अब ‘बसों’ और ‘एम्बुलैंस गाडिय़ों’ में हो रही ‘नशे की तस्करी

punjabkesari.in Friday, Aug 12, 2016 - 02:23 AM (IST)

जिस प्रकार पंजाब के भटिंडा, मानसा, मुक्तसर, मोगा और बरनाला आदि  कैंसरग्रस्त क्षेत्रों के लोग सस्ते इलाज के लिए राजस्थान जाते हैं, उसी प्रकार इन क्षेत्रों के नशेडिय़ों द्वारा राजस्थान जाकर वहां से पोस्त लाने और इसके लिए नए-नए तरीके अपनाने का खुलासा हुआ है। 

 
गत 21 जुलाई को पीलीबंगा पुलिस ने एक बस रुकवा कर जांच की तो उसमें सवार 10 महिलाओं सहित सभी 55 यात्रियों से पोस्त बरामद हुई। नशेडिय़ों द्वारा पूरी की पूरी बस किराए पर लेकर राजस्थान से भुक्की लाने की घटना का यह पहला मौका बताया जाता है। 
 
 इनमें से 27 व्यक्ति मुक्तसर, 16 भटिंडा व अन्य मोगा, फरीदकोट, संगरूर, बरनाला और फिरोजपुर जिलों के हैं। अन्य यात्रियों में एक हनुमानगढ़ और दूसरा हरियाणा का है। भुक्की लेने कई किलोमीटर सफर तय करके राजस्थान जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के कब्जे से 2 से अढ़ाई किलो तक तथा कुल लगभग डेढ़ क्विंटल भुक्की बरामद हुई।
 
आरोपियों ने बताया कि पहले वे मुक्तसर तथा अबोहर के साथ लगने वाली राजस्थान की सीमा पर स्थित ठेकों से भुक्की लेते थे परंतु इस साल 1 अप्रैल से ठेके बंद होने के बाद उन्होंने फिलौदी के तस्करों से संपर्क किया। 
 
उक्त घटना के लगभग 2 सप्ताह बाद ही 7 अगस्त को बीकानेर पुलिस ने एक एम्बुलैंस गाड़ी को जब्त करके ड्राइवर सहित 5 लोगों को गिरफ्तार करके 50 किलो पोस्त बरामद की। इनमें से एक व्यक्ति रोगी होने का स्वांग कर रहा था जबकि अन्य 4 उसके ‘अटैंडैंट’ बने हुए थे। 
 
ये लोग 3 अगस्त रात को भटिंडा से गाड़ी में सवार होकर 4 अगस्त सुबह बीकानेर पहुंचे और वहां से जोधपुर में स्थित फिलौदी जाकर पोस्त खरीदा और रात की बस में सवार होकर बीकानेर आ गए। वहां से उन्होंने 5 तारीख सुबह उक्त एम्बुलैंस चालक से 300 रुपए में हनुमानगढ़ तक पहुंचाने के लिए किराया तय किया परन्तु यहां पुलिस के हत्थे चढ़ गए। 
 
इनसे पूछताछ के दौरान पता चला है कि औसतन प्रतिदिन 150 से 200 लोग भटिंडा से रेलगाड़ी द्वारा बीकानेर आते हैं और वहां से फिलौदी, भाप और नागौर आदि से पोस्त खरीद कर वापस लौट जाते हैं। 
 
उल्लेखनीय है कि राजस्थान के कुछ इलाके अफीम और पोस्त के साथ-साथ ब्राऊन शूगर जैसे नशों की भी बड़ी मंडी बनते जा रहे हैं। कुछ समय पूर्व भसाड़ में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने एक किलो हैरोइन पकड़ी थी जिसका अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मूल्य 5 करोड़ रुपए है।
 
पूछताछ के दौरान यह दिलचस्प तथ्य उजागर हुआ है कि नशे के ये तस्कर अपने इन ग्राहकों को तमाम सुविधाएं प्रदान करते हैं जिनमें इनको रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से पिकअप करके अपने ठिकाने तक ले कर आना और फिर वहां इन्हें ‘माल’ बेचने के बाद खाना आदि खिला कर वापस उनकी मंजिल तक छोड़ कर आना शामिल है। 
 
तस्करों द्वारा इन नशेडिय़ों को भुक्की बेचने के साथ-साथ दी जाने वाली  सुविधाओं में बोनस के तौर पर उन्हें भोजन, चाय और भुक्की की उनकी रोजाना की खुराक की पैकेज डील देना भी शामिल है। 
 
आरोपियों के अनुसार इस नाइट रूट पर प्रतिदिन 9 बजे के बाद जोधपुर से हनुमानगढ़ के लिए दो बसें चलती हैं जो पंजाब से लोगों को लाकर उन्हें फिलौदी, भाप, नागौर और बीकानेर के ठिकानों पर उनकी प्रतीक्षा कर रहे तस्करों तक पहुंचाती हैं। इनमें यात्रा करने वाले सब लोगों में एक बात सांझी होती है कि ये नशा खरीदने के लिए ही वहां आते हैं। 
 
नशा लोगों की जड़ों में किस कदर समा गया है इसका अनुमान पूछताछ के दौरान एक आरोपी की इस टिप्पणी से लग जाता है कि ‘‘दुर्भाग्य से इस बार मैं पकड़ा गया। जमानत होने के बाद मैं भुक्की लाने के लिए फिर राजस्थान ही जाऊंगा लेकिन इस बार अधिक सावधानी बरतूंगा।’’
 
एक पूरी की पूरी बस के यात्रियों का नशे के साथ पकड़ा जाना और नशेडिय़ों द्वारा मरीजों को ढोए जाने वाले वाहन का नशे की तस्करी के लिए इस्तेमाल करना प्रमाण है कि नशा हमारे लोगों की रग-रग में इस कदर समा गया है कि इस पर अंकुश लगाने के लिए संबंधित राज्यों की सरकारों को आपस में मिल कर सामूहिक प्रयास करने होंगे।            
 

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