Akshay Tritiya: ये उपाय करेंगे हर संकट का अंत, मां लक्ष्मी स्वयं आएंगी आपके पास

punjabkesari.in Wednesday, Apr 16, 2025 - 01:53 PM (IST)

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Akshay Tritiya 2025 Upay: अक्षय तृतीया को युगादि तिथि कहा गया है क्योंकि त्रेता युग का आरंभ इसी तिथि से माना गया है और भगवान परशुराम जी का जन्मदिन होने के कारण परशुराम तिथि भी कहलाती है। ज्योतिषीय दृष्टि से चार अबूझ व स्वयंसिद्ध मुहूर्त है, जिसमें किया गया कोई भी कार्य चिरस्थायी एवं शुभ माना जाता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, अक्षय तृतीया, दशहरा तथा दीवाली। अक्षय का अर्थ है जिसका क्षय न हो और सदा स्थायी रहे। इसे सौभाग्य सिद्धि दिवस भी कहा जाता है। इस दिन किए गए उपाय कर देते हैं हर संकट का अंत-

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इस दिन 11 कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर पूजा स्थान में रखें। इसमें देवी लक्ष्मी को आकर्षित करने की क्षमता होती है। इसका प्रयोग तंत्र-मंत्र में भी होता है। इसका कारण यह है कि देवी लक्ष्मी के समान ही कौड़ियां समुद्र से उत्पन्न हुई हैं। नियमित केसर और हल्दी से इन कौड़ियों की पूजा देवी लक्ष्मी के साथ करने से आर्थिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है। 

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एकाक्षी नारियल, जिसकी एक आंख होती है, को लक्ष्मी स्वरूप माना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन घर में पूजा स्थान में इसे स्थापित करने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। 

शिवालय अथवा शिव मंदिर में मिट्टी का पात्र दान करने से कुंवारों को मनभावन जीवनसाथी मिलता है और विवाह में आ रही सभी परेशानियां समाप्त होती हैं।

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आर्थिक उन्नति तथा अन्य समस्याओं के लिए अक्षय तृतीया पर यह उपाय करें-
इस दिन प्रात:काल स्नान आदि करके पूजा स्थान पर कम्बल या दरी बिछा कर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठें। थाली में रोली से अष्ट दल बना कर मोती शंख मध्य में रखें। घी का दीप जलाएं। पंचामृत अर्थात दूध, दही, घी, शहद, शक्कर से इसे स्नान करवाएं। फिर शुद्ध जल डालें। यह मंत्र 11 या 108 बार पढ़ते हुए 
 
ओम् श्रीं श्रियै नम: !! या ॐ श्रीं ह्रीं दारिद्रय विनाशिन्यै धन धान्य समृद्धि देहि देहि नमः ।। 

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चावल शंख पर चढ़ाते जाएं। कुछ चावल शंख में भरें, लाल कपड़े में बांधें। इसके अलावा संभव हो तो आप श्री लक्ष्मी चरण पादुका, लक्ष्मी जी की मूर्त, अष्टलक्ष्मी यंत्र, रक्त गुंजा, गोमती चक्र, काली हल्दी, लक्ष्मी कारक कौड़ियां, नाग केशर आदि भी पूजा स्थान पर रख सकते हैं। जिन्हें सदा ही लक्ष्मी प्रदायक माना गया है। शेष चावल की खीर बनाकर बांट दें। शंख तथा अन्य वस्तुओं को तिजोरी या पूजा स्थान पर रखें।

 


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Content Writer

Niyati Bhandari

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