कश्मीर को भुला भारत के साथ मधुर संबंध बनाए पाकिस्तान

punjabkesari.in Friday, Sep 13, 2019 - 02:16 AM (IST)

जब से भारत सरकार ने कश्मीर से धारा 370 और 35ए हटाई है, उसी समय से हम देख रहे हैं कि पाकिस्तान आगबबूला हो रहा है। हालांकि यह पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है मगर कुछ पड़ोसियों को बिना वजह टांग अड़ाने में मजा आता है। एक महीना हो चुका है, कश्मीर से किसी भी प्रकार की विरोधाभासी खबरें नहीं आ रहीं। फिर क्यों पाकिस्तान मियां खामख्वाह बन रहा है। वह संयुक्त राष्ट्र संघ और अन्य देशों के सामने गिड़गिड़ाया लेकिन कोई मदद न  मिलती देख युद्ध की धमकियों पर उतर आया। 

अनाप-शनाप बयान
मजे की बात यह है कि वहां के रेल मंत्री युद्ध की धमकी देने के लिए सबसे आगे हैं। वह अनाप-शनाप बयान देते हैं कि उनके पास एक पाव व आधा पाव के भी परमाणु बम हैं। खैर मैं तो उनसे यही कहना चाहूंगा कि वह अपने देश की रेलवे की हालत को सुधारने पर ध्यान दें। पाकिस्तान कहता है कि कश्मीर हमारा है तो मैं कश्मीरी भाइयों की तरफ से कहता हूं कि जो कश्मीर का हिस्सा उनके पास है, जिसे वे जबरदस्ती लिए बैठे हैं, वहां उन्होंने कौन से गुल खिला रखे हैं कि कश्मीरी उनके पास जाएं। यह अलग बात है कि कभी-कभी विचारों में फर्क हो सकता है। 

कश्मीर के कुछ नौजवानों को बहका कर भारत में उनके द्वारा आतंक फैला कर अब तक पाकिस्तान कश्मीरियों  को यातना ही तो देता रहा है। उसने दुनिया की जन्नत कहे जाने वाले कश्मीर को जहन्नुम बना दिया लेकिन अब कश्मीरी लोग भी पाकिस्तान को समझ गए हैं। कश्मीर के युवा अब अपने क्षेत्रों में खुलने वाले रोजगार के अवसरों का लाभ उठा सकेंगे। देश के बाकी लोगों से घुल-मिल सकेंगे। भारत के प्रधानमंत्री ने भी उन्हें भरोसा दिया है कि उनकी खुले दिल से मदद की जाएगी। वह चाहे सरकारी नौकरी हो या व्यापार, हर क्षेत्र में कश्मीरियों को बढ़ावा दिया जाएगा। इस स्थिति से कश्मीरी लोगों को खुशी होनी चाहिए। 

किसी का सगा नहीं पाकिस्तान
उन्हें फिर यह समझने की जरूरत है कि पाकिस्तान किसी का सगा नहीं हुआ। वहां के हालात सबको पता हैं। फौज अपने आप में वहां की शासन है। कठमुल्ले किसी की चलने नहीं देते हैं, जो लोग हमेशा मरने-मारने की बात करें वे किसी का क्या भला कर सकते हैं। जहां तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की बात है तो उन्हें समझ में आ गया होगा कि क्रिकेट टीम चलाना अलग बात है और देश चलाना अलग बात। कश्मीर के मामले में स्वयं इमरान खान भी भ्रमित हैं। क्या कहना है क्या नहीं, उन्हें खुद भी नहीं पता। अच्छा तो यह होता कि जिस तरह खेल भावना के साथ इमरान खान भारत के साथ क्रिकेट खेले, उसी प्यार की भावना से दोनों देशों के रिश्तों को बेहतर बनाते। 

समझ नहीं आता कि एक तरफ वे करतारपुर कॉरीडोर पर काम कर रहे हैं और दूसरी तरफ समझौता ट्रेन और सदा-ए-सरहद बस को बंद कर रहे हैं। जिस तरह का उनका नजरिया करतारपुुर कॉरीडोर पर है, कश्मीर को भुला कर अगर पाकिस्तान भारत के साथ मधुर संबंध बनाए तो सबसे पहले तो इससे भारत के करोड़ों मुसलमानों को राहत मिलेगी क्योंकि कुछ सिरफिरे लोग बात-बेबात पर उन्हें पाकिस्तान से जोड़ देते हैं। हालांकि उनकी यह गलत हरकत है लेकिन जब संबंध सामान्य हों तो ऐसे सिरफिरों को भी कुछ कहने का मौका नहीं मिलेगा। 

व्यापार से दोनों देशों को फायदा
मैंने पहले भी एक लेख में लिखा था कि दोनों देश खुलकर व्यापार को बढ़ाएं तो इससे फायदा तो दोनों देशों की जनता को होगा, मगर पाकिस्तान को हमसे अधिक फायदा मिलेगा। लगभग 10 साल हुए, मैं पाकिस्तान अपने रिश्तेदारों के पास गया था। मैंने देखा कि वहां की जनता भी भारत के साथ व्यापार बढ़ाने को उत्सुक है। अभी तक दोनों देशों के लोग एक-दूसरे के रिश्तेदारों से मिलने आते-जाते रहते हैं लेकिन दोनों देश पर्यटक वीजा भी जारी करें तो एक-दूसरे को जानने-समझने का और परखने का मौका भी लोगों को मिलेगा। 

जब लोगों का आपस में एक-दूसरे के घर में आना-जाना नहीं होता, मिलना नहीं होता तो उनके बारे में तरह-तरह की बातें एक-दूसरे के सामने आती हैं। यही हाल इन दोनों देशों का भी है। खैर वर्तमान में तनाव के इस वक्त में ये बातें बेकार लग सकती हैं लेकिन दोनों देशों को आपस के इस तनाव को खत्म करना चाहिए, यही वक्त का तकाजा है। कुछ तुम भूलो, कुछ हम भूलें,झगड़ा छोड़ो, प्यार के भी दिखाओ नमूने।-वकील अहमद


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