भारत को लेकर डगमगाया विदेशी निवेशकों का भरोसा, अमेरिका-जापान समेत इन देशों ने निकला सबसे ज्यादा पैसा
punjabkesari.in Tuesday, Sep 16, 2025 - 12:56 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः भारत से विदेशी निवेशकों (FII) की निकासी एक बार फिर तेज हो गई है। ब्रोकरेज फर्मों की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले सात हफ्तों में भारत-फोकस्ड फंड्स से करीब 1.9 अरब डॉलर (लगभग ₹16,000 करोड़) बाहर निकल चुके हैं। यह एक साल में दूसरी बार है जब भारतीय बाजार से बड़ी मात्रा में विदेशी पूंजी बाहर गई है। इससे पहले अक्टूबर 2024 से मार्च 2025 के बीच 4.4 अरब डॉलर का आउटफ्लो देखा गया था। लगातार निकासी से साफ है कि भारत को लेकर विदेशी निवेशकों का भरोसा कमजोर हुआ है, जबकि दूसरी ओर अन्य उभरते बाजारों में पूंजी का प्रवाह जारी है।
जापान ने भी किया निवेश कम
Elara Securities की रिपोर्ट बताती है कि जापान, जिसे भारत का भरोसेमंद निवेशक माना जाता था, अब बिकवाली कर रहा है। जनवरी 2023 से सितंबर 2024 तक जापानी फंड्स ने भारत में 9 अरब डॉलर का निवेश किया था लेकिन अक्टूबर 2024 से अब तक 1.1 अरब डॉलर निकाल चुके हैं। सिर्फ पिछले हफ्ते ही 86 मिलियन डॉलर की निकासी हुई, जिसमें जापानी निवेशकों की बड़ी हिस्सेदारी थी।
किन सेक्टरों पर पड़ा असर
निकासी का सबसे ज्यादा असर लार्ज-कैप स्टॉक्स पर पड़ा है। जुलाई 2025 से अब तक लार्ज-कैप फंड्स से 1.7 अरब डॉलर बाहर गए हैं। इसके अलावा, एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ETFs) से 1.08 अरब डॉलर और लॉन्ग-ओनली फंड्स से 776 मिलियन डॉलर निकाले गए हैं।
किन देशों ने निकला सबसे ज्यादा पैसा
- अमेरिका: -$1.02 अरब
- लक्जमबर्ग: -$496 मिलियन
- जापान: -$265 मिलियन
- ब्रिटेन: -$101 मिलियन
क्यों कर रहे हैं निवेशक निकासी?
विशेषज्ञों के मुताबिक, विदेशी निवेशक भारत के ऊंचे वैल्यूएशन, आयात-निर्यात में चुनौतियों और वैश्विक व्यापार तनाव के चलते निवेश घटा रहे हैं। वे इस समय सुरक्षित साधनों की ओर रुख कर रहे हैं।
सिर्फ इस हफ्ते कमोडिटी फंड्स में 1.19 अरब डॉलर का प्रवाह हुआ है, जो 2020 के बाद सबसे ऊंचा स्तर है। गोल्ड फंड्स में भी जोरदार निवेश जारी है। पिछले हफ्ते रिकॉर्ड 16 अरब डॉलर आने के बाद इस हफ्ते भी 8.4 अरब डॉलर का निवेश दर्ज हुआ।
घरेलू निवेशकों ने दी राहत
विदेशी बिकवाली के बावजूद भारतीय बाजार पूरी तरह दबाव में नहीं आया है। इसकी वजह घरेलू निवेशक हैं, जो लगातार म्यूचुअल फंड्स और SIP के जरिए निवेश कर रहे हैं। साथ ही, DII (डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स) की खरीदारी ने भी विदेशी निकासी के असर को काफी हद तक संतुलित किया है।