सिंह राशि के जातकों के आराध्य
punjabkesari.in Sunday, Apr 12, 2015 - 01:27 PM (IST)

इस लेख में सिंह राशि के जातकों से संबंधित जानकारियां दी जा रही हैं कि वे किस देवी-देवता की पूजा करके अपने जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर कर सकते हैं तथा सुख-शांति के साथ भी अभीष्ट की प्राप्ति कर सकते हैं। प्रत्येक जन्मलग्न में तीस अंश होते हैं और दस-दस का एक भाग बनाकर तीनों अंशों को बांट दिया जाता है। मा, मी, मे, मो, टा, टी, टू तथा टे अक्षरों को मिलाकर सिंह राशि का निर्माण होता है। इसमें मा, मी, मू तीन वर्णों को प्रथम दस अंश मे, मो, टा, को द्वितीय दशांश तथा टी, टू, टे को तृतीय अंश मानकर तीनों अंशों के अलग-अलग देवता माने जाते हैं।
22 जुलाई से 21 अगस्त के बीच जन्म लेने वाले जातकों को सिंह राशि का जातक माना जाता है। इस अवधि को तीन भागों में बांटकर प्रत्येक दशांश के जातकों का जन्म दिनांक निकाल लिया जाता है अर्थात 22 जुलाई से 31 जुलाई के मध्य जन्म लेने वाला जातक प्रथम दशांश का माना जाता है जिनका नाम मा, मी, मू, से प्रारंभ होता है।
जिनका नाम मा, मी, मू वर्णों से शुरू होता है अर्थात जिनका जन्म 22 जुलाई से 31 जुलाई के मध्य हुआ हो, वैसे जातक (स्त्री-पुरुष) को भगवान शंकर की आराधना करनी चाहिए। भगवान शंकर उनके ईष्ट देव माने जाते हैं और इन्हीं की आराधना से उन्हें अभीष्ट की प्राप्ति हो सकती है।
इन जातकों को ''ॐ नम: शिवाय’ मंत्र का जप करना शिवपञ्चाक्षरी स्तोत्र का पाठ करना, महिम्नस्तोत्र का पाठ करना, रुद्राष्टध्यायी का पाठ करना आदि लाभकारी होता है। सोमवार का व्रत करना, पंचमुखी रुद्राक्ष के साथ द्विमुखी रुद्राक्ष को मिलाकर, माला के रूप में धारण करना तथा अर्धनारीश्वर यंत्र, युगल यंत्र, रुद्रयंत्र आदि में से किसी एक को धारण करना सर्वोन्नति कारक माना जाता है।
इन जातकों को हरी वस्तुओं का दान करना चाहिए तथा सर्प को कभी भी नहीं मारना चाहिए। संभव हो तो प्रत्येक सोमवार को कम से कम एक कुंवारी कन्या को भोजन कराकर उसका आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए। इस से मा, मी, मू वर्णों से प्रारंभ होने वाले जातकों को सकारात्मक लाभ मिल सकता है। सिंह राशि के प्रथम दशांश में जन्म लेने वाले जातकों को सोमवार, बुधवार तथा शुक्रवार को मैथुन क्रिया से बचना चाहिए।
सिंह राशि के द्वितीय दशांश वाले जातकों का जन्म 1 अगस्त से 10 अगस्त के बीच का होता है। इनका नामाक्षर मे, मो तथा टा से प्रारंभ होता है। इन जातकों के ईष्ट भगवान विष्णु होते हैं। लक्ष्मीपति की कृपा से ये जातक जीवन में सुख-समृद्धि से भरपूर होते हैं।
मे, मो, टा वर्णों से नाम प्रारंभ होने वाले जातकों को ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप तुलसी की माला पर करना चाहिए। इसके साथ ही विष्णुसहस्र नाम का पाठ, विष्णु स्तोत्र का पाठ, विष्णु चालीसा का पाठ, गोपाल सहस्र नाम आदि में से किसी एक का पाठ नियमित रूप से करते रहना चाहिए। इन जातकों को विष्णुयंत्र, क्षीरशयनी यंत्र, अनंत यंत्र में से किसी एक यंत्र को अवश्य ही धारण करना चाहिए।
इन जातकों को मंगलवार, वीरवार तथा शनिवार को संभोग से स्वयं को अलग रखना चाहिए। प्रत्येक पूर्णिमा को श्री नारायण की पूजा, गुरुवार को उपवास तथा भिखारियों को दान देने की विधि भी अपनानी चाहिए। इससे उनकी सभी कामनाएं अवश्य पूरी होती हैं।
सिंह राशि के तृतीय दशांश में जन्म लेने वाले जातकों का नामाक्षर टी, टू, टे से शुरू होता है तथा इनकी जन्मतिथि 11 अगस्त से 21 अगस्त के मध्य होती है। इन जातकों के ईष्ट भगवान भैरव को माना जाता है। ॐ बं बटुकाय नम: मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला पर नियमित करते रहने से भगवान भैरव प्रसन्न होते हैं।
भैरवाष्टक, भैरवस्त्रोत, महामृत्युंजय मंत्र आदि के पाठ जाप के साथ ही भैरव यंत्र, त्रिदेवयंत्र, इंद्राक्षी यंत्र में से किसी एक यंत्र को अवश्य ही धारण करना चाहिए। इन जातकों को रविवार, मंगलवार तथा शनिवार को संभोग से अवश्य ही बचना चाहिए। ये जातक काम पीड़ा से अत्यधिक पीड़ित नजर आते हैं अतएव स्वयं पर नियंत्रण करना बहुत ही आवश्यक है। इस प्रकार सिंह राशि के जातकों को अपने मूलाक्षर एवं जन्मतिथि के अनुसार भगवान शंकर, विष्णु एवं भैरव की पूजा करके अभीष्ट को प्राप्त करना चाहिए—आनंद कुमार अनंत