ट्रंप के टैरिफ फैसले से सहमा बाजार, वित्त वर्ष के पहले दिन हुआ Crash, निवेशकों के डूबे करोड़ों रुपए
punjabkesari.in Tuesday, Apr 01, 2025 - 12:14 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः नए फाइनेंशियल ईयर के पहले कारोबारी दिन शेयर बाजार फिर से गिरावट के मोड़ में है। भारतीय शेयर बाजार में आज (1 अप्रैल) गिरावट देखी जा रही है। 12:05 बजे सेंसेक्स 1300 अंक से अधिक गिरावट के साथ 76,104 पर जबकि निफ्टी 339 अंक टूटा, ये 23,179 के लेवल पर आ गया। ऑटो को छोड़कर सभी सेक्टर्स में गिरावट आई है। निफ्टी आईटी, रियल्टी, फाइनेंशियल और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स में 1 से 3 फीसदी गिरावट आई है। इस गिरावट से बीएसई लिस्टेड कंपनियों के मार्केट कैप में 1.25 लाख करोड़ की गिरावट आई है और यह 411.62 लाख करोड़ रुपए रह गया है।
डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से आने वाले टैरिफ (टैक्स) को लेकर बाजार में चिंता है। सेंसेक्स में इन्फोसिस, TCS और HCL टेक जैसी IT कंपनियों के शेयर लाल निशान में थे। साथ ही बजाज फाइनेंस, HDFC बैंक, बजाज फिनसर्व और टाइटन में भी गिरावट आई। हालांकि, कुछ कंपनियों के शेयरों में तेजी आई। इनमें इंडसइंड बैंक, M&M, पावर ग्रिड, भारती एयरटेल और NTPC शामिल हैं।
इस बीच सरकारी कंपनी HAL का शेयर शुरुआती कारोबार में 7% से अधिक चढ़ गया। कंपनी को रक्षा मंत्रालय से 62,700 करोड़ रुपए की डील मिली है। कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक कंपनी एयरफोस और नेवी के लिए 156 लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर प्रचंड बनाएगी। बीएसई पर कंपनी का शेयर 7.5 फीसदी तेजी के साथ 4492.80 रुपये तक गया। साथ ही HBL Engineering के शेयरों में भी 9.2% तेजी आई। कंपनी को कवच सिस्टम के लिए सेंट्रल रेलवे से 762.56 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट मिला है।
वोडाफोन का शेयर अपर सर्किट में
देश की तीसरी बड़ी टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया के शेयर भी शुरुआती कारोबार में 10 फीसदी के अपर सर्किट पर पहुंच गए। बीएसई पर यह 10 फीसदी तेजी के साथ 7.49 रुपये पर पहुंच गया। सरकार के कंपनी के 36,950 करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम बकाये को इक्विटी में बदल दिया है। इससे कंपनी की देनदारी में गिरावट आई है और वित्तीय स्थिति मजबूत हुई है। यही वजह है कि कंपनी के शेयरो में आज तेजी देखी जा रही है। इस कदम से कंपनी में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 22.6% से बढ़कर 48.99% हो जाएगी। प्रमोटर वोडाफोन पीएलसी की हिस्सेदारी घटकर 16.1 फीसदी और आदित्य बिड़ला ग्रुप की 9.4% रह जाएगी। हालांकि कंपनी का ऑपरेशनल कंट्रोल प्रमोटर्स के हाथों में ही रहेगा।