हरियाणा के सिखों को राजनीतिक तौर पर सशक्त करे भाजपा

punjabkesari.in Friday, Mar 08, 2024 - 05:36 AM (IST)

हाल ही में, हरियाणा के सिखों द्वारा प्रसिद्ध लेखक डा. प्रभलीन सिंह द्वारा लिखित पुस्तक ‘हरियाणा दे सिख और खट्टर’ के अनावरण समारोह के लिए कुरुक्षेत्र में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में मौजूद सिख हस्तियों ने जहां हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा सिखों के लिए किए गए कार्यों की सराहना की, वहीं इस कार्यक्रम से एक दिन पहले हरियाणा सिख फोरम के नेताओं ने मुख्यमंत्री पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया। 

यह अजीब संयोग है कि एक तरफ हरियाणा के सिख नेता कह रहे हैं कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कार्यकाल में राज्य के सिखों की स्थिति पंजाब के सिखों से बेहतर हो गई है। दूसरी ओर, पंजाब के अकाली दल के नेता मनोहर लाल सरकार के खिलाफ खुलकर बोल रहे हैं और हरियाणा के संगठन हरियाणा सिख फोरम के नेता 2014 के चुनाव घोषणा पत्र के अनुसार मुख्यमंत्री पर गुरु गोबिंद सिंह विश्व विश्वविद्यालय के निर्माण का वायदा पूरा नहीं करने का आरोप लगा रहे हैं। 

अगर हम गत 9 दिनों के दौरान हरियाणा से पूर्व राज्यसभा सदस्य तरलोचन सिंह, हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष, महासचिव और अन्य पदाधिकारियों, हरियाणा सरकार के एकमात्र सिख मंत्री और अन्य सिख हस्तियों सहित अन्य वक्ताओं द्वारा दिए गए भाषणों की बात करें तो वर्षों से, मनोहर लाल खट्टर ने श्री गुरु नानक देव जी, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी, श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी और बंदा सिंह बहादुर की जयंती से संबंधित बड़े कार्यक्रम आयोजित किए और छोटे साहिबजादों के शहीदी दिवस पर पूरे हरियाणा में करवाए गए समारोहों का जिक्र किया। 

खट्टर सरकार की ओर से बाबा बंदा सिंह बहादुर की उस समय की राजधानी लोहगढ़ स्थित निर्मित किए जाने वाले स्मारक के लिए 20 एकड़ सरकारी जमीन देना, श्री गुरु तेग बहादुर जी के शीश को सुरक्षित पहुंचाने के लिए  अपना सिर अपने बेटे से कटवाकर सिखी परम्परा निभाने वाले भाई कुशल सिंह दहिया की याद में बडखलसा में यादगार बनाना, गुरुद्वारा नाडा साहब के सौंदर्यीकरण के लिए जमीन देना, हरियाणा के सिखों के लिए अलग गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी हेतु सुप्रीमकोर्ट में सफल पैरवी करना और पिपली में सिख म्यूजियम के निर्माण का प्रबंध करना शामिल है। मगर यह सब कुछ करने के बावजूद हरियाणा के कुछ सिख खट्टर पर वायदा खिलाफी का दोष लगा रहे हैं। 

इसलिए हरियाणा सरकार को इन लोगों को संतुष्ट करने के लिए गुरु गोबिंद सिंह जी के नाम पर एक विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए काम करना चाहिए। मनोहर लाल खट्टर, जो स्वयं को सिखों का मित्र न मानकर अपने आपको दोस्त से अधिक एक सहजधारी सिख मानते हुए गुरु भाई मानते हैं, को हरियाणा के सिखों के अनुपात के अनुसार राजनीतिक ताकत भी देनी चाहिए क्योंकि आज तक  हरियाणा के सिखों को संसद में नाममात्र प्रतिनिधित्व ही मिला है जिनमें से उल्लेखनीय आत्मा सिंह ने कांग्रेस से लोकसभा चुनाव जीता और तरलोचन सिंह ने निर्दलीय के रूप में राज्यसभा चुनाव जीता। 

भाजपा को हरियाणा से भी एक सिख नेता को लोकसभा में भेजना चाहिए। हरियाणा में कई सिख चेहरे ये क्षमता  रखते हैं  जिनमें भाजपा  मनजिंदर सिंह सिरसा, रमणीक सिंह मान के नाम काफी अहम हैं। रमणीक सिंह मान जहां हरियाणा में रहकर भाजपा के लिए खूब काम कर रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री खट्टर के मुख्य मीडिया समन्वयक के तौर पर भी काम कर रहे हैं। इसलिए हरियाणा सरकार को भी अपने वायदे के मुताबिक इन लोगों को संतुष्ट करने के लिए गुरु गोबिंद सिंह जी के नाम पर एक विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए काम करना चाहिए। 

ढींडसा अकाली भाजपा गठबंधन के संस्थापक हो सकते हैं : पिछले 6 साल से शिरोमणि अकाली दल बादल से अलग हुए सुखदेव सिंह ढींडसा ने अब शिरोमणि अकाली दल बादल से सुलह कर ली है और अपने नेतृत्व में यूनाइटेड अकाली दल का बादल अकाली दल में विलय कर लिया है। यूनाइटेड अकाली दल का अकाली दल बादल में विलय तभी शुरू हो गया था जब सुखबीर सिंह बादल ने अकाल तख्त साहिब पर खड़े होकर माफी मांगी थी। उसी वक्त ये अटकलें शुरू हो गई थीं कि ये विलय एक-दो दिन में हो जाएगा लेकिन उस समय अकाली दल यूनाइटेड के कुछ वरिष्ठ नेताओं के विरोध के कारण मामला टल गया था। इसके चलते अकाली दल बादल के साथ विलय पर निर्णय लेने के लिए यूनाइटेड अकाली दल के नेतृत्व की एक समिति का गठन किया गया और यह निर्णय लिया गया कि यह समिति देशभर के कार्यकत्र्ताओं और पदाधिकारियों से चर्चा करने के बाद अकाली दल बादल में विलय करेगी। 

इस कमेटी को और समय दे दिया गया। यह रिपोर्ट मिलने के बाद सुखदेव सिंह ढींडसा ने अकाली दल बादल में विलय का फैसला किया। हमने पिछले कॉलम में लिखा था कि अगर ढींडसा चाहेंगे तो अन्य नेताओं के विरोध के बावजूद यह विलय हो जाएगा और अब 5 मार्च को सुखबीर सिंह बादल और सुखदेव सिंह ढींडसा ने एक साथ विलय का औपचारिक ऐलान कर दिया है। 

इस विलय से अकाली दल बादल को कितनी ताकत मिलेगी यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन इस विलय से अकाली दल बादल के भाजपा के साथ गठबंधन की संभावनाएं जरूर मजबूत हो गई हैं क्योंकि यह साफ है कि मौजूदा समय में अगर किसी अकाली नेता के भाजपा आलाकमान से अच्छे रिश्ते हैं तो वह हैं सुखदेव सिंह ढींडसा। इसलिए सुखदेव सिंह ढींडसा अकाली दल और भाजपा के बीच गठबंधन का सूत्र हो सकते हैं।-इकबाल सिंह चन्नी(भाजपा प्रवक्ता पंजाब)
 


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