Stock Market New Rules: शेयर बाजार निवेशक ध्यान दें, कल से बदल जाएगा ये नियम
punjabkesari.in Tuesday, Sep 30, 2025 - 02:01 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) मार्केट में बड़े बदलाव किए हैं, जो 1 अक्टूबर से लागू होंगे। अब ओपन इंटरेस्ट (OI) की गणना नए फॉर्मूले से की जाएगी, जिसे फ्यूचर्स इक्विवैलेंट या डेल्टा-बेस्ड फॉर्मूला कहा जाता है। इस बदलाव का असर सीधे यह तय करेगा कि कौन-सा शेयर बैन लिस्ट में जाएगा और कितने समय तक रहेगा।
नई Market-Wide Position Limit (MWPL) अब कैश मार्केट वॉल्यूम और फ्री फ्लोट से जुड़ी होगी। फॉर्मूला ऐसा होगा कि फ्री फ्लोट का 15% या पिछले तीन महीनों के औसत डेली डिलीवरी वॉल्यूम (ADDV) का 65 गुना, जो भी कम होगा, वही लागू होगा। उदाहरण के लिए, अगर किसी स्टॉक का फ्री फ्लोट 80 करोड़ शेयर है और ADDV 10 लाख शेयर, तो MWPL 6.5 करोड़ शेयर होगा।
बैन पीरियड में ट्रेडिंग
बैन पीरियड में ट्रेडिंग के नियम भी बदले हैं। पहले अगर किसी शेयर का OI MWPL के 95% से ऊपर जाता था, तो वह बैन में चला जाता और इस दौरान नई पोज़िशन नहीं बनाई जा सकती थी। अब बैन पीरियड में पोज़िशन बनाई जा सकती है, बशर्ते दिन के अंत में OI घटकर कम हो। शेयर तब ही बैन से बाहर आएगा जब OI MWPL के 80% से नीचे आ जाए।
इंडेक्स डेरिवेटिव्स में इंट्राडे लिमिट
इंडेक्स डेरिवेटिव्स में अब इंट्राडे पोज़िशन की लिमिट तय की गई है। नेट पोज़िशन अधिकतम ₹5,000 करोड़ प्रति एंटिटी और ग्रॉस पोज़िशन ₹10,000 करोड़ तक होगी। एक्सचेंज दिन में कम से कम चार बार रैंडम स्नैपशॉट लेकर निगरानी करेगा। एक्सपायरी डे पर लिमिट तोड़ने पर पेनल्टी या सरवेलांस डिपॉज़िट लगेगा।
सिंगल-स्टॉक डेरिवेटिव्स में भी एंटिटी-लेवल लिमिट लागू होगी। इंडिविजुअल निवेशक 10% MWPL तक, प्रॉप ब्रोकर 20% MWPL तक और FPIs व ब्रोकर मिलकर कुल 30% MWPL तक पोज़िशन रख सकते हैं। इससे किसी एक बड़े निवेशक का बाजार पर अत्यधिक नियंत्रण नहीं रहेगा।
आने वाले बदलाव
आने वाले बदलावों में 3 नवंबर 2025 से नॉन-बेंचमार्क इंडेक्स डेरिवेटिव्स के लिए नई पात्रता शर्तें लागू होंगी, जबकि 6 दिसंबर 2025 से F&O सेगमेंट में प्री-ओपन और पोस्ट-क्लोजिंग सेशन शुरू होंगे और एक्सपायरी डे पर पोज़िशन लिमिट तोड़ने पर पेनल्टी लागू होगी।
SEBI का मकसद
SEBI इन नियमों के माध्यम से मार्केट में पारदर्शिता बढ़ाना और डेरिवेटिव्स मार्केट को स्थिर बनाना चाहता है। हाल के वर्षों में इस सेक्टर में सट्टेबाज़ी तेज़ हुई है और SEBI के ये नए कदम उसे नियंत्रित करने और जोखिम कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं।