अक्षय तृतीया 2019ः इस दिन कर लें ये उपाय हो जाएंगे आपके वारे-नयारे

punjabkesari.in Monday, May 06, 2019 - 04:19 PM (IST)

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ये बात तो सब जानते ही हैं कि वैशाख का महीना शुरु हो चुका है और शास्त्रों में वैशाख माह को सबसे श्रेष्ठ बताया है। इसी माह में शुक्ल पक्ष में पड़नी वाली तिथि को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है और इस बार यह पर्व कल यानि 07 मई 2019 मनाया जाएगा। ऐसा कहा जाता है कि इसी दिन माता पार्वती ने घोर तप करके भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त किया था। तभी शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद दिया था कि इस दिन किसी भी प्राणी द्वारा मन-वचन और कर्म से किया गया पूजन और व्रत निष्फल नहीं जाएगा। आइए आगे जानतें हैं अक्षय तृतीया का पौराणिक महत्व और इस दिन का महा उपाय-
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अक्षय तृतीया की पावन तिथि अबूझ मुहूर्त के रूप में जानी जाती है। इसी दिन भगवान परशुराम की जयंती भी मनाई जाती है और यह सतयुग के आरंभ तिथि है। मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने मैथुनी सृष्टि का सृजन इसी दिन किया था। जिसके फलस्वरूप अक्षय तिथि होने के कारण प्राणियों की वृद्धि दर वृद्धि होती रही है। 

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महाउपायः
कई लोगों का मानना है कि इस दिन सोने की खरीदारी करना शुभ होता है। लेकिन शास्त्रों के हिसाब से इस दिन ऐसा कुछ जरूरी नहीं होता है। घर-परिवार में सुख-सौभाग्य और समृद्धि के लिए इस दिन सोना खरीदने की बजाए कुछ वस्तुओं का दान ज्यादा शुभ फल प्रदान करने वाला होता है। जैसे कि पुस्तक दान, औषधि दान, अन्न दान, वस्त्र दान, कन्यादान अत्यंत शुभ फल प्रदान करने के साथ सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला है।
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सुख-समृद्धि और सौभाग्यदायिनी अक्षय तृतीया सिर्फ भगवान शिव एवं पार्वती की पूजा कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए ही नहीं है, बल्कि यह वाहन खरीदने, वर-कन्या के मेल-मिलाप, वरीक्षा या सगाई, विवाह, द्विरागमन, मकान खरीदने, नये व्यापार के शुभारंभ, गुरु मंत्र प्राप्त करने, नए अनुबंध, नई दुकान खोलने, गृह प्रवेश समेत किसी भी नवीन कार्य के लिए भी शुभ है। 

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इस पूजन विधि से पाएं अक्षय पुण्यः
सबसे पहले सुबह स्नान करके शिव व माता पार्वती का पूरे विधि-विधान के साथ पूजन करें और उनके आशीर्वाद प्राप्त करें और साथ ही पूरे मन से 'ॐ पार्वती पतये नम:' अथवा 'ॐ नम: शिवाय' मंत्र पढ़ते हुए पंचामृत से भगवान को स्नान करवाएं। तत्पश्चात् वस्त्र चंदन यज्ञोपवीत गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, नारियल एवं ऋतुफल चढ़ाकर 'ॐ पां पार्वती देव्यै नम:' मंत्र से 11 बार स्तवन करें। अपने मन में पूरी श्रद्धा भावना के सामने उनकी आराधना करें। 


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