चीन के दिग्गज कार निर्माताओं ‘ग्रेट वॉल मोटर’ ने भारत में कारोबार समेटा

punjabkesari.in Tuesday, Jul 19, 2022 - 11:51 AM (IST)

चीन ने भारत से दुश्मनी मोल लेकर अपना बहुत बड़ा नुक्सान कराया है। गलवान घाटी हिंसा वाली घटना से पहले चीन भारत में लगभग हर क्षेत्र में निवेश कर रहा था। लेकिन चीन की धूर्तता के बाद भारत ने चीनी कंपनियों पर नकेल कसनी शुरू कर दी। चीन की सबसे बड़ी ऑटोमोटिव कंपनी ग्रेट वॉल मोटर लिमिटेड अब भारत से अपना सारा काम समेट कर वापस जा रही है। हालांकि चीन ने इस परियोजना पर बहुत पैसा निवेश किया था। भविष्य में भी चीन भारत में ऑटोमोटिव क्षेत्र में करोड़ों रुपए और निवेश करने वाला था, लेकिन बिना एक भी कार बनाए वह भारत में अपना काम समेट चुकी है। ग्रेट वॉल मोटर कंपनी अपना सारा निवेश भारत से निकाल कर ले जा रही है।

 

ग्रेट वॉल मोटर कंपनी भारत में वर्ष 2019 में एक बहुत बड़े निवेश और बाजार की रणनीति के साथ उतरी थी। यह कंपनी भारत में हर शहर में अपना शोरूम, कुछ बड़े शहरों में अपने मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगा कर यहां बहुत बड़े पैमाने पर कारें बनाकर भारतीय बाजार में बेचना चाहती थी और यहां पर बनी गाडिय़ां विदेशों को भी निर्यात करना चाहती थी। ऐसा करने में इन्हें कोई परेशानी नहीं होती, क्योंकि हर चीनी कंपनी वहां की सरकार से जुड़ी होती है, तो इनके पास पैसों की कमी कभी नहीं होती। अगर यह कंपनी भारत में विनिर्माण में जुट जाती तो जितनी भी देसी-विदेशी कार निर्माता कंपनियां भारत में काम कर रही हैं, सब बैठ जातीं, क्योंकि अपना बाजार बनाने के लिए यह ग्राहकों को लुभावने ऑफर देती। 

 

ग्रेट वॉल मोटर कंपनी शुरूआत में ग्राहकों को लुभाने के लिए बहुत कम दामों पर अपनी कार बेचती, भले ही उसमें घाटा ही क्यों न होता। इनके पास कैश रिजर्व इतना है कि ये लोग घाटा बड़ी आसानी से झेल जाते। इस वजह से भारतीय कार निर्माताओं को बहुत घाटा होता और हो सकता है कि वे कंपनियां दिवालिया हो जातीं। चीन वैसे भी कभी भी सीधे तरीके से व्यापार नहीं करता। चीन में भ्रष्टाचार जितने बड़े पैमाने पर फैला हुआ है, उसी रणनीति के तहत चीन की व्यापारिक कंपनियां अपने निर्धारित देशों में निवेश से पहले वहां के कानून और राजनीतिक तंत्र पर बहुत शोध करती हैं, जिसके बाद उन लूपहोल्स का फायदा अपने स्वार्थी हितों के लिए उठाती हैं।

 

चीन ने भारत में जल्दी काम शुरू करने के लिए अमरीकी कार कंपनी शेवरले का महाराष्ट्र में बना प्लांट एक अरब डॉलर में खरीद लिया, क्योंकि अगर चीन खुद फैक्टरी बनाता और लोगों को नौकरी पर रखता तो उसमें बहुत समय लगता। इसलिए चीन ने भारत में फ्लॉप अमरीकी कार कंपनी शेवरले की फैक्टरी खरीदकर अपना समय बचाया। लेकिन इसी बीच चीन ने गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों पर धोखे से हमला कर दिया, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए। इसके बाद ग्रेट वॉल मोटर और शेवरले में होने वाली डील रुक गई, क्योंकि अमरीका भी नहीं चाहता था कि चीन जिस देश पर हमला कर रहा है उसी देश में अपनी गाडिय़ां बना कर बेचे। इसे देखते हुए ग्रेट वॉल मोटर ने घोषणा की है कि उसने जितने भी लोगों को नौकरी पर रखा है, उन्हें निकाल दिया है और चीन ने इस फैक्टरी में अब तक जो भी निवेश किया था, वह सब भारत से निकाल लेगा। यानि चीन ने अपना काम भारत से समेट लिया है। वहीं दूसरी तरफ यह खबर चीन की अर्थव्यवस्था के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है, क्योंकि चीन की अर्थव्यवस्था इन दिनों ग्रोथ की कमी से जूझ रही है।

 

महामारी के बाद चीन में करीब 20 लाख बड़ी कपनियां बंद हो गई हैं, जिससे वहां पर लोगों के पास रिजर्व में पैसा नहीं बचा। इसका सबसे बुरा असर चीन में स्थिर हो चुकी मांग पर पड़ा है। वहीं दूसरी तरफ भारत की अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है, यहां पर ग्रोथ की बहुत संभावनाएं हैं। लेकिन चीन ने जो बेवकूफी कर अपना इतना बड़ा बाजार खोया है, उसकी भरपाई जल्दी नहीं हो सकती, क्योंकि भारत की बड़ी जनसंख्या के साथ यहां पर गाड़ियों की बिक्री में पिछले 2 वर्षों में बहुत उछाल आया है। ऑटोमोटिव बाजार के जानकारों का कहना है कि भारतीय कार बाजार धीरे-धीरे बहुत आगे जाएगा।

 

ग्रेट वॉल मोटर के अपना काम समेटने के कारण चीन की दूसरी कार निर्माता कंपनियों तुंगफांग, छांगआन, बी.वाई.डी., चेरी, क्वांचौ ऑटोमोबाइल, च्यांगहुई इत्यादि को यह बात समझ में आ गई है कि अब भारत में उनका बाजार खत्म हो चुका है और वे भी भारत में निवेश से बचेंगी। अब इसका न्यायसंगत लाभ देसी, यूरोपीय और अमरीकी कार निर्माता कंपनियां उठाएंगी।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News