सेमीकंडक्टर निर्माण के क्षेत्र में चीन को पछाड़ने को तैयार भारत

punjabkesari.in Wednesday, Feb 09, 2022 - 06:12 AM (IST)

भारत ने अपने औद्योगिक क्षेत्र को नई रफ्तार देने और वैश्विक स्तर का बनाने के लिए ढेर सारे विदेशी निवेशकों को आमंत्रित किया है, साथ ही प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सैंटिव (पी.एल.आई.) स्कीम की घोषणा की है, जिसके तहत सरकार ने 76,000 करोड़ रुपए का निवेश भी किया है। इतने बड़े बजट से भारत के हर क्षेत्र के उद्योग को बढ़त मिलेगी जिनमें इलैक्ट्रिकल, ऑटोमोटिव, मैडिसिन, डिफैंस, इलैक्ट्रॉनिक्स समेत कई क्षेत्र शामिल हैं। 

भारत अब डिजाइन ङ्क्षलक्ड इंसैंटिव (डी.एल.आई.) स्कीम के तहत दुनिया का सैमीकंडक्टर चिप केन्द्र बनने की राह पर अग्रसर हो रहा है। सैमीकंडक्टर एक ऐसा उपकरण है, जिसका इस्तेमाल क प्यूटर से लेकर कैमरे, कार से लेकर आई.टी. के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर किया जा रहा है और भारत सरकार इस दिशा में चीन को पछाडऩे के लिए अपनी कमर कस चुकी है। इसके लिए इलैक्ट्रॉनिक्स और तकनीकी मंत्रालय ने 100 से अधिक देसी एम.एस.एम.ई. और स्टार्टअप्स को आमंत्रित भी किया है। इसके लिए छोटी और मझोली कंपनियों के साथ स्टार्टअप, स्थानीय कंपनियों को आॢथक सहयोग भी दिया जाएगा, ताकि वे अपना उद्योग लगा सकें और सरकार की योजना में भागीदार बनें। 

डी.एल.आई. स्कीम के तहत सरकार इंटीग्रेटिड सॢकट के लिए सैमीकंडक्टर डिजाइन करने, चिपसैट,  चिप सिस्टम, आई.पी. कोर और सिस्टम और सैमीकंडक्टर ङ्क्षलक्ड डिजाइन से जुड़े उद्योग अगले 5 वर्षों में मजबूती के साथ खड़ा करना चाहती है। भारत इससे पूरी दुनिया में अग्रणी होगा, साथ ही जो कंपनियां चीन से भाग रही हैं, उन्हें कहीं और जाने की जरूरत नहीं, बल्कि वे भारत आकर अपना उद्योग लगा सकती हैं। इससे भारत को यह लाभ मिलेगा कि यह सिर्फ कुशल श्रमिक पैदा करने वाला देश नहीं रहेगा, बल्कि यहां उद्योग-धंधे लगेंगे तो भारत एक उन्नत और उद्यमी राष्ट्र के तौर पर जाना जाएगा। अपने कुशल श्रमिकों और कम लागत मूल्य के कारण भारत के उत्पाद वैश्विक स्तर की प्रतिस्पर्धा में अग्रणी रहेंगे। इस उद्योग के 3 हिस्से रहेंगे-चिप डिजाइन इंफ्रास्ट्रक्चर सपोर्ट, प्रोडक्ट डिजाइन लिंक्ड इंसैंटिव और डिप्लॉयमैंट लिंक्ड इंसैंंटिव। 

डी.एल.आई. स्कीम के तहत भारत में 20 स्थानीय कंपनियों को सैमीकंडक्टर के क्षेत्र में आगे बढ़ाया जा रहा है, ताकि वे अगले 5 वर्षों में 1500 करोड़ रुपए का कारोबार कर सकें। इसके साथ ही भारत में अब बड़ी-बड़ी विदेशी कंपनियां अपने क प्यूटर बनाने के लिए फैक्ट्रियां लगाने जा रही हैं, जिनमें प्रमुख हैं डेल, एच.पी. और एसर। पहली 2 कंपनियां अमरीकी हैं, जबकि एसर ताईवान की है। ये तीनों अब भारत में न सिर्फ क प्यूटर बनाएंगी, बल्कि इसमें लगने वाले पी.सी.बी. बोर्ड समेत अलग-अलग हिस्सों का निर्माण भी 3 अलग यूनिट लगाकर करेंगी। इनमें ये कंपनियां भारत द्वारा 90,000 करोड़ रुपए के निवेश से सैमीकंडक्टर के निर्माण का काम शुरू करेंगी। 

जिस स्तर पर भारत में इससे जुड़ी कंपनियां निवेश कर रही हैं और सरकार की योजना जिस तरीके से समर्थन कर रही है, उसे देखते हुए जानकारों की राय में आने वाले दिनों में भारत इलैक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर 10 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाला है। इसके साथ ही सैमीकंडक्टरों के निर्माण से भारत में पिछले वर्ष इनकी कमी के चलते ऑटो उद्योग को जो नुक्सान उठाना पड़ा था, वह भविष्य में नहीं उठाना पड़ेगा। 

अगर मोबाइल फोन निर्माण के क्षेत्र की बात करें तो सरकार की पी.एल.आई. स्कीम के तहत अगले 5 वर्षों में भारत में 5 अरब डॉलर के मोबाइल फोन निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ ही 100 से ज्यादा भारतीय कंपनियां और स्टार्टअप्स छोटे और मझोले उद्योग क्षेत्र के तहत डी.एल.आई. स्कीम से लाभ उठाते हुए चिप और इलैक्ट्रॉनिक्स कलपुर्जे बनाने और उसके डिजाइन का काम शुरू करेंगे। टाटा जैसी दिग्गज कंपनी ने भी इलैक्ट्रॉनिक्स निर्माण, असै बङ्क्षलग और डिजाइन में हिस्सा लिया है। भारत में देसी और विदेशी कंपनियां मिलकर जहां चीनी कंपनियों और चीन से आने वाले उत्पादों को बाहर का रास्ता दिखाएंगी, वहीं वैश्विक स्तर पर भी चीन के मुकाबले भारतीय सामान गुणवत्ता में आगे और दाम में कम होगा क्योंकि भारत अपनी कम निर्माण लागत का यहां पर लाभ उठाएगा। 

आने वाले दिनों में भारत न सिर्फ इलैक्ट्रॉनिक्स और इलैक्ट्रिकल, ऑटोमोटिव उपकरणों के निर्माण में पूरी तरह आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों का कम कीमत में निर्यात भी करेगा। इसका सबसे बड़ा असर चीन पर पड़ेगा, क्योंकि वह दुनिया भर में अपने उत्पादों का निर्यात कर उनसे धन अर्जित करता है, साथ ही उन्हें अपनी ताकत से डराता भी है। जब चीन का बेहतर विकल्प दुनिया के सामने होगा, तब बाकी देश उससे सामान खरीदने की जगह भारत को तरजीह देंगे। 


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