सेमीकंडक्टर बनाने को स्वदेश लौटेंगे हजारों इंजीनियर

punjabkesari.in Wednesday, Apr 24, 2024 - 01:26 PM (IST)

नई दिल्लीः सरकार को उम्मीद है कि दक्षिण पूर्व एशिया और अमेरिका में काम कर रहे वरिष्ठ तथा अनुभवी भारतीय सेमीकंडक्टर इंजीनियर सैकड़ों की तादाद में भारत लौट आएंगे। सरकार ने सेमीकंडक्टर कंपनियों से मिली जानकारी के आधार पर यह अनुमान लगाया है। माना जा रहा है कि ये इंजीनियर स्वदेश लौटकर नई हाईटेक विनिर्माण क्रांति में भागीदारी करेंगे।

संचार, सूचना प्रौद्योगिकी एवं रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, ‘दुनिया भर में सेमीकंडक्टर विनिर्माण उद्योग में का कर रही वरिष्ठ प्रतिभाओं में करीब 20-25 फीसदी भारतीय ही हैं। हमें उम्मीद है कि उनमें से कई भारत वापस आएंगे।’ इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी के अनुसार कंपनियां मान अनुभवी और शीर्ष प्रतिभाएं भारत आ जाएंगी। दिलचस्प है कि अमेरिका में काम कर रहे जो भारतीय इंजीनियर देश लौटना चाहते हैं, उनमें ज्यादातर युवा हैं, जबकि ताइवान, सिंगापुर और मलेशिया से वापसी करने के इच्छुक इंजीनियर 45 साल से अधिक उम्र के और काफी अनुभवी हैं।

अधिकारी का कहना है कि अमेरिका में काम कर रहे वरिष्ठ एवं अनुभवी सेमीकंडक्टर पेशेवर बाहर नहीं जाना चाहते हैं क्योंकि उनके परिवार वहीं बस चुके हैं और अमेरिका से हटना नहीं चाहते। मगर दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में कई साल से काम कर रहे इंजीनियर भारत लौटना चाहते हैं और नए मौके तलाश रहे हैं। अमेरिका में काम कर रहे युवा भारतीय इंजीनियर भी लौटकर अपने देश में बदलाव करना चाहते हैं। ताइवान और चीन में भी ऐसा ही दिखा है।

अधिकारी ने ताइवान में टाटा के भर्ती अभियान (अपने ओसैट एवं फैब कारखाने के लिए) का उदाहरण दिया। टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने चिप विनिर्माण के अड्डे सिंचु में प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए रोडशो किया। कंपनी ऑटोमेशन एवं उपकरण इंजीनियरों से लेकर अन्य कई क्षेत्रों में 5 से 18 साल तक काम कर चुके पेशेवरों की तलाश कर रही है। कंपनी ने प्रौद्योगिकी के लिए ताइवान की चिप कंपनी पीएसएमसी के साथ समझौता किया है, जहां वे प्रशिक्षण ले सकते हैं। टाटा ने इस बारे में पूछे गए सवाल का खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं दिया।

अधिकारी ने ऐप्लाइड मटेरियल्स के बेंगलूरु में खुले नए आरऐंडडी केंद्र की कामयाबी की भी तारीफ की और इसे भारतीय प्रतिभाओं को स्वदेश बुलाने का उम्दा उदाहरण बताया। मगर कंपनी ने भी सवाल का कोई जवाब नहीं दिया।

सेमीकंडक्टर कंपनियों को हजारों इंजीनियरों और टेक्नीशियनों की जरूरत है। दुनिया में सबसे ज्यादा इंजीनियर भारत से ही निकलते हैं मगर उनके पास सेमीकंडक्टर बनाने का अनुभव नहीं है। इसलिए कंपनियों को दुनिया भर से वरिष्ठ प्रतिभाएं भारत लानी पड़ेंगी और यहां भी प्रतिभाओं का पूल तैयार करना होगा।

यही कारण है कि कंपनियां देसी प्रतिभाओं को प्रशिक्षित करने के लिए बहुआयामी रणनीति पर आगे बढ़ रही हैं। माइक्रॉन का एटीएमपी कारखाना गुजरात के साणंद में बन रहा है और इस साल दिसंबर तक वहां चिप उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है। कंपनी भारत में भर्ती की गई प्रतिभाओं को शुरुआत में मलेशिया, जापान और दक्षिण कोरिया के अपने कारखानों में प्रशिक्षण देगी।

हालांकि माइक्रॉन से इस बारे में सवाल पूछे गए मगर उसने कोई जवाब नहीं दिया। माइक्रॉन ने गुजरात में गांधीनगर के नैमटेक (न्यू एज मेकर्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) के साथ इसी साल एक समझौता किया है ताकि दुनिया भर के इंजीनियरों से होड़ करने वाली भारतीय प्रतिभाएं सेमीकंडक्टर उद्योग को लगातार मिल सकें। यह संस्थान आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया की पहल है और सिस्को के साथ इसकी साझेदारी है।

मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि अन्य कंपनियां भी ऐसे संस्थानों का लाभ उठा सकती हैं। उन्होंने कहा कि टाटा अपने कुछ इंजीनियरों को हैदराबाद के आरऐंडडी केंद्र में भी प्रशिक्षित करेगी, जहां ओसैट कारखाना लगाने के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकी तैयार की जा रही है। उन्होंने कहा कि अहमदाबाद की निरमा यूनिवर्सिटी और आईआईटी गांधीनगर भी ऐसी प्रतिभाएं तैयार कर रहे हैं। मगर चुनौतियां अब भी हैं। अनुभवी प्रशिक्षित इंजीनियरों की कमी के कारण ताइवान की कंपनियां भारत में निवेश से झिझक सकती हैं। ताइवान के विदेश व्यापार मंत्री जोसेफ वू ने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि बोझिल प्रशासनिक ढांचा, अनुभवी इंजीनियरों की कमी, इलेक्ट्रॉनिक्स पुर्जों के आयात पर अधिक शुल्क गंभीर चुनौतियां हैं, जिन्हें ताइवानी कंपनियों से भारी निवेश पाने से पहले खत्म करना होगा।
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

jyoti choudhary

Recommended News

Related News