अधिक दृढ़ विपक्ष के साथ लौटेंगे मोदी

punjabkesari.in Friday, Apr 26, 2024 - 05:21 AM (IST)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमें विश्वास दिलाया था कि वह जून में लोगों के प्रचंड जनादेश के साथ सत्ता में लौटेंगे। मैं वास्तव में उनकी आवाज में एक चिंता महसूस करता हूं जब वह कांग्रेस पर आरोप लगाते हैं कि वह अपने समर्थकों द्वारा वर्षों से एकत्र किए गए सोने और चांदी के आभूषणों को छीनने की तैयारी कर रही है ताकि लूट का माल अल्पसंख्यकों, जिनके पास बड़े परिवार हैं, यानी मुसलमानों को वितरित किया जा सके। मोदी के इस बयान पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया यह थी कि मोदी ‘अपने दांतों से झूठ बोल रहे हैं’। यह वाक्यांश आम तौर पर एक स्पष्ट असत्य की निंदा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। 

मोदी के दावे ने मतदाताओं के उस वर्ग को निशाने पर ले लिया है जो परंपरागत रूप से भगवा पार्टी का समर्थन करता रहा है। लेकिन इससे कांग्रेस पार्टी के समर्थकों में भी खलबली मच गई है। विपक्ष को इतनी चिंता करने की जरूरत नहीं है। कुछ विशेषज्ञों की भविष्यवाणी के बावजूद सच्चाई यह है कि इस बार कोई ‘लहर’ नहीं है। मोदी का करिश्मा खत्म हो रहा है। दरअसल वह सत्ता बरकरार रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। तथ्य यह है कि उन्हें अपने विरोधियों पर पूरी तरह से प्रहार करने की जरूरत है। 

यह स्पष्ट संकेत है कि लोकसभा में उनकी पार्टी के पास मौजूद लगभग 300 सीटों को बरकरार रखना भी मुश्किल होगा। 400 सीटें जीतने के कठिन कार्य को हासिल करने के लिए मोदी अपने कवच में मौजूद हर हथियार का उपयोग कर रहे हैं (और वह लगभग हर दिन नए हथियार खोजने में माहिर हैं)। अपनी स्पष्ट ङ्क्षचता और दृढ़ता के कारण उनका जीतना तय है लेकिन कम अंतर से। यदि भाजपा पिछली बार जीती गई लगभग 300 सीटें हासिल कर सके तो मुझे आश्चर्य होगा। मोदी का करिश्मा फीका पड़ रहा है। आज का मतदाता वह ‘विनम्र’ व्यक्ति नहीं है जिसे हम जानते थे। वह कई आवाजें सुनता है, यहां तक कि विपरीत भी, और उसकी आकांक्षाएं तेजी से बढ़ी हैं। 

टैलीविजन कमजोर और आज्ञाकारी को विचारशील नागरिक बनाने के लिए जिम्मेदार हैं। मोदी की वक्तव्य कला जनता को प्रभावित करती थी। इससे उनके धड़कते दिलों में आशा की किरण जगी। वह आशा अपने ही दुस्साहस के कारण धूमिल हो गई है। प्रत्येक भारतीय के बैंक खाते में मौजूद 15 लाख रुपए हवा में उड़ गए। इसके बजाय, प्रत्येक राशन कार्ड धारक को हर महीने 5 किलो चावल या गेहूं मुफ्त मिलता है, जो 60 प्रतिशत आबादी को मिलता है। सबसे गरीब लोगों के लिए भी वह उपहार उन्हें शरीर और आत्मा को एक साथ रखने में सक्षम बनाता है। निर्वाह स्तर पर जीने के इच्छुक लोगों के लिए तेल, दाल और रसोई गैस की भी आवश्यकता होती है। महाराष्ट्र के पालघर की आदिवासी महिलाओं ने, भाजपा के कार्यकत्र्ताओं ने मोदी की तस्वीर वाली साडिय़ां और शॉपिंग बैग जो उन्हें वितरित किए थे, उन्हें लौटा दिए और उसके बदले रोजगार मांगा। वे भी, अपने इच्छित लाभार्थियों की तरह खाना चाहते हैं कुछ भी फैंसी नहीं बल्कि पर्याप्त कैलोरी के साथ। 

मेरे मन में इसमें कोई संदेह नहीं है कि मोदी भारत के नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने की कोशिश कर रहे हैं (बेशक, सी.ए.ए. और एन.आर.सी. द्वारा नागरिकता के लिए अयोग्य ठहराए गए लोगों को बाहर रखा जाएगा)। उनका कहना है कि ऐसा होने के लिए उन्हें तीसरा कार्यकाल जीतना होगा। तीसरा कार्यकाल जीतने के लिए वह चुनाव से ठीक पहले अरविंद केजरीवाल जैसे विपक्षी नेताओं को बेअसर करने का इरादा रखते हैं। तीसरी पंक्ति के नेताओं को ई.डी. ने दिल्ली बुलाया है। लोकसभा चुनावों से पहले वाले महीने में सवालों के जवाब देने के लिए उन्हें ई.डी. ने बुलाया। यह बात उन्हें प्रचार करने से रोकती है। 

ये गुप्त रणनीतियां आम आदमी को रास नहीं आ रही हैं। मेरे शहर मुंबई में अनपढ़ लोगों को भी इस तरह की रणनीति में महारत हासिल है। बड़े पैमाने पर मोदी की ओर झुकाव रखने वाले चाटुकारों ने भी उनके तरीकों से असहमत होने के संकेत दिए हैं। मेरा व्यक्तिगत विचार है कि हाल ही में, मोदी जरूरत से ज्यादा काम कर रहे हैं। उनके इमेज कंसल्टैंट्स द्वारा उनके चारों ओर जो आभामंडल बनाया गया था वह खत्म हो रहा है। किसी अन्य के साथ सम्मान सांझा किए बिना अयोध्या में श्री राम मंदिर के उद्घाटन पर कई लोगों द्वारा नकारात्मक टिप्पणी की जा रही है। भाव-भंगिमा में विनम्रता का कोई अंश नहीं था। द्वारका के बाहर समुद्र में गोता लगाना एक अनिष्टकारी घटना थी। प्रधानमंत्री को उस व्यक्ति को बर्खास्त कर देना चाहिए जिसने उन्हें यह सुझाव दिया था। 

इस तरह के प्रचार के कारण और मुख्य रूप से चुनावों से पहले विपक्षी नेताओं की गतिविधियों पर लगातार हमले के कारण, मेरा अनुमान है कि मोदी जी पिछले दशक में अर्जित अपनी कुछ सद्भावना खो रहे हैं। उन्होंने गरीबी रेखा से नीचे के नागरिकों को गैस सब्सिडी और अन्य कल्याणकारी भुगतानों का सीधे बैंक हस्तांतरण करके और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों के लिए घर बनाकर बिचौलियों को खत्म कर दिया था। उनके शासनकाल में सुरक्षा परिदृश्य में भी सुधार हुआ था, हालांकि चीन अपनी आॢथक और सैन्य श्रेष्ठता के कारण अपनी धमकाने वाली रणनीति जारी रखता है। मुझे अब भी लगता है कि अंतिम गिनती में मोदी जोर-जोर से बोलेंगे। वह अपनी पार्टी के लिए 370 और एन.डी.ए. के लिए 400 का लक्ष्य निश्चित रूप से हासिल नहीं कर पाएंगे। दक्षिण राज्यों में अपनी पैठ बनाने के लिए उन्होंने काफी मेहनत की है। ऐसा लगता है कि उन्हें आंध्र में सफलता मिली है जहां उनकी पार्टी को चंद्रबाबू नायडू की तेदेपा के साथ गठजोड़ से लाभ मिलने के संकेत मिल रहे हैं। वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी के बीच मनमुटाव और उनकी बहन कांग्रेस से किस्मत आजमाने वाली शर्मिला भाजपा की मदद कर रही हैं। 

तमिल गढ़ में भाजपा मेरे पुराने सेवा साथी, अन्नामलाई को, सदाबहार शत्रुतापूर्ण क्षेत्र में पार्टी के प्रवेश का नेतृत्व करने का लालच दिया है। वह भी भुगतान करता दिख रहा है। भाजपा ने तमिलनाडु में अपनी अछूत स्थिति को पीछे छोड़ दिया है और उस राज्य में लोगों के हित की पार्टी बन गई है। फाइनल टैली में वह वहां अपना खाता भी खोल सकती है, जो काफी उपलब्धि होगी। केरल में वह भगवा पार्टी को आजमाने के लिए ईसाई मतदाताओं के एक हिस्से को लुभाने की उम्मीद कर रही है। ये अस्थायी मतदाता ङ्क्षहदुत्व की प्रवृत्ति के साथ अपने हितों का सामंजस्य कैसे बिठाते हैं, यह राजनीतिक पर्यवेक्षकों के लिए दिलचस्पी का विषय होगा। अधिकांश सांसद दक्षिण द्वारा प्रदान किए जाएंगे, कर्नाटक में अभी भी भाजपा की उपस्थिति है। 2019 में जीती गई 28 लोकसभा सीटों में से 25 सीटें नहीं मिलेंगी। अगर यह दक्षिण में अपनी कुल सीटों में जुड़ती है तो यह मामूली, मगर सबसे अच्छी स्थिति में होगी। 

महाराष्ट्र, बिहार और यहां तक  कि यू.पी. में भी विपक्ष के पिछली बार की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करने की संभावना है। महाराष्ट्र में शिवसेना और एन.सी.पी. में फूट पड़ गई है। भगवा पार्टी को उतनी मदद नहीं मिलेगी, जितनी उसे उम्मीद थी। बिहार में मतदाताओं ने नीतीश कुमार के लगातार बदलते रुख को पसंद नहीं किया है। गुजरात भाजपा का पक्ष लेता रहेगा। जहां भाजपा को पश्चिम बंगाल में होगा फायदा। हिंदुत्व की राजनीति उस प्रमुख राज्य में ममता की पकड़ ढीली करने में सफल रही है। 2019 की तुलना में टी.एम.सी. संभवत: भाजपा को अधिक सीटें देगी। नरेंद्र मोदी तीसरे कार्यकाल के लिए वापस आएंगे लेकिन अधिक दृढ़ विपक्ष के साथ। उम्मीद है, इससे उन्हें चुनाव के दौरान विपक्षी नेताओं को जेल में रखने और दुकानों और घरों को समतल करने के लिए बुल्डोजर का उपयोग करने से रोका जाना चाहिए।-जूलियो रिबैरो(पूर्व डी.जी.पी. पंजाब व पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी)


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