why market down today: लगातार पांचवें दिन शेयर बाजार में गिरावट, एक दिन में निवेशकों के डूबे 10 लाख करोड़

punjabkesari.in Tuesday, Feb 11, 2025 - 03:32 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः शेयर बाजार में आज लगातार पांचवें दिन गिरावट देखने को मिली। बैंकिंग, ऑटो, मेटल और IT शेयरों में भारी बिकवाली देखी गई। कमजोर घरेलू कमाई और अमेरिकी व्यापार नीति को लेकर चिंता ने निवेशकों का उत्साह ठंडा कर दिया। दोपहर 2.09 बजे बीएसई सेंसेक्स 1,227 अंक यानी 1.59% की गिरावट के साथ 76,084 पर कारोबार कर रहा था। वहीं निफ्टी 50 इंडेक्स भी 23,000 अंक से नीचे आ गया। 

कारोबार के अंत में सेंसेक्स 1018 अंक लुढ़ककर 76,293 के स्तर जबकि निफ्टी 309 अंक गिरकर 23071 के स्तर पर बंद हुआ। इस गिरावट से बीएसई में लिस्टेड सभी कंपनियों का कुल मार्केट कैप 9.87 लाख करोड़ रुपए घटकर 407.95 लाख करोड़ रुपए रह गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे से पहले अडानी ग्रुप के लिए सकारात्मक खबर आई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उस कानून के लागू होने पर रोक लगा दी है, जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी अधिकारियों को भुगतान या लेन-देन करने से रोकता था। ट्रंप का मानना है कि यह कानून अमेरिकी कंपनियों के लिए बाधा बन रहा था। इस फैसले के बाद अडानी ग्रुप के कुछ शेयरों में मजबूती देखने को मिली है। ग्रुप की प्रमुख कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज के शेयर में लगभग 4% की बढ़त दर्ज की गई, जिससे यह 2,397 रुपए तक पहुंच गया। वहीं, अडानी पावर के शेयरों में भी करीब 4% की तेजी देखी गई।

HDFC Bank, ICICI Bank और Kotak Mahindra Bank के शेयरों में 3% तक की गिरावट देखी गई। इन तीनों बैंकों ने सेंसेक्स की कुल गिरावट में 270 अंकों का योगदान दिया। ये बैंक बाजार में गिरावट के प्रमुख कारणों में से एक रहे। 

अमेरिका में टैरिफ

बाजार में गिरावट का पहला कारण है अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमीनियम पर टैरिफ में बढ़ोतरी। ट्रंप ने सोमवार को स्टील और एल्युमीनियम के आयात पर टैरिफ में 25 फीसदी वृद्धि की घोषणा की। इसका उद्देश्य संघर्ष कर रहे उद्योगों को समर्थन देना है लेकिन इससे कई देशों के साथ व्यापार युद्ध का खतरा बढ़ गया है। व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने पुष्टि की कि नए टैरिफ 4 मार्च से लागू होंगे। कनाडा, ब्राजील, मैक्सिको, दक्षिण कोरिया और अन्य देशों से आयात पर दर 25% हो जाएगी जिन्हें पहले छूट मिलती थी।

दूसरा कारण है फेडरल रिजर्व के प्रेजिडेंट जेरोम पॉवेल की सीनेट की बैंकिंग, हाउसिंग और शहरी मामलों की समिति के समक्ष पेशी होनी है। टैरिफ और महंगाई पर उनकी टिप्पणियों पर बारीकी से नजर रखी जाएगी ताकि भविष्य की मौद्रिक नीति के बारे में जानकारी मिल सके। 

तीसरा कारण है लगातार विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की बिकवाली। NSDL के आंकड़ों के अनुसार, इस साल अब तक विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 9.94 बिलियन डॉलर के भारतीय शेयर बेचे हैं, जिससे बाजार में और गिरावट आई है।

चौथा कारण है ऊंची बॉन्ड यील्ड और डॉलर इंडेक्स। अमेरिका में 10 साल की मैज्योरिटी पीरियड वाले ट्रेजरी बॉन्ड पर यील्ड 4.495% पर है, जबकि 2-वर्षीय यील्ड 4.281% पर है। डॉलर इंडेक्स 108.36 पर पहुंच चुका है। डॉलर के मजबूत होने से भारत जैसे उभरते बाजारों से पूंजी का आउटफ्लो बढ़ा है। उच्च बॉन्ड यील्ड अमेरिकी संपत्तियों को अधिक आकर्षक बनाते हैं और मजबूत डॉलर विदेशी पूंजी लागत को बढ़ाता है, जिससे बाजार की धारणा और कमजोर होती है।
 


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Content Writer

jyoti choudhary

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