क्यों जलाए जाते हैं आटे के दीये, ये हैं इनसे जुड़े लाभ

punjabkesari.in Friday, Apr 02, 2021 - 05:21 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू धर्म में पूजा आदि का अधिक महत्व है। तो वहीं पूजा करने के नियमों भी उतने ही खास माने जाते हैं। सनातन धर्म से संबंध रखने वाले लगभग लोग जानते ही होंगे कि इसमें दीया जलाना आदि कितना अहम  माना जाता है। माना जाता है हिंदू धर्म का कोई भी पर्व हो किसी में मिट्टी में दीए तो किसी में आटे के दीए प्रजवल्लित करने की परंपरा है। मगर आटे के दीए क्यों जलाए जाते हैं, इससे जुड़ा धार्मिक कारण क्या है। इस बारे में बहुत कम लोग जानते हैैं। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि आटे के दीए जलाने के पीछे की क्या परंपरा है। 

ऐसा कहा जाता है कि आटे के दीपक का प्रयोग किसी बड़ी कामना की पूर्ति के लिए जलाया जाता है।  यही कारण है कि मन्नत के दिए आटे के बने होते हैं।
मान्यता है कि अन्य दीपकों की तुलना में आटे के दीप अधिक शुभ और पवित्र होता है। इस दीप को मां अन्नपूर्णा का आशीष स्वतः ही प्राप्त हो जाता है। 
बताया जाता है खासतौर पर देवी दुर्गा, पवनपुत्र हनुमान, देवों के देव महादेव भगवान शंकर, श्री हरि विष्णु, श्री राम, श्री कृष्ण के मंदिरों में आटे के दीपक जलाने से कामना की पूर्ति शीघ्र पूरी होती है। 
तो वहीं ये भी कहा जाता है कि मुख्य रूप से तांत्रिक क्रियाओं में आटे का दीपों का उपयोग किया जाता है।
अगर किसी के जीवन में निम्न संबंधी कोई परेशानी हो तो उसके निवारण के लिए आटे के दीप जलाने चाहिए। 
जैसे- कर्ज से मुक्ति, शीघ्र विवाह, नौकरी, बीमारी, संतान प्राप्ति, खुद का घर, गृह कलह, पति-पत्नी में विवाद, जमीन जायदाद, कोर्ट कचहरी में विजय, झूठे मुकदमे तथा घोर आर्थिक संकट आदि।
इस बात के बारे में बहुत की कम लोग जानते हैं कि आटे के ये दीप घटती और बढ़ती संख्या दोनों में लगाए जाते हैं। एक दीप से शुरूआत कर उस 11 तक ले जाया जाता है। उदाहरण के तौर पर जैसे संकल्प के पहले दिन 1 फिर 2, 3, ,4 , 5 और 11 तक दीप जलाने के बाद 10, 9, 8, 7 ऐसे फिर घटते क्रम में दीप लगाए जाते हैं।
बता देंआटे में हल्दी मिला व गुंथ कर हाथों से उसे दीप का आकार दिया जाता है। फिर उसमें घी का तेलडाल कर बत्ती सुलगाई जाती है। 
ज्योतिष शास्त्री बताते हैं कि मन्नत पूरी होने के बाद एक साथ आटे के सारे संकल्पित दीये मंदिर में जाकर लगाने चाहिए। 
ध्यान रहे अगर दीप की संख्या पूरी होने से पहले ही कामना पूरी हो जाए तो क्रम को खंडित न करें। संकल्प में माने गए दीप पूरे जलाएं।


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Content Writer

Jyoti

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