अधिक फसल व आयातित तेल ने सरसों के दाम गिराए

punjabkesari.in Tuesday, Mar 07, 2023 - 12:54 PM (IST)

नई दिल्लीः बंपर पैदावार के दबाव और आयातित सस्ते खाद्य तेल के कारण सरसों के दाम गिर रहे हैं। सरसों की नई फसल की कटाई के दौरान दाम गिरने से किसान चिंतित हैं। हालांकि गर्मी के कारण खेत में खड़ी फसल को नुकसान पहुंचने की चर्चा के कारण दामों में कुछ सुधार हुआ।

सरसों के दाम में जारी गिरावट को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने 20 लाख टन सूरजमुखी के आयातित तेल पर शून्य आयात शुल्क खत्म कर दिया है। केंद्र ने रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान सूरजमुखी के तेल पर शून्य आयात शुल्क की इजाजत दी थी। हालांकि कारोबार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक आयात शुल्क खत्म करना पर्याप्त नहीं है।

विभिन्न एजेंसियों के आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान के जयपुर मार्केट में सरसों के बेंचमार्क भाव में 1 फरवरी से शुरू हुए महीने की तुलना में करीब आठ फीसदी की गिरावट आ गई है। हालांकि इस अवधि में सरसों की आवक में करीब 308 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। कारोबार के सूत्रों के मुताबिक वर्तमान समय में सरसों का दाम 2023-24 के न्यूनतम समर्थन मूल्य 5450 रुपए के करीब है। यदि सरसों के भाव दुरुस्त करने के लिए कदम नहीं उठाए गए तो यह न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे भी गिर सकते हैं।

दूसरे अनुमान के मुताबिक 2023 के रबी सीजन में सरसों का उत्पादन करीब 128.1 लाख टन है। यह उत्पादन बीते साल की तुलना में 7.11 फीसदी अधिक है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बी. वी. मेहता ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘केंद्र को खाद्य तेल और पॉल ऑयल पर आयात शुल्क की तुरंत समीक्षा करनी चाहिए। इनका देश में सबसे ज्यादा उपयोग होता है। इन पर आयात शुल्क बढ़ाकर कम से कम 15-20 फीसदी किया जाना चाहिए।’ अभी कच्चे पॉम ऑयल पर आयात शुल्क करीब 5.5 फीसदी है जबकि परिष्कृत पॉम ऑयल पर आयात शुल्क 13.75 फीसदी है। इस शुल्क में कृषि और सामाजिक कल्याण सेस शामिल है।

एसईए ने कुछ दिन पहले खाद्य और वाणिज्य मंत्रालयों को ज्ञापन भेजा था। इसमें सुझाव दिया गया था कि परिष्कृत पॉम ऑयल को रोका जाए। इस जिंस को प्रतिबंधित श्रेणी में रखा जाए। इसमें यह भी सुझाव दिया गया था कि सरकारी एजेंसियों जैसे नेफेड न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरसों की खरीद करे।

ओरिगो कमोडिटीज के एजीएम (कमोडिटी रिसर्च) तरुण सत्संगी ने अपने शोध में लिखा ‘प्रमुख मंडियों जैसे अलवर, भरतपुर और जयपुर में इस साल (1 जनवरी, 2023 से 28 फरवरी, 2023) से दामों में करीब 15 फीसद गिर चुके हैं। सरसों के गिरते दामों से कोई राहत नहीं मिल रही है।’

सत्संगी ने कहा, ‘सरसों के दाम दो साल के निचले स्तर पर पहुंच चुके हैं। हमें कोई आश्चर्य नहीं होगा यदि आने वाले सप्ताहों में दाम गिरकर न्यूनतम समर्थन मूल्य 5450 रुपए प्रति क्विंटल या उससे नीचे नहीं पहुंच जाएं।’ सत्संगी ने दाम में गिरावट का कारण गिनाते हुए कहा कि 2023-24 में 22 से 25 लाख टन पुराना स्टॉक है। हालांकि 2023-24 के दौरान 1.2 करोड़ टन से अधिक रिकार्ड उत्पादन का अनुमान है।

उन्होंने कहा कि इस बार सरसों का आकार और गुणवत्ता अच्छी से सर्वश्रेष्ठ स्थिति में है। इस साल किसान अपनी फसल रोक नहीं रहे हैं। इससे बीते साल की तुलना में मंडियों में फसल की आवक ज्यादा हो रही है। ओरिगो के मुताबिक फरवरी में सरसों की कुल आवक 5,03,830 टन रही। यह आवक बीते साल की तुलना में 45 फीसदी अधिक है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

jyoti choudhary

Recommended News

Related News