सालों से यहां पानी में निवास रहे हैं भोलेनाथ

punjabkesari.in Wednesday, Apr 03, 2019 - 01:44 PM (IST)

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अगर किसी से पूछा जाए कि भगवान शिव जी का सबसे प्रिय महीना कौन सा है तो उसका एक ही जवाब होगा “सावन”। यहीं कारण है कि इस महीने में शिव जी जल चढ़ाने का अधिक महत्व है। सावन के महीने में लोग विभिन्न मंदिरों आजदि में जाकर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। कहने का अभिप्राय ये है कि भगवान शंकर का जल से अभिषेक करने का अधिक महत्व सावन में ही होता है। परंतु आपको बता दें कि ऐसा नहीं है। एक ऐसी भी जगह है जहां भगवान शंकर सदैव पानी में रहते हैं। जी हां, आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन ऐसा ही भगवान शंकर का एक ऐसा मंदिर है जहां साल के 12 महीने भोलेनाथ पानी में निवास करते हैं। 
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कहा जाता है कि मध्य प्रदेश में स्थित इस मंदिर का इतिहास हज़ारों साल पुराना है और इसकी प्रसिद्धि विदेशों तक फैली हुई है। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में-
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3000 साल पहले यहां च्यवन ऋषि ने की मंदिर की स्थापना
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चंद्रकेश्वर नामक इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना च्यवन ऋषि ने की थीं। उनके आह्वान से मां नर्मदा गुप्त रूप से यहां प्रकट हुई थीं और शिवलिंग का पहली बार अभिषेक किया गया था। माना जा रहा है कि उस समय से यहां एक वट वृक्ष से जलधारा निकल रही है जिसके कारण यहां स्थापित शिवलिंग सदैव जलमग्न रहता है। प्रचलित लोक मान्यताएं के अनुसार चंद्रकेश्वर मंदिर की स्थापना लगभग 3000 साल पहले च्यवन ऋषि द्वारा की गई थी। इसकी सबसे बड़ा खासियत ये है कि यहां शिव शंकर के दर्शन करने के लिए भक्तों को पानी में उतरना पड़ता है।
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नर्मदा कुंड में स्नान करने के बाद होते हैं शिव जी के दर्शन- 
मंदिर के पुजारियों द्वारा बताया जाता है कि जब च्यवन ऋषि ने तपस्या करने के लिए इस मंदिर का निर्माण किया उस समय  नर्मदा नदी यहां से 60 किलोमीटर दूर बहती थी। उन्हें इस नदी में स्नान करने के लिए रोज़ाना बहुत लंबा सफ़र तय करना पड़ता था। ऋषि की इसी लगन को देखकर मां नर्मदा उनसे प्रसन्न होकर और कहा कि मैं स्वयं आपके मंदिर के पास आ रही हूं। अगले दिन ही मंदिर में जलधारा फूटी और नर्मदा वहीं पहुंच गई। कहा जाता है कि च्यवन ऋषि के बाद यहां कई ऋषियों ने तपस्या की, इनमें सप्तऋषि प्रमुख थे। बका दें कि यहां आने वाले भक्त पहले नर्मदा कुंड में स्नान करते हैं, फिर भगवान शिव के दर्शन करते हैं।    
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Jyoti

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