‘लोगों और बैंकों के लिए बने परेशानी’ 1, 2, 5 तथा 10 रुपए के सिक्के व 100 रुपए के गंदे नोट

punjabkesari.in Sunday, May 13, 2018 - 02:08 AM (IST)

बदले हुए वित्तीय परिदृश्य में आज देश में 1, 2, 5 और 10 रुपए के सिक्कों को संभालना बैंक अधिकारियों ही नहीं बल्कि आम लोगों के लिए भी कठिन प्रतीत हो रहा है जबकि दूसरी ओर बैंक अधिकारियों को भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से बार-बार चैस्ट में रखे हुए सिक्कों को जल्द से जल्द बाजार में उतारने संबंधी मौखिक निर्देश दिए जा रहे हैं। 

इस संबंध में बैंक अधिकारियों का कहना है कि बैंकों में सिक्के रखने का स्थान तय नहीं है तथा बाजार में तो हालात और भी खराब हैं जो पहले ही सिक्कों के बोझ तले दबता जा रहा है। थोक बाजार में बिलिंग भी राऊंड फिगर में की जा रही है। अगर बिल 206 रुपए का होता है तो या तो 200 रुपए लिए जाते हैं या 210 रुपए वसूल किए जाते हैं जिस कारण सिक्कों की ‘जरूरत’ कम हो गई है। 

हालांकि रिजर्व बैंक 5 और 10 रुपए के नोटों की बजाय इनके सिक्कों के उपयोग को बढ़ावा दे रहा है परंतु संभालने में असुविधाजनक होने के कारण अब आम उपभोक्ता भी सिक्के लेने से संकोच करते हैं। केवल सिक्कों से ही नहीं, पुराने, खराब तथा बेहद गंदे हो चुके 100 रुपए के नोट भी बैंकों के लिए बड़ा सिरदर्द बन रहे हैं। बैंकरों को चिंता है कि कई राज्यों में जारी नोटों की कमी इनकी वजह से और बढ़ सकती है। 200 तथा 2000 रुपए के नोटों की ही तरह ए.टी.एम्स में नोटों की ट्रे में फिट होने लायक 100 रुपए के नोटों की भी कमी हो चुकी है क्योंकि उपलब्ध 100 रुपए के अधिकतर नोट इतने गंदे या अनफिट हैं कि वे ए.टी.एम्स में डाले ही नहीं जा सकते। इनमें से कुछ तो सन् 2005 के छपे हुए हैं। 

इस संबंध में बैंकों ने रिजर्व बैंक से 100 रुपए के पुराने तथा गंदे नोटों की समस्या की ओर ध्यान देने को कहा है ताकि नोटों की कमी की वर्तमान समस्या को और गहरा होने से रोका जा सके। बैंकों का कहना है कि इस समस्या पर रिजर्व बैंक को तुरंत ध्यान देना चाहिए तथा उसे 100 रुपए वाले भी नए नोट जारी करने चाहिएं, नहीं तो आने वाले दिनों में 500 रुपए के नोटों पर दबाव बढ़ जाएगा। नोटबंदी के पश्चात रिजर्व बैंक ने बड़ी संख्या में 100 रुपए के नोट बाजार में उतारे थे परंतु वर्तमान हालात में वे नाकाफी प्रतीत हो रहे हैं क्योंकि जब तक 500 रुपए के नए नोट जारी नहीं हुए थे, 2000 रुपए के नोटों के छुट्टे के रूप में 100 रुपए के नोटों का ही प्रमुखता से इस्तेमाल हुआ। 

बैंकरों के अनुसार नोटबंदी के दिनों में नोटों की किल्लत से निपटने के लिए बड़ी संख्या में गंदे नोटों के प्रयोग की स्वीकृति दी जाती रही और अभी भी ये चलन में हैं परंतु इनकी हालत इतनी खराब हो चुकी है कि ए.टी.एम्स में डालना तो दूर इन्हें सम्भालना भी कठिन है। बैंकों को 1, 2, 5 व 10 रुपए के सिक्कों को संभालने और 100 रुपए के गंदे नोटों की समस्या के अलावा देश के अनेक भागों में स्थित ग्रामीण इलाकों के बैंकों को नकदी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में तो स्थिति अधिक ही खराब है जहां अनेक ए.टी.एम. खाली हैं या उनके शटर डाऊन हैं। बताया जाता है कि नकदी प्राप्त करने की उम्मीद में ग्राहक सारा-सारा दिन बैंकों में बैठे रहते हैं। 

लिहाजा इन हालात में और सिक्कों को बाजार में उतारने के स्थान पर यदि बाजार में 1, 2, 5 और 10 रुपए के नोट उतारे जाएं तथा 100 रुपए के नए नोटों की छपाई में तेजी लाई जाए तो इससे बैंक कर्मचारियों के साथ-साथ आम लोगों को भी काफी सुविïधा हो जाएगी। इससे जहां वे सिक्के संभालने के झंझट से भी बच सकेंगे वहीं ए.टी.एम्स में 100 रुपए वाले नोटों की भी कमी नहीं होगी।—विजय कुमार   


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Pardeep

Recommended News

Related News