पत्थरबाजी करके पत्थरबाज कश्मीर का बचा-खुचा पर्यटन उद्योग भी तबाह करने लगे

punjabkesari.in Thursday, May 10, 2018 - 03:34 AM (IST)

जम्मू-कश्मीर में सक्रिय पाक समर्थित अलगाववादी हुर्रियत नेता आलीशान मकानों में ठाठ से जीवन बिताते हैं। इनके बच्चे भी देश के दूसरे हिस्सों व विदेशों में सुरक्षित रह रहे हैं और वहीं ये अपने शादी-विवाह, शिक्षा-दीक्षा और इलाज आदि करवाते हैं परंतु घाटी में अशांति फैलाने के लिए ये 150-150 रुपए दिहाड़ी देकर स्थानीय जरूरतमंद बच्चों से पत्थरबाजी करवाते हैं। 

हाल ही में ‘राष्ट्रीय जांच एजैंसी’ ने कहा है कि कश्मीर में पत्थरबाजी एक कारोबार का रूप ले चुकी है तथा युवा कश्मीरी पत्थरबाज अलगाववादी नेताओं के बहकावे में आकर सेना, सी.आर.पी.एफ. व पुलिस बलों पर पत्थर बरसाते हैं। कुछ समय पूर्व पत्थरबाजों की गतिविधियों में कुछ कमी आ गई थी परंतु अब फिर इन्होंने अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं जिसका सुरक्षा बलों के सदस्यों के साथ-साथ स्थानीय लोग तथा यहां घूमने आए पर्यटक शिकार होने लगे हैं। 2 मई को दक्षिण कश्मीर में शोपियां जिले के जाबूरा क्षेत्र में पत्थरबाजों ने एक स्कूल बस को निशाना बनाया जिससे 2 बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए। 

इसके मात्र 5 दिन बाद 7 मई को पत्थरबाजों ने श्रीनगर-बारामूला हाइवे पर स्थित नारबल के निकट कश्मीर घूमने आए दक्षिण भारत के पर्यटकों के चार वाहनों पर हमला कर दिया जिससे चेन्नई से आए एक युवा पर्यटक की मृत्यु तथा उसके कुछ अन्य साथी व उत्तरी कश्मीर की एक युवती भी गंभीर रूप से घायल हुई है। उक्त दोनों घटनाओं के बाद प्रदेश में पत्थरबाजों के विरुद्ध रोष भड़क उठा है और यह पहला मौका है जब सभी राजनीतिक विचारधाराओं के नेताओं ने इसकी निंदा की है। जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने पर्यटक युवक की मौत को मानवता की हत्या करार दिया और कहा : 

‘‘इस घटना से मेरा सिर शर्म से झुक गया है। जो लोग किसी को मारने के लिए पत्थर उठाते हैं उनका कोई धर्म नहीं होता। यह घटना कश्मीर की आतिथ्य परम्परा और मेहमानों के प्रति सम्मान की भावना के विरुद्ध है।’’नैशनल कांफ्रैंस के कार्यवाहक अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘यह कठोर सच्चाई है कि हमने एक पर्यटक तथा एक मेहमान की जान ली है और वह भी इन पत्थरबाजों के तरीकों को सही ठहराते हुए। मैं इन गुंडों और इनके तरीकों या विचारधारा का समर्थन नहीं करता।’’ रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इस घटना को शर्मनाक बताते हुए कहा, ‘‘कश्मीर में पत्थरबाजों के निशाने पर आए पर्यटक की मौत घोर निंदनीय है।’’ 

अब तो जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेताओं मीरवायज उमर फारूक, सैयद अली शाह गिलानी और यासीन मलिक ने भी पर्यटकों पर हमले की ङ्क्षनदा कर दी है और कहा है कि, ‘‘पर्यटक हमारे मेहमान हैं। हमें सदियों पुरानी इस्लामिक और कश्मीरी परम्पराओं का आदर करते हुए उन्हें परेशान नहीं करना चाहिए।’’ जम्मू-कश्मीर सरकार की आय का मुख्य स्रोत पर्यटन ही है जिसका राज्य में 2 दशक से अधिक समय से जारी आतंकवाद के कारण भट्ठा बैठ चुका है। इस वर्ष जम्मू-कश्मीर सरकार इसे पटरी पर लाने की कोशिश कर रही थी, जिस पर इस घटना ने पानी फेर दिया तथा पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों, होटल मालिकों, टैक्सी चालकों और शिकारा मालिकों आदि को ङ्क्षचता में डाल दिया है। ट्रैवल एजैंट्स एसोसिएशन कश्मीर (टी.ए.ए.के.) के प्रधान अशफाक सिद्दीक के अनुसार,‘‘यह घटना कश्मीर पर्यटन के कफन में अंतिम कील सिद्ध हो सकती है।’’ 

उल्लेखनीय है कि कुछ समय पूर्व गृह मंत्रालय ने सुरक्षाबलों के साथ एनकाऊंटर स्थलों पर पत्थरबाजों के हमलों पर नाराजगी जाहिर की थी और प्रदेश सरकार से पूछा था कि 9000 से अधिक पत्थरबाजों को माफी देने के बावजूद वह इनकी गतिविधियों पर अंकुश क्यों नहीं लगा पा रही है। एक ओर प्रदेश में सक्रिय आतंकवादियों द्वारा अद्र्धसैनिक बलों और पुलिस बलों में भर्ती अपने ही लोगों और अन्य स्थानीय लोगों की हत्या तो दूसरी ओर पाकिस्तान सरकार द्वारा दी जाने वाली आर्थिक सहायता से ऐश करने वाले अलगाववादियों के उकसावे में युवाओं की पत्थरबाजी से प्रदेश का वातावरण खराब हो रहा है। 

कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इसे कोई ताकत अलग नहीं कर सकती। अत: खूनखराबा करके आतंकवादी व पत्थरबाज अपनी व अपने लोगों की ही हानि कर रहे हैं। ऐसी घटनाएं होती रहेंगी तो प्रदेश में हालात कभी भी सामान्य नहीं हो सकेंगे और केन्द्र सरकार की मदद पर जिंदा प्रदेश की रही-सही अर्थव्यवस्था भी नष्ट हो जाएगी जिसका खमियाजा यहां के लोगों को ही भुगतना पड़ेगा।—विजय कुमार


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Pardeep

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