कैसे होगा धरती के प्रति संवेदनशील पीढ़ी का निर्माण : सोनाली खान
punjabkesari.in Tuesday, Jul 18, 2023 - 10:51 PM (IST)

विभिन्न प्रकार की पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर रही दुनिया को इसके समाधान की शुरुआत बच्चों से करनी होगी। पर्यावरण के ऊपर बात करते हुए सेसमी वर्कशॉप इंडिया ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी सोनाली खान ने बताया की बचपन से सिखाई गई पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता ही युवा पीढ़ी को पर्यावरण के प्रति सौहार्दपूर्वक रहने और एक पर्यावरण के अनुकूल टिकाऊ जीवन शैली अपनाने में मदद करेगी। कम उम्र से ही बच्चों को पर्यावरण शिक्षा और उसे सुरक्षित रखने का अभ्यास सिखा कर, हम अपने बच्चों को पानी की कमी, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक ज्ञान, मूल्यों और कौशल से लैस कर सकते हैं। पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता विकसित करने के उद्देश्य से, माता-पिता, स्कूल व संस्था सभी मिलकर प्रयास करके एक नई पीढ़ी का निर्माण कर सकते हैं। यह नई पीढ़ी पृथ्वी और पर्यावरण के प्रति अधिक जिम्मेदारी महसूस करेगी और सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद करेगी।
संसाधनों का विचारशील और जिम्मेदार तरीके से उपयोग:
लापरवाह उपभोग की प्रचलित संस्कृति ने पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया है। इस मुद्दे के समाधान के लिए, हमें विचारशील और जिम्मेदार तरीके से संसाधनों का उपयोग किए जाने को बढ़ावा देना चाहिए। बच्चों को उनके कार्यों के परिणामों के बारे में शिक्षित करके और जिम्मेदार उपभोग की आदतों को प्रोत्साहित करके, हम उनके अंदर पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता और जवाबदेही की भावना पैदा कर सकते हैं और उन्हें पर्यावरण को संरक्षित करने वाले विकल्प चुनने के लिए जागरूक और प्रेरित कर सकते हैं।
पाठ्यक्रम के साथ पर्यावरण शिक्षा को एकीकृत करना:
कम उम्र से ही छात्रों के पाठ्यक्रम में पर्यावरण शिक्षा और प्रथाओं को शामिल करना बेहद महत्वपूर्ण कदम है। यह एकीकरण सुनिश्चित करता है कि पर्यावरणीय चेतना बच्चों की शिक्षा का एक मूलभूत पहलू बन जाए। पारिस्थितिकी और सतत विकास जैसे विषयों को शामिल करके, हम छात्रों को पर्यावरणीय चुनौतियों की समग्र समझ विकसित करने में मदद कर सकते हैं। यह उन्हें बदलाव का एक बड़ा कारण बनने के लिए के लिए सशक्त करेगा, जो भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए नए समाधान खोज सकते हैं और एक सकारात्मक परिवर्तन के वाहक बन सकते हैं।
पर्यावरणीय चेतना के पोषण में माता-पिता की भूमिका:
माता-पिता अपने बच्चों को उनके दैनिक जीवन में सरल लेकिन प्रभावी पर्यावरण-अनुकूल कार्यों का अभ्यास करने के लिए समर्थन और प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। रोल मॉडल बनकर और स्वयं पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं में संलग्न होकर, माता-पिता अपने बच्चों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। रीसाइक्लिंग, ऊर्जा और पानी का संरक्षण और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन और अपशिष्ट प्रबंधन विकल्पों को अपनाने जैसी गतिविधियों को प्रोत्साहित करने से पर्यावरणीय संवेदना और व्यवहार का विकास होगा, जो आजीवन बना रहेगा।
अपशिष्ट प्रबंधन के प्रति जागरूकता में स्कूलों का योगदान:
स्कूल, बच्चों को अपशिष्ट प्रबंधन और पर्यावरण की सुरक्षा के बारे में सीखने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। स्कूलों में विभिन्न प्रकार के कचरे को अलग-अलग श्रेणियों में बांटकर, उन्हें अलग करके, उनके रीसाइक्लिंग को प्रोत्साहित करके और छात्रों को जीरो वेस्ट करने के महत्व के बारे में पढ़ाकर ऐसा कर सकते हैं। स्कूल अभियानों और गतिविधियों के माध्यम से भी जागरूकता बढ़ा सकते हैं। इस तरह के प्रयास स्टूडेंट में पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना विकसित करने और पर्यावरण के प्रति जागरूक व्यक्ति बनने में मदद करते हैं। ऐसे प्रयासों से स्कूली छात्रों को पर्यावरण की देखभाल करना और अपने समुदाय पर सकारात्मक प्रभाव डालना सिखाया जा सकता है।
सरकारी पहल:
भारत में, सरकार ने मिशन लाइफ की शुरुआत की है, जो लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए अपने दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलाव करने के लिए प्रोत्साहित करता है। उदाहरण के लिए, यदि लोग बड़ी गाड़ी से चलने के बजाय पैदल चलना या साइकिल चलाने का विकल्प चुन सकते हैं, प्लास्टिक का उपयोग कम कर सकते हैं और रीसाइक्लिंग किए जा सकने वाली वस्तुओं का प्रयोग बढ़ा सकते हैं। सरकार, बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए भी काम कर रही है। छात्रों को पर्यावरणीय मुद्दों के बारे में सिखाने और वे इसके लिए कैसे सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं, यह सिखाने के लिए स्कूलों में इको क्लब स्थापित किए गए हैं। ये सरकारी पहल इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये लोगों के व्यवहार को बदलने और पर्यावरण के लिए बदलाव लाने में मददगार साबित हो रही है
सतत व सुरक्षित पर्यावरणीय भविष्य के लिए सहयोगात्मक प्रयास:
पृथ्वी व पर्यावरण की परवाह करने वाली पीढ़ी के निर्माण में माता-पिता, स्कूलों, व्यवसायों और सरकारों के लिए एक साथ काम करना बेहद जरूरी है। सेसमी वर्कशॉप इंडिया ट्रस्ट, क्लीन एयर फंड जैसी संस्थाएं बच्चों और युवाओं को पर्यावरण संबंधी मुद्दों के प्रति जागरूक करने के लिए समाज के सभी अंगों के साथ काम कर रही हैं। कम उम्र में पर्यावरणीय स्थिरता के बारे में जागरूकता बढ़ाकर, हम पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों और सेवाओं की मांग पैदा कर सकते हैं जो अंततः हमारे रहने और काम करने के तरीके में बदलाव लाएंगे। सहयोग में एक साथ काम कर, ये सभी हितधारक धरती के लिए अधिक टिकाऊ भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। समुदाय पेड़ लगाने, नदियों को साफ करने और अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए एक साथ मिलकर काम कर सकते हैं। टिकाऊ उत्पाद और सेवाएँ विकसित करने के लिए कंपनियां गैर-लाभकारी संस्थाओं के साथ साझेदारी कर सकती हैं। वहीं विश्वविद्यालय पर्यावरणीय स्थिरता पर शोध कर सकते हैं और पर्यावरण के प्रति जागरूक नेतृत्व की अगली पीढ़ी को प्रशिक्षित कर सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय संगठन जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वैश्विक प्रयासों के समन्वय के लिए काम कर सकते हैं। हालांकि, स्थिरता एक जटिल मुद्दा है, लेकिन इसे हल करने के लिए हम सभी मिलकर काम कर सकते हैं। एक दूसरे के साथ सहयोग करके, हम धरती और भावी पीढ़ियों के लिए सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
अपने बच्चों को प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर रहना और उन्हें पर्यावरण-अनुकूल जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना वास्तव में भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। हम उनके स्कूल के विषयों में पर्यावरण संबंधी पाठ जोड़कर, माता-पिता को हरित कार्यों को बढ़ावा देने में शामिल करके, स्कूलों में कचरे के प्रबंधन के तरीके में सुधार करके और सरकार द्वारा इन प्रयासों के लिए समर्थन प्राप्त कर ऐसा सरलता से कर सकते हैं। इन क्रियाकलापों को अपना कर, हम ऐसे लोगों की एक नई पीढ़ी तैयार कर सकते हैं जो धरती की परवाह करती हो। वे टिकाऊ प्रथाओं के लिए एक मजबूत मांग पैदा करेंगे, जो व्यवसायों को बदलाव के लिए प्रेरित करेगी और वे अधिक पर्यावरण-अनुकूल उत्पाद पेश करेंगे। इन प्रयासों से मौजूदा नीतियों में बदलाव आएगा और सरकारों और उद्योगों द्वारा नई नीतियां बनाई जाएंगी। इन नीतियों का उद्देश्य संसाधनों का टिकाऊ तरीके से उपयोग करना और टिकाऊ तरीके से उत्पादन करने की प्रक्रिया को बढ़ावा देना होगा। हमें अपने बच्चों को पर्यावरण के बारे में सिखाना चाहिए और उन्हें यह सीखने में मदद करनी चाहिए कि उसकी देखभाल कैसे करें ताकि वे धरती के भविष्य पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकें।