नाबार्ड की रिपोर्ट, कृषि क्षेत्र में तेजी से बढ़ी आमदनी

punjabkesari.in Friday, Aug 17, 2018 - 12:37 PM (IST)

नई दिल्लीः भारत में खेती बाड़ी से जुड़े करीब 53 फीसदी परिवार कुछ न कुछ कर्ज से दबे हैं। नाबार्ड के एक सर्वे के मुताबिक यह आंकड़े  2012-13 और 2015-16 के बीच कम नहीं हुए हैं। इस अवधि के दौरान प्रति परिवार औसत कर्ज की मात्रा बढ़ी है। नाबार्ड की ओर से जारी सर्वे के मुताबिक 2012-13 और 2015-16 के बीच भारत के किसानों की सालाना औसत आमदनी 12 फीसदी चक्रवृद्धि दर से बढ़ी है।

अगर यह आंकड़े सही हैं तो किसानोंं की 2022 तक आमदनी दोगुनी करने पर बनी उच्चाधिकार प्राप्त सरकारी समिति की सालाना वृद्धि दर की उम्मीद से ज्यादा है। नैशनल रेनफेड एरिया अथॉरिटी (एनआरएए) के सीईओ अशोक दलवी की अध्यक्षता में बनी समिति ने कहा है कि किसानोंं की वास्तविक आमदनी में 10.4 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि वृद्धि दर होनी चाहिए जिसेस 2022 तक किसानोंं की आमदनी दोगुनी हो सके।

नाबार्ड के सर्वे से पता चलता है कि 2015-15 के दौरान 29 राज्यों में से 19 राज्यों के किसानों की आमदनी देश के औसत की तुलना में ज्यादा थी और 15 राज्यों की सालाना चक्रवृद्धि वृद्धि दर 2012-13 से 2015-16 के बीच 10.5 फीसदी से ज्यादा रही है। सर्वे में कहा गया है, ‘कृषि परिवारों की आमदनी में खेती से आमदनी की हिस्सेदारी 34 फीसदी है, जबकि गैर कृषि वाले परिवारों की आमदनी में मजदूरी की हिस्सेदारी करीब 54 फीसदी है।’

नाबार्ड के सर्वे से पता चलता है कि 2015-16 में कर्ज लेने वालों की सबसे ज्यादा संख्या तेलंगाना (79 फीसदी) रही, उसके बाद आंध्र प्रदेश (77 फीसदी), कर्नाटक (74 फीसदी) का स्थान है। एनएसएसओ के 2012-13 के सर्वे में भी यह सामने आया था कि कर्ज के मामले में आंध्र प्रदेश पहले स्थान पर है और उसके बाद तेलंगाना, तमिलनाडु और असम आते हैं। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Supreet Kaur

Recommended News

Related News