रहस्यों से भरा है बप्पा का ये अनोखा मंदिर

punjabkesari.in Wednesday, May 09, 2018 - 02:47 PM (IST)

उज्जैन का बड़ा गणेश मंदिर गणपति के प्रसद्धि मंदिरों में से एक है। यह मंदिर उज्जैन के प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर के समीप स्थित है। मंदिर परिसर में भगवान गणेश की एक विशाल प्रतिमा स्थापित है जिस कारण से इसे बडे़ गणेश जी के नाम से पुकारा जाता है। यहां स्थापित गणेश जी की यह प्रतिमा विश्व की सबसे ऊंची और विशाल की प्रतिमाओं में से एक है।

 

मान्यता है कि इस प्रतिमा को बनाने में सीमेंट आदि का नहीं बल्कि तीर्थ स्थानों का जल, काशी, अयोध्या, अवंतिका और मथुरा की मिट्टी के साथ घुड़साल, हाथीखाना, गौशाला की मिट्टी और रत्नों में हीरा पन्ना, पुखराज, मोती, माणिक के साथ ईंट, बालू, चूना और मेथी के दाने के मसाले का इस्तेमाल किया गया है। इस प्रतिमा को बनाने के लिए अलग-अलग धातुअों का प्रयोग भी किया गया है जैसे- मुख के लिए सोने व चांदी, कान, हाथ अौर सूंड के लिए तांबा अौर पैरों के लिए लोहे के सरियों का प्रयोग किया गया है।

 

कहते हैं कि प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के 13 साल बाद तक गणेश जी बिना छत के खुले आसमान के नीचे विराजित रहे। पहले टीन के पातरों से बनी छत थी। 1954 में स्थाई छत बनाई गई। वर्ष में बड़ा गणपति को 4 बार चोला चढ़ाया जाता है। एक बार चोला चढ़ाने में 15 दिन लग जाते हैं। चोले का भार एक मन होता है। इस चोले में 25 किलोग्राम सिंदूर और 15 किलोग्राम घी का मिश्रण होता है। 

 

ये मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बन चुका है। यहां आने से श्रद्धालुअों की प्रत्येक मनोकामना पूर्ण होती है। बाकी दिनों के अतिरिक्त गणेश उत्सव पर भक्तों की भीड़ होती है। 
 

मंदिर में भगवान गणेश के साथ-साथ अन्य कई देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं। मंदिर में माता यशोदा की गोद में बैठे हुए भगवान कृष्ण की एक प्रतिमा और उनके पीछे शेषनाग के ऊपर बांसुरी बजाते हुए कृष्ण जी की बहुत ही सुंदर प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के बीच में पंचमुखी हनुमान चिंतामणि की एक सुंदर प्रतिमा भी है, कहा जाता है इस प्रतिमा की स्थापना बड़े गणपति की स्थापना के भी पहले की गई थी।


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Content Writer

Jyoti

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