नशे के लिए ‘हिमाचल के युवा’ ‘मेंढकों का पसीना तक चाटने लगे’

punjabkesari.in Friday, Dec 14, 2018 - 03:33 AM (IST)

आज देश के अनेक राज्यों में नशे की लत महामारी की तरह फैलती जा रही है जिसकी शिकार होकर युवा पीढ़ी अपना स्वास्थ्य तबाह कर रही है तथा देवभूमि हिमाचल के युवा भी अब इससे मुक्त नहीं रहे। 

इस समस्या की गंभीरता का उल्लेख हिमाचल विधानसभा में करते हुए सदस्यों ने कहा कि अन्य नशीले पदार्थों के अलावा मेंढक के पसीने और जूते की पालिश तक को प्रदेश के युवा नशे के रूप में इस्तेमाल करने लगे हैं। कुछ लड़कों को अपनी गुदा में नशीले पदार्थ छिपाए हुए पाया गया। नूरपुर के विधायक राकेश पठानिया के अनुसार उनके इलाके में सीनियर सैकेंडरी के कुछ छात्रों ने उस समय अपने स्कूल के प्रिंसिपल की पिटाई कर दी जब प्रिंसिपल ने उन्हें मेंढकों के साथ खेलने से रोका। 

पड़ताल करने पर पता चला कि छात्र मेंढकों के साथ खेल कर उनको ‘थका’ रहे थे ताकि उनका पसीना निकल आए और फिर वे उस पसीने को नशे के तौर पर चाट सकें। इन छात्रों का दावा है कि एक बार इसे चाट लेने से शराब की एक बोतल के बराबर नशा हो जाता है। जहां नशे के लिए मेंढक के पसीने का इस्तेमाल एक खतरनाक रुझान का संकेत है वहीं चंबा के विधायक बिक्रम जरियाल के अनुसार लड़के नशे के लिए जूतों की पालिश तक का सेवन भी कर रहे हैं। इंदौरा की विधायक रीटा धीमान के अनुसार उनके इलाके में अक्सर सुनसान जगहों पर इस्तेमालशुदा इंजैक्शन व शराब की खाली बोतलें बरामद होती हैं जबकि चिट्टा इस इलाके में सर्वाधिक लोकप्रिय नशा बन गया है। 

उक्त तथ्यों को देखते हुए जहां सदन में सदस्यों ने सरकार से प्रभावित इलाकों में पुलिस तैनात करने और खोजी कुत्तों की सेवाएं लेने की आवश्यकता पर बल दिया है वहीं कुछ सदस्यों ने कहा है कि इस समस्या से निपटने के लिए गांवों में महिलाओं के समूह गठित किए जाने चाहिएं जो नशों के विरुद्ध प्रचार करके लोगों को इस ओर से हटाने की कोशिश करें। इससे निपटने हेतु सरकार को नशे के व्यापारियों की सख्ती से नकेल कस कर सब तरह के नशों की उपलब्धता रोकनी होगी क्योंकि यदि इस पर काबू न पाया गया तो आने वाले वर्षों में युवा पीढ़ी बर्बाद हो जाएगी।—विजय कुमार


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Pardeep

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