अब बंगलादेश सीमा से जाली करंसी की तस्करी बढ़ रही है

punjabkesari.in Wednesday, Sep 13, 2017 - 01:45 AM (IST)

जाली करंसी और काला धन समाप्त करने के लिए गत वर्ष 8 नवम्बर को केंद्र सरकार द्वारा देश में 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट बंद करने की घोषणा के बाद हुए नए खुलासे के अनुसार अब भारत में जाली करंसी की आपूर्ति का केंद्र पाकिस्तान की जगह बंगलादेश बनता जा रहा है। 

22 अगस्त को कोलकाता पुलिस की स्पैशल टास्क फोर्स ने मध्य कोलकाता में 3 व्यक्तियों आलम शेख, गोलप शेख तथा सेराऊल शेख को गिरफ्तार करके उनके कब्जे से 2000 रुपए मूल्य वाले नोटों के रूप में 9.46 लाख रुपए की नकली करंसी जब्त की। ये तीनों आरोपी बंगलादेश सीमा पर स्थित मालदा जिले के रहने वाले हैं। 23 अगस्त को भारत-बंगलादेश अंतर्राष्ट्रीय सीमा के निकट मालदा जिले में चुरियांतपुर सीमा चौकी पर तैनात बी.एस.एफ. के जवानों ने बंगलादेश की ओर से फैंका गया जाली करंसी का एक बंडल जब्त किया। तस्कर गिरोह बंडल उठाने के लिए घात लगाए बैठा था पर बी.एस.एफ. की टुकड़ी को देख कर फरार हो गया। उस बंडल में से 2000 रुपए मूल्य के 260 जाली नोट बरामद हुए जिनकी राशि 5.20 लाख रुपए बनती है। 

01 सितम्बर को मुम्बई के उपनगर मुम्ब्रा में डी.आर.आई. के अधिकारियों ने कर्नाटक से आए एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर उसके कब्जे से 7.56 लाख रुपए के 2000 रुपए मूल्य वाले नकली नोट बरामद किए। पूछताछ के दौरान उसने ये नोट बंगलादेश सीमा पर स्थित पश्चिम बंगाल के इस्लामपुर कस्बे में एक व्यक्ति से प्राप्त करने की बात कही। 11 सितम्बर को बी.एस.एफ. के जवानों ने भारत-बंगलादेश सीमा पर चुरियांतपुर में 6,90,000 रुपए की नकली करंसी बरामद की। उक्त उदाहरणों से स्पष्टï है कि नोटबंदी के बाद केंद्र सरकार की कड़ी निगरानी के बावजूद देश में नकली नोटों का चलन थम नहीं रहा। 

नवीनतम रहस्योद्घाटन के अनुसार जहां नोटबंदी के बाद पाकिस्तान में मौजूद फर्जी करंसी छापने वाली फैक्टरियों पर असर पड़ा है वहीं पश्चिम बंगाल के साथ लगते पड़ोसी बंगलादेश के भारत में 2000 रुपए के जाली नोटों के निर्माण और उनकी तस्करी के बड़े केंद्र के रूप में उभरने से भारत के लिए नई समस्या खड़ी होती दिखाई दे रही हैै। इसका प्रमाण यह है कि भारत-बंगलादेश सीमा पर इस वर्ष जनवरी के बाद से जाली नोटों की बरामदगी में लगातार वृद्धि देखने को मिल रही है। इस वर्ष के पहले 6 महीनों में बी.एस.एफ. ने कम से कम 32 लाख रुपए के जाली नोट पकड़े हैं। जनवरी में 1 लाख रुपए, फरवरी में 2.96 लाख, मार्च में 4.60 लाख, अप्रैल में 20 लाख और मई में 6.98 लाख रुपए की जाली करंसी पकड़ी गई। 

गुप्तचर सूत्रों का कहना है कि भारत में नोटबंदी के बाद से ही जाली नोटों के निर्माता सिंडीकेटों ने एक बार फिर से देश में जड़ें जमाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि इसके लिए जाली नोटों के व्यापारी 2000 रुपए की नई नकली करंसी छापने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रयुक्त कागज से मेल खाते कागज की तलाश में जुटे हुए हैं। बंगलादेश में कार्यरत जाली नोटों के सिंडीकेट अब मलेशिया और सऊदी अरब से नोटों की छपाई में प्रयुक्त कागज की तस्करी करवा रहे हैं क्योंकि वहां से आने वाला कागज भारत में छपने वाले नए 2000 रुपए मूल्य के करंसी नोट में प्रयुक्त कागज से काफी मिलता-जुलता है। 

चूंकि नकली करंसी चलाना किसी भी देश में रह कर उसकी जडं़े खोदने जैसा है, अत: इनके निर्माण या सप्लाई से जुड़े लोगों के विरुद्ध देशद्रोह के आरोप में कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। इसके साथ ही यह भी आवश्यक है कि जिस प्रकार अमरीकी बैंकों में जमा करने के लिए आने वाले नोट गिनने के लिए लगाई गई मशीनें गिनती के दौरान नकली पाए जाने वाले नोटों को उसी समय नष्ट कर देती हैं वैसी ही मशीनें भारतीय बैंकों में भी लगानी चाहिएं ताकि नकली नोट आम लोगों तक दोबारा पहुंच ही न सकें।—विजय कुमार


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