भारत की बुनियाद मजबूत, 2050 तक दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा: अडाणी

punjabkesari.in Monday, Sep 28, 2020 - 06:12 PM (IST)

नई दिल्लीः दिग्गज उद्योगपति गौतम अडाणी ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गिरावट के बारे में संकीर्ण सोचों को खारिज करते हुए कहा कि देश की बुनियाद मजबूत है और भारत 2050 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। उन्होंने यह भी कहा कि व्यापार अवसरों के मामले में देश दुनिया के अन्य समकक्ष देशों के मुकाबले बेहतर स्थिति में है। 

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जेपी मोर्गन इंडिया समिट में अडाणी समूह के चेयरमैन ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम पासा पलटने वाला साबित होगा। उन्होंने कहा, ‘‘मैं बिना झिझक के कहना चाहूंगा कि मेरे विचार से अगले तीन दशकों में भारत दुनिया के लिए व्यापार के लिहाज से सबसे बड़ा अवसर होगा।'' अडाणी ने कहा कि भारत की भू-रणनीतिक स्थिति और बड़ा बाजार उसे अपने समकक्ष देशों के मुकाबले बेहतर बनाता है। उन्होंने कहा कि महामारी के दूसरी तरफ भारत में अवसर तेजी से बढ़ेंगे। 

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2050 में होगा भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था 
उन्होंने कहा, ‘‘जीडीपी गणित के प्रशंसकों के लिए कुछ आंकाड़ों पर गौर करते हैं। वर्ष 1990 में वैश्विक जीडीपी 38,000 अरब डॉलर था। आज 30 साल बाद यह आंकड़ा 90,000 अरब डॉलर है। अगले तीस साल में यानी 2050 में जीडीपी 1,70,000 अरब डॉलर हो जाने का अनुमान है। उस समय तक भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा।'' देश की आर्थिक वृद्धि दर में चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसकी एक प्रमुख वजह महामारी और लॉकडाउन है। पूरे वित्त वर्ष 2020-21 में चार दशक में पहली बार अर्थव्यवस्था में गिरावट का अनुमान है। 

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उद्योगपति ने कहा कि वैश्विक संकट के कारण देश को जो थोड़े समय के लिए झटका लगा है, उसके कारण संभावनाओं और क्षमताओं को खारिज नहीं कर सकते क्योंकि उसकी बुनियाद अभी भी अक्षुण्ण बना हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘आज अर्थव्यवस्था का स्थति के आकलन के लिए जीडीपी का आकलन मुख्य आधार बन गया है। यह नहीं देखा जा रहा कि देश अगले एक दशक में कैसा हो सकता है। मेरे विचार से धैर्य और दीर्घकालीन रणनीति तथा सबसे महत्वपूर्ण सरकार के व्यापार एजेंडे के साथ तालमेल एक बेहतर मूल्य सृजित करता है।'' 

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एक उद्यमी के रूप में मैं आशावादी हूं
भारत के समक्ष चुनौतियों के बारे में अडाणी ने कहा कि देश को अगले दशक तक 1500 से 2000 अरब डॉलर पूंजी की जरूरत है लेकिन राष्ट्रीय निवेश और बुनियादी ढांचा कोष जैसे संरचनात्मक सुधारों के बावजूद पूंजी ढांचा चुनौतियां तथा अधिकार प्राप्त और स्वतंत्र नियामकों की कमी देश निर्माण और निवेश अवसरों के रास्ते में बाधा बने हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘एक उद्यमी के रूप में मैं आशावादी हूं और इसीलिए मुझे अवसर दिख रहे हैं। हो सकता है, आप जो देख रहे हैं, उससे यह अलग हो। मैं इस बात को मानता हूं कि अल्पकालीन सोच के आधार पर आप दीर्घकालीन भविष्य का निर्माण नहीं कर सकते।'' 

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jyoti choudhary

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