14 अप्रैल से होगा मांगलिक कार्यों का प्रारंभ

punjabkesari.in Monday, Apr 13, 2015 - 07:34 AM (IST)

वैदिक व पौराणिक शास्त्रानुसार सूर्यदेव समस्त जीव-जगत के आत्मस्वरूप हैं। ये ही संपूर्ण सृष्टि के आदि कारण हैं व इन्हीं से सब की उत्पत्ति हुई है। शास्त्रानुसार सूर्यदेव महर्षि कश्यप व देवी अदिति के पुत्र हैं। इसी कारण उनका एक नाम आदित्य भी है। सूर्यदेव नित्य सबको दर्शन देकर प्रत्यक्ष देव कहलाते हैं। 

वैसाख माह में सूर्य को माधव में बताया जाता है। मेष में सूर्य का नाम "अर्यमा" कहा गया है तथा इनके ऋषि "पुलह" हैं। मेष में सूर्य की अप्सरा "पुंजिकस्थली" हैं तथा गन्धर्व "नारद" हैं। मेष में सूर्य के राक्षस "प्रहेति" हैं तथा इनके नाग "कच्छनीर" हैं। मेष में सूर्य का रूप "ओजस्व" है। 

शास्त्रानुसार सूर्य का मेष राशि में गोचर से खरमास की समाप्ति हो जाती है और इस दिन से सभी मांगलिक कार्य पुनः प्रारंभ होते हैं जैसे शादी समारोह, ग्रह प्रवेश, दुकान का उदघाटन आदि किए जा सकेंगे। 14 अप्रैल को अबूझ मुर्हूत है इस दिन पंचाग शुद्धी की आवश्यकता नहीं होती। इन मुर्हूतों में निर्विवाद रूप से विवाह मांगलिक कार्य अनंतकाल से संपन्न किए जाते हैं।

वैसाख के अर्यमा सूर्य 10 हजार किरणों के साथ तपते हैं। वह पीले वर्ण के होते हैं। यह सूर्य वंश परम्परा व प्राणियों में मित्रता करने की प्रेरणा देते हैं। मेष के सूर्य मेष परमेश्वर शिव की आराधना में विलीन रहते हैं।

आचार्य कमल नंदलाल

ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com


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