमती रत्न दे रहा हूं, मुझे पूर्ण विश्वास है कि तुम इन्हें संभाल कर रखोगे और पूरी जिंदगी इनकी सहायता से अपना जीवन आनंदमय तथा श्रेष्ठ बनाओगे।

पहला रत्न है, माफी। तुम्हारे लिए कोई कुछ भी कहे, तुम उसकी बात को कभी अपने मन में न बिठाना और न ही उसके लिए सभी बदले की भावना मन में रखना, बल्कि उसे माफ कर देना।
 

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दूसरा रत्न है, भूल जाना। अपने द्वारा दूसरों के प्रति किए गए उपकार को भूल जाना, कभी उस किए गए उपकार के प्रति लाभ मिलने की उम्मीद मन में न रखना। तीसरा रत्न है, विश्वास। हमेशा अपनी मेहनत और उस परम पिता परमात्मा पर अटूट विश्वास रखना क्योंकि हम कुछ नहीं कर सकते, जब तक उस सृष्टि नियंता के विधान में नहीं लिखा होगा। परम पिता परमात्मा पर रखा गया विश्वास ही तुम्हें जीवन के हर संकट से  बचा पाएगा और सफल करेगा और चौथा रत्न है, वैराग्य।

हमेशा यह याद रखना कि जब हमारा जन्म हुआ है तो निश्चित ही हमें एक दिन मरना ही है। इसलिए किसी के लिए अपने मन में लोभ-मोह न रखना। मेरे बच्चों जब तक तुम ये चार रत्न अपने पास संभाल कर रखोगे, तुम खुश और प्रसन्न रहोगे।
 


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Content Writer

Jyoti

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