‘जल्द ही हमारी सरकार के लिए कोई विपक्ष नहीं होगा’

punjabkesari.in Thursday, Feb 04, 2021 - 04:41 AM (IST)

मैं भाजपा शासित राज्यों में मोदी-शाह सरकार और उसके क्षत्रपों की अतुल्य भूख पर आश्चर्यचकित हूं जो हर उस विरोधी को दबाने की कोशिश करते हैं जो उनकी नीतियों तथा कार्यों का विरोध करने का साहस करते हैं। मुझे फ्री स्टाइल रैसलिंग वल्र्ड में ‘द ग्रेट खली’ तथा उसके पहलवानों की याद आती है जो किसी भी धुरंधर पहलवान को चुनौती देने के लिए या उसका विरोध करने के लिए कुश्ती के रिंग में कदम रखते हैं और लड़ते हैं। 

ऐसा नहीं प्रतीत होता कि शशि थरूर, राजदीप सरदेसाई या मृणाल पांडे ने जानबूझ कर या अन्यथा अपनी टोपियों को रिंग में फैंक दिया हो, फिर भी अपने गुस्से का कारण बने क्योंकि उन्होंने सबसे पहले ब्रेकिंग न्यूज देने के लिए व्यक्तिगत रूप से ट्वीट किया कि विरोध करने वाले एक किसान की गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में गोली लगने से मृत्यु हो गई। इन लोगों ने पुलिस घेरे को तोड़ते हुए टी.वी. पर एक ट्रैक्टर को देखा था। वह ट्रैक्टर एक लापरवाह गति पर चल रहा था। पुलिस और किसान दोनों ही संयम दिखाने के लिए उत्सुक थे और कुछ पत्रकारों तथा एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी की गलतफहमी को नजरअंदाज किया जाना चाहिए था। हालांकि ग्रेट खली के हमारे ब्रांड ने ट्विटर पर यह गलत धारणा दी कि किसान पुलिस की गोलीबारी में मारा गया था और शशि थरूर तथा पत्रकारों पर एफ.आई.आर. दर्ज की गई जिसमें उन पर समुदायों के बीच राजद्रोह तथा तनाव पैदा करने का आरोप लगाया गया। 

सरकार के विरोधियों पर राजद्रोह का आरोप लगाना एक मानक बन गया है। इसके बावजूद सुप्रीमकोर्ट की स्पष्ट धारणा है कि राजद्रोह तब तक राजद्रोह नहीं है जब तक कानून के खिलाफ हिंसा और नागरिक अशांति के स्पष्ट इरादे का हवाला न दिया जाए। संयोग से इस सरकार ने कानूनी प्रक्रिया को सजा में बदलने की ललित कला विकसित की है। पूरी तरह से यह जानते हुए कि मामला कानूनी जांच के दायरे में नहीं आएगा। गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (इस मामले में अभी तक लागू नहीं हुआ है) की प्रक्रिया के तहत न्यायपालिका के लिए यह लगभग मुश्किल है कि आरोपी को जमानत पर रिहा करे। इसलिए यदि ट्रायल लम्बे चलते हैं जैसे कि अक्सर होता है तो गिरफ्तार व्यक्तियों को न्यायिक हिरासत में रखा जाता है। भीमा कोरेगांव के कुछ लोग बिना मुकद्दमे के 3 साल से अधिक जेल में बिता चुके हैं जो पूरी तरह से अस्वीकार्य है। 

एक 83 वर्षीय जेसूइट पादरी स्टैन स्वामी जिनका जीवन में मिशन झारखंड के आदिवासियों के अधिकारों के लिए खड़ा होना था, ने 4 माह जेल में बिताए और उन्हें निकट भविष्य में ट्रायल शुरू होने की कोई उम्मीद नहीं थी। जब जमानत के लिए उनके निवेदन को जज द्वारा सुना गया तो अभियोजकों ने घोषणा की कि फादर स्वामी माकपा माओवादियों के एजैंडे को पूरा कर रहे थे। एन.आई.ए. ने एलगर परिषद मामले में दायर चार्जशीट में वॢणत किया कि 30 वर्षीय पी.यू.सी.एल. जोकि एक मानवाधिकार इकाई है, वह प्रतिबंधित माकपा (माओवादी) का एक संगठन है। ये ऐसे आरोप हैं जो सच्चाई की परिधि से बाहर हैं। दिवंगत भाजपा नेता अरुण जेतली तथा वर्तमान केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद पी.यू.सी.एल. से जुड़े हुए थे जो 1975 के आपातकाल के बाद अस्तित्व में आया था और इसे किसी और ने नहीं बल्कि जयप्रकाश नारायण ने स्थापित किया था। पी.यू.सी.एल. एक प्रसिद्ध मानवाधिकार संगठन है तथा इसके सदस्यों के इरादों का कई नागरिक सम्मान करते हैं और उसके कार्य की सराहना करते हैं जो उसने मानवाधिकार के क्षेत्र में पूरा किया है। 

सुप्रीमकोर्ट को यू.ए.पी.ए. तथा सरकार द्वारा इसकी प्रक्रिया को वास्तविक सजा में बदलने के इसके इस्तेमाल का अध्ययन करना चाहिए।  क्या एक सभ्य समाज में गैर-कानूनी गतिविधियों के आरोपी लोगों को सालों तक जेल में रखा जाना चाहिए? मैं इस 83 वर्षीय वरिष्ठ पादरी की किसी भी तरीके से माओवादियों की मदद करने की परिकल्पना नहीं कर सकता। प्रशासन के विरोधियों की सूची इतनी तेजी से बढ़ रही है कि सरकार को अपने सुरक्षा हथियारों का तेजी से विस्तार करना होगा ताकि गति बनी रहे। यह पहले पशु व्यापारियों और गोमांस खाने वालों के साथ, जे.एन.यू. तथा जामिया मिलिया में वामपंथी छात्रों के साथ, फिर सी.ए.ए./एन.आर.सी. विरोधी प्रदर्शनकारियों, कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों के साथ, हिंदू लड़कियों के साथ प्यार करने वाले मुस्लिम लड़कों के साथ और अब पत्रकारों के साथ हो रहा है जो ब्रेकिंग न्यूज देने में जल्दबाजी में थे। उन्हें मृत व्यक्ति का रिश्तेदार बताया गया है। 

मैं निजी तौर पर राजदीप सरदेसाई को जानता हूं। उनके पिता मेरे पैतृक राज्य गोवा में जन्म लेने वाले एक टैस्ट क्रिकेट खिलाड़ी थे। वह मेरे दोस्त थे। राजदीप सरदेसाई के परिवार से मेरा नाता 85 वर्षों का है। जब मैं 6 वर्ष की आयु का था मगर मैं अब राजदीप के खिलाफ राजद्रोह के आरोपों से विचलित हुआ हूं। मैं इस सरकार के न खत्म होने वाले रवैये तथा हमलों से भी विचलित हूं जो उन लोगों के खिलाफ किए जाते हैं जो सरकार की नीतियों तथा इसके कार्यों को नहीं मानते। क्या इसका मतलब यह है कि प्रधानमंत्री मोदी तथा गृह मंत्री अमित शाह इस धरती पर कोई विपक्ष ही देखना नहीं चाहते। या फिर यह चीनी रास्ता अपनाना चाहते हैं जहां पर कोई भी आवाज नहीं सुनी जाती।-जूलियो रिबैरो (पूर्व डी.जी.पी.पंजाब व पूर्व आई.पी.एस.अधिकारी) 
 


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