Brahma Baba's birthday: हीरे के व्यापारी ने अपने जीवन मूल्यों से नई दुनिया का बीज बोया

punjabkesari.in Tuesday, Jan 18, 2022 - 10:56 AM (IST)

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Brahma Baba Birthday: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा बाबा (दादा लेखराज कृपलानी) का जन्म सन् 1876 में सिंध प्रांत (अब पाकिस्तान में ) के एक कुलीन परिवार में हुआ। बचपन में ही इनकी माता का देहांत हो गया। उन्हें किसी भी मनुष्यात्मा का संकट सहन नहीं होता था, हर स्थिति में उस व्यक्ति की मदद करना इनके व्यक्तित्व में शुमार था। जब ईश्वर की अराधना करने बैठते तो सर्व प्रथम पूरे विश्व की मनुष्यात्माओं के दु:ख दर्द मिटाने के लिए प्रार्थना करते थे। लेखराज बचपन से ही बड़े ओजस्वी, तेजस्वी, दयालु प्रकृति और इतने सौम्य एवं असाधारण थे कि इन्हें लोग प्यार से ‘दादा’ कहते थे। 

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‘दादा’ बड़े होकर हीरे-जवाहरात के व्यापार में लग गए। देखते ही देखते इनके व्यापार की ख्याति भारत सहित आस-पास के कई देशों में फैल गई। इनका व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली था कि जो कोई भी एक बार मिलता तो उन्हीं का हो जाता। कई राजा- महाराजा तो यहां तक कहते कि लेखराज जी राजा तो आपको होना चाहिए परन्तु ‘दादा’ सदैव मानवीय सेवाओं की बात करते। कई बार इन्हें मनुष्यात्माओं की पीड़ा परेशान करती और वह मन ही मन सोचते कि कैसे इस संसार का उद्धार होगा, जिसमें लोग सुखी-सम्पन्न हों।  

‘दादा’ लेखराज के जीवन में 60 वर्ष की उम्र में एक महान परिवर्तन आया। दैवी प्रेरणा से उन्हें हीरे-जवाहरात का व्यापार कौड़ियों तुल्य लगने लगा। इन्होंने अपनी सम्पत्ति बेचकर एक ट्रस्ट की स्थापना की तथा माताओं-बहनों को आगे रख इस कारवां का शुभारंभ किया। उन्होंने 1937 में हैदराबाद सिंध में ब्रह्माकुमारी संगठन की स्थापना की, जिसने अपना मुख्यालय राजस्थान के माऊंट आबू में 1953 में स्थानांतरित कर दिया। यह संगठन व्यक्तिगत परिवर्तन और विश्व नवीनीकरण के लिए समर्पित एक विश्वव्यापी आध्यात्मिक आंदोलन के रूप में उभरा। 

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ब्रह्मा कुमारियां सभी महाद्वीपों के 110 से अधिक देशों में फैल चुकी हैं और महिलाओं के नेतृत्व में दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक संगठन के रूप में कई क्षेत्रों में इसका व्यापक प्रभाव पड़ा है। हालांकि, महिलाएं शीर्ष प्रशासनिक पदों पर हैं, लेकिन इन पदों पर रहने वाली महिलाओं ने हमेशा पुरुषों के साथ साझेदारी में निर्णय लिया है। यह सम्मान, समानता और विनम्रता पर आधारित नेतृत्व का एक साझेदारी और सर्वसम्मत मॉडल है। 

नारी शक्ति के साथ विश्व परिवर्तन का जो कारवां बाबा ने प्रारंभ किया था आज वह एक महान सेना के रूप में तबदील हो चुका है। 
आज करीब 40 हजार युवा बहनें अपना जीवन इस पुनीत कार्य में अर्पण कर चुकी हैं और लाखों लोगों के जीवन में ऊर्जा का संचार कर रही हैं। इन्होंने अपने जीवन में मूल्यों का ऐसा बीज बोया है जो आने वाली नई दुनिया का संकेत है।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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