Varuthini Ekadashi 2025: तुलसी करेगी चमत्कार, वरूथिनी एकादशी पर इन उपायों से बदल जाएगी आपकी किस्मत
punjabkesari.in Sunday, Apr 20, 2025 - 07:46 AM (IST)

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Varuthini Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व होता है और वर्ष भर में कुल 24 एकादशी आती हैं। इन सभी एकादशियों में से वरूथिनी एकादशी एक अत्यंत शुभ और फलदायी तिथि मानी जाती है। वर्ष 2025 में वरूथिनी एकादशी 24 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस पावन अवसर पर यदि श्रद्धालु तुलसी से जुड़े कुछ विशेष कार्य करें तो न केवल व्रत का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है, बल्कि भगवान श्रीहरि की कृपा भी जीवन भर बनी रहती है। यह एकादशी सभी प्रकार की बाधाओं, कष्टों और पापों से मुक्ति दिलाने वाली मानी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विधि-विधान से व्रत करने और भगवान विष्णु की पूजा करने से मनुष्य को भूत, भविष्य और वर्तमान के समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। आइए विस्तार से जानें वरूथिनी एकादशी का महत्व, पूजन विधि, तुलसी से जुड़े कार्य और उनके चमत्कारी लाभ।
तुलसी से जुड़े ये कार्य करेंगे वरूथिनी एकादशी पर विशेष लाभ प्रदान
तुलसी की परिक्रमा करें
वरूथिनी एकादशी के दिन तुलसी के पौधे की 108 बार परिक्रमा करने से विष्णु जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इससे नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और मन को शांति मिलती है।
तुलसी दल अर्पित करें
भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी का पत्ता अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन कम से कम 11 तुलसी दल विष्णु जी के चरणों में चढ़ाएं। यह कार्य भक्त को पापों से मुक्ति दिलाता है।
तुलसी के पास दीपक जलाएं
तुलसी के पौधे के पास शाम को दीपक जलाएं। घी का दीपक जलाकर तुलसी माता को प्रणाम करें। मान्यता है कि इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है और दरिद्रता दूर होती है।
तुलसी मंत्रों का जाप करें
इस दिन ॐ तुलस्यै नमः मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। इससे तन-मन शुद्ध होता है और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।
तुलसी के समीप संकल्प करें
यदि कोई विशेष इच्छा या संकल्प है, तो तुलसी के पास बैठकर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए संकल्प लें। ऐसा करने से वह संकल्प शीघ्र पूरा होता है, विशेषकर यदि वह धर्म और सेवा से जुड़ा हो।
तुलसी पूजन से जुड़ी मान्यताएं
तुलसी को कभी भी छुरा या कैंची से नहीं तोड़ना चाहिए। केवल हाथों से ही तुलसी दल तोड़ें।
संध्या के बाद तुलसी दल तोड़ना वर्जित है।
तुलसी को गंदे हाथों से न छुएं और न ही झूठा जल चढ़ाएं।
तुलसी के पास अपवित्र बातें या झूठ बोलना अशुभ माना जाता है।