जो हिंद महासागर को नियंत्रित करेगा, वह एशिया पर हावी होगा

punjabkesari.in Thursday, Apr 04, 2024 - 05:24 AM (IST)

हाल की 2 घटनाओं ने भारत की एक अनकही उपलब्धि को उजागर किया है। पहला मामला भारतीय नौसेना द्वारा 23 पाकिस्तानियों को सशस्त्र समुद्री डाकुओं से बचाने से जुड़ा है, तो दूसरा अमरीका के बाल्टीमोर में मालवाहक जहाज ‘डाली’ की टक्कर से ढहे पुल और उसमें भारतीय चालकों की सूझबूझ से बची कई जानों से संबंधित है। यह घटनाक्रम स्वयं को उस ऐतिहासिक कड़ी से जोड़ता है, जिसमें भारत का सैंकड़ों वर्षों तक वैश्विक समुद्री मार्गों पर न केवल वर्चस्व था, बल्कि दुनिया के सबसे समृद्ध जहाजों का कारखाना भी था। भारतीय नौसेना ने 30 मार्च 2024 को अरब सागर में एक सफल सैन्य ऑपरेशन करते हुए 23 पाकिस्तानी नागरिकों को सोमालियाई समुद्री लुटेरों से बचा लिया। प्राणों पर आए संकट से बचने के बाद इन पाकिस्तानियों ने भारतीय नौसेना का न केवल धन्यवाद किया, साथ ही कई बार ‘हिन्दुस्तान जिंदाबाद’ के नारे भी लगाए। 

इससे पहले भारतीय नौसेना ने अरब सागर में सोमालिया के पूर्वी तट के पास से इसी वर्ष 29 जनवरी को 19 पाकिस्तानी नाविकों की भी जान बचाई थी। ईरानी ध्वज वाले जहाज का  11 समुद्री लुटेरों ने अपहरण कर लिया था। इसके बाद भारतीय नौसेना ने जहाज को दस्युओं से बचाने के लिए अपना युद्धपोत आई.एन.एस. सुमित्रा बीच समुद्र में भेज दिया था। यही नहीं, 14 दिसंबर 2023 को भी सोमालियाई समुद्री डाकुओं ने ‘एम.वी. रुएन’ मालवाहक जहाज का अपहरण तब कर लिया था, जब वह भारतीय तट से लगभग 2600 किलोमीटर दूर था। इसके बाद 22-23 मार्च 2024 को अदन की खाड़ी और उत्तरी अरब सागर क्षेत्र में 40 घंटे के सैन्य अभियान के बाद भारतीय नौसेना ने युद्धपोत आई.एन.एस. कोलकाता की सहायता से सोमाली तट पर अपहृत मालवाहक जहाज पर धावा बोलकर समुद्री डाकुओं को गिरफ्तार कर लिया। यह घटना समुद्री क्षेत्र में भारत के बढ़ते दबदबे और ताकत का परिचायक है। 

यह ठीक है कि गत 26 मार्च को एक दुखद हादसे में अमरीका के बाल्टीमोर में एक विशालकाय मालवाहक जहाज ‘डाली’ की टक्कर से अढ़ाई किलोमीटर लंबा ‘फ्रांसिस स्कॉट की’ पुल ढह गया था, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई परंतु जिस प्रकार जहाज के भारतीय चालक दल ने बुद्धिमत्ता, कत्र्तव्यबोध और कुशलता का परिचय दिया, उसने कई जिंदगियों को तबाह होने से बचा लिया। जहाज पर चालक दल के भारतीय सदस्यों ने हादसे से ठीक पहले मैरीलैंड अधिकारियों को मालवाहक जहाज की ‘पावर फेल’ होने की सूचना दे दी थी, जिसके बाद पटाप्सको नदी स्थित पुल पर यातायात संचालन पूरी तरह रोक दिया गया। यदि ऐसा न होता तो हताहतों की संख्या भयावह होती। इस घटनाक्रम पर अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस मालवाहक जहाज के 21 सदस्यीय चालक दल (20 भारतीय) की प्रशंसा करते हुए कहा, ‘‘जहाज पर सवार कर्मियों ने मैरीलैंड परिवहन विभाग को पहले सूचित कर दिया, जिसकी वजह से स्थानीय अधिकारी पुल पर यातायात को रोक पाने में सफल रहे। बेशक, इससे कई लोगों की जान बच गई।’’ 

‘डाली’ उन कई जहाजों में से एक है, जो व्यापक रूप में या फिर पूरी तरह भारतीय नाविकों द्वारा संचालित है। वैश्विक जहाजरानी यातायात, जिसपर दुनिया का 90 प्रतिशत से अधिक वस्तुओं का व्यापार निर्भर है, वह वर्तमान समय में भारत के बिना अधूरा है। नाविक-आपूर्ति करने वाले देशों में भारत चीन और फिलीपींस के बाद तीसरे स्थान पर है। भारतीय नौवहन महानिदेशालय के अनुसार, वैश्विक नाविकों में भारत 10 प्रतिशत का योगदान देता है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, जहाजों पर भारतीय नाविकों की कुल संख्या 2013 में 1,08,446 थी, जो 2017 में बढ़कर 1,54,339 हो गई, जिसमें 62 हजार से अधिक समुद्री अधिकारी हैं। जहां अधिकांश चीनी नाविक अपने देश के जहाजों पर काम करते हैं, वहीं भारतीय नाविक राष्ट्रीय-बहुराष्ट्रीय जहाजों पर तैनात हैं। इसलिए किसी भी देश के नागरिकों की तुलना में भारतीय नाविक अधिक वैश्विक हैं। 

किसी भी क्षेत्र की सफलता में गुणवत्ता की भूमिका अपरिहार्य होती है। भारत लंबे समय से अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन की उस प्रतिष्ठित सूची में शामिल है, जो वैश्विक मानकों का अनुपालन करते हैं। इसमें शामिल होने हेतु किसी देश के पास उपयुक्त नाविक लाइसैंसिंग, प्रशिक्षण केंद्र, ध्वजांकित जहाजों पर नियंत्रण और राष्ट्रीय बंदरगाहों में विदेशी जहाजों की उचित जांच प्रणाली होना अनिवार्य है। यह कीर्तिमान कोई एकाएक प्रकट नहीं हुआ है। वास्तव में, समुद्र में भारत का ऐतिहासिक और विशिष्ट कालखंड रहा है। इतालवी यात्री, व्यापारी और खोजकत्र्ता मार्को पोलो के अनुसार, 13वीं शताब्दी से पहले तक भारतीय जहाजी बेड़े, विश्व के अन्य क्षेत्रों की तुलना में काफी विशाल और समृद्ध थे।

सदियों से प्राचीन भारत का ग्रीस सहित कई देशों के साथ संपर्क रहा है। यही नहीं, मराठा साम्राज्य के संस्थापक और वीर शिरोमणि छत्रपति शिवाजी महाराज को ‘नौसेना के जनक’ के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने नौसेना तब बनाई थी, जब अधिकतर देशों के पास नौसेना के नाम पर केवल छोटी टुकड़ी हुआ करती थी। समुद्र में मराठा नौसेना पुर्तगालियों से कोंकण और गोवा की सुरक्षा हेतु थी। वर्ष 1897 में अमरीकी इतिहासकार अल्फ्रेड थायर मेहैन ने कहा था, ‘‘जो ङ्क्षहद महासागर को नियंत्रित करेगा, वह एशिया पर हावी होगा। यह महासागर 21वीं सदी में सात समुद्रों की कुंजी है और दुनिया की नियति इससे तय होगी।’’-बलबीर पुंज


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