शास्त्रों के अनुसार न खाएं इन लोगों का जूठा जानिए Side effects
punjabkesari.in Tuesday, Mar 22, 2016 - 12:45 PM (IST)

शास्त्रों में भोजन को लेकर कई तरीके बताए गए हैं जिनसे स्वास्थ्य पर सकारात्मक और नकारात्मक असर भी पड़ता है। खाना खाते समय यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो स्वास्थ्य लाभ के साथ ही ईश्वरीय कृपा भी प्राप्त की जा सकती है। शास्त्रों में किसी का जूठा खाने पर भी बड़ा प्रतिबंध है। जिसके कारण तन और मन पर बहुत सारे दुष्प्रभाव पड़ते हैं।
गीता में कहा गया है कि उत्तम मनुष्य को बासी, दूषित और मन को विचलित करने वाले आहार से बचना चाहिए। इसलिए पवित्र भोजन ग्रहण करें।
* केश और कीड़ों से युक्त, जिस अन्न के प्रति दूषित भावना हो, कुत्ते द्वारा सूंघा हुआ, दोबारा पकाया गया, अनादरपूर्वक परोसा गया, बासी अन्न का त्याग कर देना चाहिए। (केशकीटावपन्नंच... कूर्मपुराण, उ. 17/26-29)
* मतवाले, क्रुद्ध और रोगी के अन्न व केश, कीट से दूषित अन्न तथा इच्छापूर्वक पैर से छुए गए अन्न को कभी न खाएं। (मत्तकुद्धातुराणां च... मनुस्मृति 4/207)
* गर्भहत्या करने वाले के देखे हुए, पक्षी से खाए हुए और कुत्ते से छुए हुए अन्न को नहीं खाना चाहिए। (भ्रूणघ्नावेक्षितं चैव...गौतमधर्मसूत्र... 1/8/90)
* बाएं हाथ से लाया गया अथवा परोसा गया अन्न, बासी भात, शराब मिला हुआ, जूठा और घरवालों को न देकर अपने लिए बनाया हुआ अन्न खाने योग्य नहीं है। (वामहस्ताहृतं चान्नं... महाभारत, अनु 143/17)
* उन्मत, क्रोधी और दुख से आतुर मनुष्य के अन्न का कभी भी भोजन नहीं करना चाहिए। (मत्तक्रुद्धातुराणां...अग्रिपुराण 168/2)