World Bank की रिपोर्ट ने बढ़ाई चिंता, दुनिया की अर्थव्यवस्था संकट में, भारत पर क्या होगा असर?
punjabkesari.in Wednesday, Jun 11, 2025 - 05:44 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः रूस-यूक्रेन युद्ध, इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष और वैश्विक व्यापार युद्ध के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहराता दबाव अब मंदी की आशंका को जन्म दे रहा है। विश्व बैंक ने हाल ही में अपनी जून 2025 की वैश्विक ग्रोथ रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि 2025 में दुनिया की आर्थिक वृद्धि दर घटकर सिर्फ 2.3% रह सकती है, जो एक दशक में सबसे कमजोर स्तरों में से एक है।
भारत फिर भी सबसे मजबूत
रिपोर्ट में भारत को लेकर संतोषजनक संकेत हैं। जहां दुनिया की अधिकांश अर्थव्यवस्थाएं सुस्त होती दिख रही हैं, वहीं भारत की GDP ग्रोथ दर 2026-27 तक 6.5% रहने का अनुमान है हालांकि यह पहले के 6.7% अनुमान से थोड़ा कम है। विश्व बैंक ने इसे वैश्विक चुनौतियों के बावजूद “सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था” बताया है।
मंदी की ओर क्यों बढ़ रही है वैश्विक अर्थव्यवस्था?
1. वैश्विक व्यापार पर चोट:
अमेरिका समेत कई प्रमुख देशों द्वारा टैरिफ और ट्रेड प्रतिबंध बढ़ाए जाने से वैश्विक व्यापार प्रभावित हुआ है। इससे विकासशील देशों में आपूर्ति श्रृंखला और एक्सपोर्ट पर सीधा असर पड़ा है।
2. नीतिगत अनिश्चितता:
ब्याज दरों और व्यापार नीतियों को लेकर अस्थिरता ने निवेशकों में भ्रम पैदा किया है, जिससे पूंजी प्रवाह पर असर पड़ा है।
3. महंगाई और ब्याज दरों का दबाव:
केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने से मांग में गिरावट आई है, जो विकासशील देशों की रिकवरी को कमजोर बना रही है।
4. ऊर्जा और खाद्य संकट:
रूस-यूक्रेन युद्ध से वैश्विक आपूर्ति बाधित हुई है, जिससे गरीब देशों में महंगाई और अस्थिरता बढ़ी है।
5. उभरते देशों पर कर्ज का बोझ:
कई विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था भारी कर्ज के नीचे दबी है। विदेशी निवेश में गिरावट ने उनकी स्थिति और बिगाड़ दी है।
दुनिया को डराते हैं ये आंकड़े:
- ग्लोबल ट्रेड ग्रोथ 2024 में 3.4% थी, जो 2025 में घटकर 1.8% रहने का अनुमान है।
- अमेरिका की आर्थिक वृद्धि 2025 में घटकर 1.4% रह सकती है, जो 2024 में 2.8% थी।
- अगले दशक में वैश्विक ग्रोथ की औसत दर 2.5% रहने का अनुमान है- जो 1960 के बाद सबसे कम हो सकती है।
भारत की स्थिति क्यों बेहतर?
विश्व बैंक का कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था लचीली है और उसका सेवा क्षेत्र का निर्यात मजबूत बना हुआ है। इसके अलावा, कम चालू खाता घाटा और स्थिर मैक्रोइकनॉमिक नीतियां भारत को बाहरी झटकों से सुरक्षा प्रदान कर रही हैं।