LED लाइटों से हर साल बचेंगे 50 हजार करोड़

punjabkesari.in Wednesday, Sep 28, 2016 - 05:33 PM (IST)

नई दिल्लीः पारंपरिक लाइटों की जगह एलईडी लाइटें लगाने से देश को हर साल 7 हजार मैगावाट बिजली तथा लगभग 50 हजार करोड़ रुपए की बचत हो सकती है। बिजली के बल्ब तथा कंपोनेंट बनाने वाली कंपनियों के संगठन (एलकोमा) के महासचिव श्याम सुजान ने बताया कि इस समय देश में 3 करोड़ स्ट्रीट लाइटों तथा 77 करोड़ घरेलू इस्तेमाल के लैंपों को एल.ई.डी. में बदलने से 7 हजार मैगावाट ऊर्जा बचाई जा सकती है जो डेढ़ लाख मैगावाट की वर्तमान खपत का 5 प्रतिशत है। 

सुजान ने बताया कि सरकार जिस प्रकार सौर ऊर्जा का बढ़ावा दे रही है, देश के पास ऊर्जा बचत का काफी सुनहरा अवसर है। एक तरफ सौर ऊर्जा को अपनाने से कार्बन उत्सर्जन कम होगा दूसरी ओर इस पर खर्च कम आएगा। सौर ऊर्जा और एलईडी लाइट के संयोग से देश को हर साल तकरीबन 50 हजार करोड़ रुपए की बचत हो सकती है। मैसे फ्रैंकफर्ट इंडिया के निदेशक मंडल के सदस्य राज मानिक ने कहा कि 05 से 07 अक्तूबर तक नई दिल्ली के प्रगति मैदान में ‘लाइट इंडिया’ तथा ‘इलैक्ट्रिक बिल्डिंग टैक्नोलॉजी इंडिया’ प्रदर्शनियों का आयोजन किया जा रहा है। इसका उद्देश्य एलईडी लाइटों के प्रति लोगों में जागरुकता फैलाना है। इसमें भारत के साथ हांगकांग, जापान, चीन, ताइवान और न्यूजीलैंड की 290 कंपनियां हिस्सा ले रही हैं। सौर ऊर्जा डीसी विद्युत धारा के रूप में पैदा होती है। 

सुजान ने बताया कि भारतीय कंपनियां भी एलवीडीसी (लो वोल्टेज डायरेक्ट करेंट) तकनीक पर काम कर रही हैं। एलवीडीसी को भविष्य की तकनीक माना जा रहा है क्योंकि इस पर आधारित बल्ब तथा उपकरण सीधे डीसी धारा का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे इसे एसी करेंट में बदलने की प्रौद्योगिकी की जरूरत समाप्त हो जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने वर्ष 2022 तक 100 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है। ऐसा करने पर वह दुनिया में सबसे ज्यादा हरित ऊर्जा उत्पन्न करने वाला देश हो जाएगा। वर्तमान में जर्मनी इस मामले में नंबर एक है। उसका सालाना सौर ऊर्जा उत्पादन 31 गीगावाट है।


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