बुजुर्गों के सम्मान के साथ उनके अनुभव का लाभ भी उठाया जाना चाहिए

punjabkesari.in Saturday, Aug 31, 2019 - 03:43 AM (IST)


उत्तरी भारत के हिमाचल, पंजाब तथा जम्मू-कश्मीर राज्यों में सेवारत रोटरी अंतर्राष्ट्रीय जिला 3070 के 105 रोटरी क्लबों द्वारा रोटरी जिला गवर्नर सुनील नागपाल के आह्वान पर अगस्त महीना वरिष्ठ नागरिकों को सम्मानित करने हेतु समॢपत रहा। इस दौरान सभी जगहों पर वयोवृद्ध  वरिष्ठ नागरिकों को उनके द्वारा समाज के विभिन्न कार्यक्षेत्रों में की गई प्रशंसनीय सेवाओं के लिए सार्वजनिक रूप से सम्मानित किया गया। 

इसके माध्यम से समाज में एक संदेश भी गया है कि जिन व्यक्तियों ने अपनी आयु के अंतिम पड़ाव में भी विभिन्न कार्यक्षेत्रों में सेवाएं देकर अपने परिवार,समुदाय तथा समाज की भरपूर सेवा की है, उनके पास एक लम्बा अनुभव तथा रिकार्ड है, उन्हें सम्मानित करना ही काफी नहीं है बल्कि समय की सरकारों, उनके परिवारों व आम लोगों को प्रयास करना चाहिए कि ऐसे महानुभावों को अंतिम क्षण तक आदर दिया जाए और उनके अनुभवों का लाभ समाज को मिल सके। 

रोटरी क्लब ऊना के एक वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी सत्यमित्र बख्शी पिछले 18 साल से गरीब बच्चों को लाखों रुपयों का वजीफा बांट रहे हैं। इसलिए समय-समय पर अलग-अलग कार्यक्षेत्रों से जोड़कर उनका सदुपयोग किया जा सकता है। बहरहाल रोटेरियन यहां हर महीने कोई ऐसा लक्ष्य निर्धारित कर विभिन्न कार्यक्रम करते हैं, जिसके अंतर्गत वृक्षारोपण, पर्यावरण, शिक्षा संस्कार, महिला सशक्तिकरण, युवा शक्ति, देश के हित में अनेकानेक राष्ट्रीय मुद्दोंं को लक्षित कर व्यापक जनजागरूकता और प्रेरित करने में योगदान हो रहा है। 

हिमाचल प्रदेश में छात्र राजनीति 
हिमाचल प्रदेश तथा देश के अलग-अलग राज्यों में छात्र राजनीति हमेशा सक्रिय रहकर अहम रोल अदा करती आई है। अलग-अलग विश्वविद्यालयों तथा उनके साथ सम्बद्ध कालेजों में छात्र राजनीति में से उभरकर अलग-अलग राजनीतिक दलों से सम्बद्ध छात्र संगठनों में कार्यरत रहे छात्र नेताओं में से देश को अनेकों प्रतिबद्ध, जुझारू तथा अनुभवी राजनेता प्राप्त हुए हैं। इस प्रक्रिया से ये क्रम हमारे देश के जनतंत्र में परिपक्वता ला पाए हैं। 

भारत विश्व का सबसे बड़ा जनतंत्र है और विश्वविद्यालयों और कालेजों की छात्र राजनीति इसको मजबूत आधार प्रदान करने में एक प्रयोगशाला है। जहां तक हिमाचल प्रदेश का संबंध है, पिछले 5 सालों के दौरान विश्वविद्यालयों तथा कालेजों में छात्र संगठनों के सीधे चुनाव न करवाकर अप्रत्यक्ष चुनाव पद्धति अपनाई जा रही है, जिसको लेकर इन दिनों यह मुद्दा एक बार पुन: प्रचंड रूप से उठा है और छात्र-छात्राएं पहले की तरह सीधे चुनाव करवाकर केन्द्रीय छात्र परिषदों के पदाधिकारियों को चुने जाने की मांग कर रहे हैं और ऐसा न होने पर सभी संगठन प्रखर सीधा आंदोलन करने की धमकी दे रहे हैं। 

इधर, हिमाचल विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद ने इस मामले में अंतिम निर्णय देने के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित की है, जिसकी पूर्व निर्धारित बैठक को इसी सप्ताह स्थगित कर दिया गया। प्रदेश के अधिकांश छात्र संगठन सीधे चुनाव के लिए एकजुट होकर आंदोलनरत हैं, जबकि शिक्षाविद् पूर्ववत अप्रत्यक्ष चुनाव कराने की हिमायत करते ही दिखते हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार को इस संवेदनशील मुद्दे पर शीघ्र फैसला लेकर हस्तक्षेप करना चाहिए। 

हिमाचल में पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित 4265 पद रिक्त, पूर्व सैनिक खफा 
सरकारी सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार हिमाचल के विभिन्न विभागों में पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित 4265 पद खाली हैं, जबकि बड़ी संख्या में प्रदेश के जुझारू और देशभक्त पूर्व सैनिकों को अभी भी बेरोजगारी का अभिशाप सहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। विधानसभा में सरकार और विपक्ष दोनों द्वारा इस मामले को प्रभावी ढंग से उठाया गया है। अन्य महकमों की तरह वीर सैनिकों को सेना में सेवा करते अपनी युवा आयु में ही रिटायर होकर घर वापस आना पड़ता है, जबकि अनेकों को देश की रक्षा करते हुए शहादत का जाम पीना पड़ता है। इन सब शहीद परिवारों को भी रोजगार की समस्या हमेशा सताए रहती है। खाली पद उपलब्ध रहने के बावजूद विभाग रिक्त पदों को भरने के लिए क्यों तत्परता के साथ पग नहीं उठाते, इसकी जांच की जानी जरूरी है।-कंवर हरि सिंह


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