भारत में तेल और ड्राई फ्रूट्स की सप्लाई पर मंडराया संकट, कीमतों में तेजी तय

punjabkesari.in Thursday, Jun 19, 2025 - 04:43 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः मिडिल ईस्ट में ईरान और इजरायल के बीच चल रही लड़ाई आज सातवें दिन में प्रवेश कर चुकी है और इसका असर अब वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर साफ दिखने लगा है। भारत के लिए भी यह संघर्ष चिंता का विषय बनता जा रहा है खासतौर पर कच्चे तेल और सूखे मेवों (ड्राई फ्रूट्स) की सप्लाई को लेकर।

भारत अपनी कुल कच्चे तेल की जरूरतों का लगभग 80% आयात करता है, जिसमें कुवैत, कतर, इराक और सऊदी अरब जैसे मध्य-पूर्वी देश प्रमुख आपूर्तिकर्ता हैं। ईरान-इजरायल युद्ध के चलते अब मिडिल ईस्ट से तेल की आपूर्ति बाधित होने का खतरा बढ़ गया है। इसका सीधा असर पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर पड़ सकता है, जो आम जनता की जेब पर अतिरिक्त भार डालेगा।

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ड्राई फ्रूट्स की सप्लाई पर भी संकट

इस संघर्ष का असर केवल ऊर्जा तक सीमित नहीं है। भारत अफगानिस्तान और ईरान से बड़ी मात्रा में ड्राई फ्रूट्स जैसे अखरोट, बादाम, किशमिश, खजूर और पिस्ता आयात करता है।

पहले ये ड्राई फ्रूट्स पाकिस्तान के रास्ते भारत आते थे लेकिन हाल के तनाव के चलते अब इन्हें ईरान के चाबहार बंदरगाह से भेजा जाता है। अब ईरान भी जंग की चपेट में है, जिससे ड्राई फ्रूट्स की सप्लाई ठप हो गई है। दिल्ली के थोक बाजारों में सूखे मेवों की कीमतें 5 से 10 गुना तक बढ़ गई हैं। अगर जल्द सप्लाई बहाल नहीं होती, तो आगामी त्योहारों में ये दाम और चढ़ सकते हैं।

दुबई के जरिए होती थी सप्लाई

ईरान से भारत में आने वाले अधिकांश ड्राई फ्रूट्स पहले दुबई के रास्ते भेजे जाते थे। दुबई में बड़े व्यापारिक वेयरहाउस हैं, जहां से भारतीय कारोबारियों को थोक में माल भेजा जाता है। अब इस मार्ग पर भी खतरा मंडरा रहा है।

दिल्ली किराना कमेटी के महासचिव धीरज वी. सिंधवानी के अनुसार, "अगर ड्राई फ्रूट्स की आपूर्ति जल्दी बहाल नहीं हुई, तो कीमतों में भारी उछाल तय है।"

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भारत-ईरान व्यापार पर असर

भारत ईरान से न केवल तेल और सूखे मेवे, बल्कि नमक, सल्फर, चूना, सीमेंट, प्लास्टिक उत्पाद, लोहा-इस्पात, ऑर्गेनिक केमिकल्स, गोंद और रेजिन भी आयात करता है।

  • मार्च 2025 में भारत ने ईरान से 43 मिलियन डॉलर का सामान मंगाया और 130 मिलियन डॉलर का निर्यात किया।
  • पिछले साल की तुलना में ईरान को भारत का एक्सपोर्ट 47.1% बढ़ा है।
  • वहीं, ईरान से आयात 23.6% घटा है, जो अब युद्ध के चलते और गिर सकता है।

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गुरुवार को मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर कच्चे तेल की कीमतों में तेज़ी दर्ज की गई, जिसकी प्रमुख वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमतों में आई उछाल रही। यह उछाल ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के चलते देखा गया, जिससे तेल आपूर्ति बाधित होने की आशंका बढ़ गई है।

गोल्डमैन सैक्स के अनुसार, मौजूदा भूराजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए कच्चे तेल में $10 प्रति बैरल का “रिस्क प्रीमियम” उचित है। यदि हालात और बिगड़ते हैं, तो ब्रेंट क्रूड $90 तक पहुंच सकता है। मेहता इक्विटीज लिमिटेड के राहुल कालंत्री के अनुसार, कच्चे तेल को आज के सेशन में $72.50 – $71.90 पर सपोर्ट और $73.85 – $74.50 पर रेजिस्टेंस मिल सकता है। वहीं MCX पर कच्चे तेल को 6,250 – 6,170 रुपए पर सपोर्ट और 6,395 – 6,470 रुपए पर रेजिस्टेंस देखने को मिल सकता है। 
 


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Content Writer

jyoti choudhary

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